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Home व्यापार

कैसे बनेगी बिजली, उधारी पहुंच गई 1.23 लाख करोड़ रुपये के पार

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
April 10, 2022
in व्यापार
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electricity
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नई दिल्ली: कहते हैं सस्ता बेचो पर नकद बेचो। उधारी पर बेचो तो फिर सिर फोड़ने के लिए तैयार रहो। आपको पता ही होगा कि सिर्फ गली-मोहल्ले के दुकानदार ही उधारी पर सामान नहीं बेचते बल्कि इंडस्ट्रिलय प्रोडक्ट भी मिलते हैं। लेकिन, इंडस्ट्री की उधारी समय पर चुक जाए तो खबर नहीं बनती। हम बात कर रहे हैं बिजली बनाने वाली कंपनियों की। इनकी उधारी इस समय 1.23 लाख करोड़ रुपये के ज्यादा की हो गई है। यह उधारी आपके घरों तक बिजली पहुंचाने वाली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों (Discom) के ऊपर है।

बढ़ ही रही है उधारी की रकम
सरकार के प्राप्ति पोर्टल से मिली जानकारी के अनुसार इस साल अप्रैल में डिस्कॉम पर बिजली बिजली बनाने वाली कंपनियों (जेनको) का बकाया सालाना आधार पर 17.3 फीसदी बढ़ा है। अब यह बढ़ कर 1,23,244 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। पिछले साल इसी महीने तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 1,05,029 करोड़ रुपये का था। पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वॉयसिंग ऑफ जेनरेशन (PRAPTI) पोर्टल के मुताबिक अप्रैल, 2022 में डिस्कॉम पर कुल बकाया पिछले महीने मार्च, 2022 की तुलना में भी बढ़ा है। मार्च में यह 1,17,390 करोड़ रुपये था। बिजली उत्पादकों तथा डिस्कॉम के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था।

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डिस्कॉम को मिलता है 45 दिनों का ग्रेस पीरियड
बिजली वितरण कंपनियां यदि जेनको आज बिजली खरीदती हैं तो उन्हें आज ही पेमेंट नहीं करना होता है। उन्हें बिजली बिजली उधारी पर मिलती है और उधार चुकाने के लिए 45 दिन का ग्रेस पीरियड मिलता है। उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है। ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं। अप्रैल, 2022 तक 45 दिन की मियाद की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 1,04,885 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले समान महीने में 84,376 करोड़ रुपये थी। मार्च, 2022 में डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,03,331 करोड़ रुपये था।

जेनको को मिली है कुछ राहत
बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू है। इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है। केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कोविड-19 महामारी की वजह से कुछ राहत दी है। भुगतान में देरी के लिए डिस्कॉम पर दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया गया है। सरकार ने मई, 2020 में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं। बाद में सरकार ने इस पैकेज को बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये और उसके बाद 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया।

किन राज्यों में ज्यादा बकाया?
आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है। भुगतान की मियाद समाप्त होने के बाद अप्रैल, 2022 तक डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,04,885 करोड़ रुपये था। इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 55.63 प्रतिशत है। वहीं, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की जेनको का बकाया 21.84 प्रतिशत है।

एनटीपीसी और अडाणी भी फंसी है रकम
सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 4,223.50 करोड़ रुपये वसूलने हैं। उसके बाद डीवीसी को 3,571.83 करोड़ रुपये और एनपीसीआईएल कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र को 3,179.13 करोड़ रुपये बिजली वितरण कंपनियों से वसूलने हैं। निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का बकाया 25,586.73 करोड़ रुपये, बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का 5,309.29 करोड़ रुपये है। वहीं अक्षय ऊर्जा कंपनियों का बकाया अप्रैल, 2022 तक 20,827.22 करोड़ रुपये था।

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