नई दिल्ली. बिलकिस बानो केस के दो दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर शीर्ष अदालत से यह तय करने की मांग है कि क्या दो जजों वाली बेंच उस मामले पर पहले के दो जजों की बेंच द्वारा दिए गए फैसले को खारिज कर सकती है? मामले मे दोषी राधेश्याम भगवान दास और राजूभाई बाबूलाल सोनी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी रिहाई पर गुजरात या महाराष्ट्र किस राज्य सरकार की रिहाई की नीति लागू होगी? इसपर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों के ही दो अलग-अलग बेंच के फैसले में विरोधाभास है.
याचिका में कहा गया है कि मई 2022 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा कि उनकी रिहाई के लिए गुजरात सरकार निर्णय ले सकती है, जबकि 2024 में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की ही बेंच ने माना कि उनकी रिहाई के लिए फैसला महाराष्ट्र सरकार लेगी.
ऐसे में याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट से यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया है कि उनके मामले पर दो जजों की दो अलग-अलग बेंच से दिए गए फैसले में से कौन सा फैसला लागू होगा. दोषियों की ओर से दाखिल की गई याचिका में उनकी रिहाई के खिलाफ दाखिल की गई रिट याचिका की मेंटेनबलटी पर भी सवाल उठाया गया है.
इस मामले के सभी 11 दोषियों ने 21 जनवरी को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद गोधरा शहर की एक जेल में आत्मसमर्पण किया था. सभी 11 आरोपियों को 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था.