इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इन दिनों भारी राजनीतिक दबाव का सामना कर रहे हैं। विपक्ष ने इमरान खान के खिलाफ पाकिस्तानी संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद ने बताया है कि इस प्रस्ताव पर 3 अप्रैल को वोटिंग प्रस्तावित है। ऐसे में बाकी बचे चार से पांच दिनों में सत्तापक्ष और विपक्ष (Pakistan Democratic Movement) दोनों ही अब तक तटस्थ खड़ी पार्टियों को अपने पक्ष में करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। इमरान खान ने तो पंजाब में अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार का इस्तीफा लेकर बगावत पर उतारू पीएमएल-क्यू को राज्य की कमान सौंप दी है। इसके बावजूद माना जा रहा है कि इमरान की कुर्सी का आखिरी फैसला पाकिस्तानी सेना ही करेगी।
शेख राशिद ने किया इमरान खान की जीत का दावा
नेशनल असेंबली के एक सत्र के दौरान सोमवार को विपक्षी दलों ने इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। जिसके एक दिन बाद पाकिस्तानी गृहमंत्री शेख राशिद ने देश की ताजा राजनीतिक स्थिति को लेकर इस्लामाबाद में मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 31 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी और उसके बाद तीन अप्रैल को मतदान होगा। उन्होंने दावा किया कि अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान इमरान खान को जीत मिलेगी।
विपक्षी दलों के इमरान का समर्थन करने का भरोसा जताया
शेख राशिद ने अनुमान जताया कि अलग-थलग पड़े सभी सहयोगी दल इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करने के लिए वापस आएंगे जैसा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू) पहले ही कर चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और विपक्षी दलों द्वारा रविवार और सोमवार को अलग-अलग राजनीतिक रैलियां करने के बाद सभी सड़कों को खोल दिया गया है और शहर के एक हिस्से में कोई नाकेबंदी नहीं की गई है।
विपक्षी पार्टियों ने पेश किया है अविश्वास प्रस्ताव
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम), जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-आई) एवं अन्य दल शामिल हैं, ने सोमवार रात इस्लामाबाद में श्रीनगर राजमार्ग पर एक बड़ी रैली का आयोजन किया। पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) (पीएमएल-एन) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज और 26 मार्च को लाहौर से रैली शुरू करने वाले पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हमजा शहबाज, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) और अन्य पीडीएम दलों के समर्थकों के साथ जुड़ने के लिए इस्लामाबाद पहुंचे।