बेंगलुरु : चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करने के बाद इसरो सूर्य पर जाने की तैयारी कर रहा है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो के वैज्ञानिक सूर्ययान लॉन्च करने की तैयारी में है। इसरो के स्पेस एप्लीकेशन डायरेक्टर एम.देसाई ने मीडिया को बताया कि 2 सितंबर को भारत का पहला सूर्य मिशन श्री हरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। इसरो अपने इस मिशन में सूर्य से निकलने वाली किरणों का अध्ययन करेगा। इसरो ने अपने पहले सूर्य मिशन का नाम आदित्य-एल 1 रखा है।
सूरज तक जाने में कितने दिन लगेंगे
चंद्रयान-3 को लॉन्च होने के बाद उसकी सफल लैंडिंग में 40 दिन का समय लगा था। आदित्य एल-1 को 2 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा। इसरो के मुताबिक इसे सूरज की कक्षा में एल-1 प्वाइंट तक पहुंचने में 110 दिन का समय लगेगा। पृथ्वी के इसकी दूरी करीब 15 लाख किमी है। आदित्य एल-1 को पीएसएलवी रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा।
सूर्य मिशन का नाम आदित्य-एल1 क्यों रखा गया?
इसरो ने चांद पर जाने वाले मिशन का नाम चंद्रयान रखा था। लेकिन इस बार सूर्य पर जाने वाले मिशन का नाम सूरज या सन जैसे शब्दों पर नहीं रखा गया है। इसरो ने बताया कि भारत का यह मिशन सूरज पर उतरने नहीं जा रहा है इसलिए इसके नाम में सूरज या सौर्य शब्द को नहीं जोड़ा गया है। बता दें कि आदित्य-एल 1 सिर्फ सूरज की कक्षा लैग्रेंज बिंदु-1 पर सैटेलाइट के रूप में सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। इसी कारण इसके नाम में एल 1 शब्द को जोड़ा गया है।
क्या है आदित्य-एल 1 मिशन?
आदित्य-एल 1 मिशन सूरज से निकलने वाले किरणों का अध्ययन करेगा। इस मिशन के तहत इसरो यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि सूरज की किरणें अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियों को कैसे प्रभावित करती हैं। आदित्य एल-1 सूरज के फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर, बाहरी सतह यानि कोरोना पर नजर रखेगा। सूर्ययान आसपास मौजूद कणों का अध्ययन भी करेगा। सूरज से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कणों और चुंबकीय क्षेत्र का भी अध्ययन किया जाएगा।
मिशन कितने समय तक करेगा काम?
इसरो ने बताया है कि आदित्य-एल1 मिशन करीब 5 साल तक सूरज से निकलने वाली किरणों का अध्ययन करेगा। आदित्य-एल 1 में 7 पेलोड्स लगे हुए हैं जो सूरज से निकलने वाली किरणों का गहन अध्ययन करेंगे। आदित्य-एल 1 मिशन को बनाने में कुल 378 करोड़ रुपये की लागत आई है।