नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में अब करीब 3 महीने का समय बचा है. इससे पहले सबसे बड़ा सवाल है कि नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की दोबारा धमाकेदार वापसी होगी या नहीं? इसके साथ ही एक सवाल यह भी कि इस बार बीजेपी (BJP) कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बता दें कि बीजेपी ने मिशन 2024 के लिए तैयारी तेज कर दी है. इसके साथ ही पार्टी ने सीट शेयरिंग का फॉर्मूला भी बना लिया है. हालांकि, इसका आधिकारिक ऐलान होना बाकी है. इस फॉर्मूले के हिसाब से इस बार बीजेपी पिछली चुनावों के मुकाबले ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.
बीजेपी क्यों ज्यादा सीटों पर लड़ सकती है चुनाव?
इस बार के चुनाव में बीजेपी (BJP) के ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की सबसे बड़ी वजह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) गठबंधन है. कई बड़ी पार्टियों के गठबंधन से अलग होने से यह संभावना है कि बीजपी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बता दें कि एनडीए गठबंधन से जनता दल (यूनाइटेड), अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और शिरोमणि अकाली दल जैसी राजनीतिक पार्टियां अलग हो चुकी हैं. इसके अलावा शिवसेना जैसे कुछ अन्य दल भी अलग हो चुके हैं. हालांकि, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) बीजेपी के साथ है. इसके साथ ही कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर) जैसे कुछ अन्य सहयोगी भी मिले हैं. इसके बाद भी बीजेपी के लिए सीटों की संख्या बढ़ाने का मौका अभी भी बना हुआ है.
कब कितनी सीटों पर बीजेपी ने उतारे उम्मीदवार?
बीजेपी (BJP) ने सबसे कम सीटों पर चुनाव साल 1989 में लड़ा था. तब पार्टी ने 225 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. इसके बाद 1991-92 में बीजेपी ने 477 सीटों पर प्रत्याशी उतारे. यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है, जब बीजेपी अकेले इतनी सीटों पर चुनाव लड़ी हो. 1991-92 के बाद बीजेपी लगातार सीटों की संख्या कम करती गई. बीजेपी ने 1996 में 471, 1998 में 288 और 1999 में 339 उम्मीदवार उतारे.
1999 के चुनाव के बाद केंद्र में भाजपा की पहली पूर्णकालिक सरकार बनी और अटल बिहारी वाजपेयी 5 साल तक प्रधानमंत्री रहे. इसके बाद से भाजपा द्वारा लड़ी जाने वाली सीटों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है. यह आंकड़ा 2019 में एक बार फिर चरम पर पहुंच गया, जब पार्टी ने 436 सीटों पर चुनाव लड़ा. बीजेपी ने 2004 में 364, 2009 में 433 और 2014 में 428 उम्मीतवार उतारे थे.
2019 में जीत का प्रतिशत रहा सबसे ज्यादा
1984 के चुनाव में बीजेपी ने 229 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन पार्टी सिर्फ 2 सीटों पर ही कब्जा कर पाई और उसका स्ट्राइक रेट 0.9 प्रतिशत था. इसके बाद 1989 में बीजेपी की जीत का प्रतिशत 37.8 और 1991 में 25.2 फीसदी था. इसके बाद हर बार जीत का प्रतिशत बढ़ता गया और पहली बाल 1999 में यह 50 के पार चला गया. बीजेपी ने 1996 में 34.2 प्रतिशत, 1998 में 46.9 प्रतिशत और 1999 में 53.7 प्रतिशत सीटों पर जीत दर्ज की. इसके बाद 2004 और 2009 के चुनाव में फिर गिरावट आई और पार्टी क्रमशः 37.9 और 26.8 प्रतिशत सीटें ही जीत पाई.
इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नाम पर बीजेपी ने चुनाव लड़ा और उसकी जीत का स्ट्राइक रेट 65.9 प्रतिशत पहुंच गया. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने इसमें और सुधार किया और उसकी जीत का स्ट्राइक रेट 69.5 प्रतिशत हो गया. यह बीजेपी बता दें कि 2014 में बीजेपी ने 282 सीटों पर कब्जा किया था, जबकि 2019 के चुनाव में पार्टी ने अकेले 303 सीटों पर जीत हासिल की.
अब कितनी सीटों पर लड़ेगी BJP? क्यों है बड़ा सवाल
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी का स्ट्राइक रेट 2014 के मुकाबले काफी अच्छा रहा था. भाजपा ने 2014 के चुनाव में 428 सीटों पर, जबकि 2019 में 436 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. यानी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या 8 बढ़ी, जबकि चुनाव जीतने वालों की संख्या 21 बढ़ गई. बीजेपी 282 उम्मीदवारों ने 2014 जीते थे, जबकि 2019 में 303 प्रत्याशी जीतकर लोकसभा पहुंचे. यानी बीजेपी की स्ट्राइक रेट 2014 तुलना में 2019 में 3.6 प्रतिशत बढ़ गई. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि बीजेपी इस बार चुनाव लड़ने वालों उम्मीदवारों की संख्या बढ़ा सकती है.
अप्रैल-मई में हो सकते हैं लोकसभा चुनाव
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए चुनाव आयोग भी एक्शन मोड में आ गया है और बिहार सहित सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है. इसके बाद चुनाव की तारीखों का ऐलान संभव है. माना जा रहा है कि चुनाव अप्रैल में शुरू हो सकता है और इस बार भी 7 चरणों में मतदान हो सकता है. बता दें कि पिछली बार 10 मार्च 2019 को चुनाव की घोषणा हुई थी और 11 अप्रैल से 19 मई के बीच 7 चरणों में मतदान हुए थे. 23 अप्रैल को मतों की गणना हुई थी और बीजेपी की बंपर जीत के बाद नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बने थे.