नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच स्ट्राइकर टैंक को लेकर बात चल रही है. अगर यह भारतीय सेना में शामिल होते है तो चीन से लगी सीमा पर गेम चेंजर साबित होगा. दोनों देश के बीच स्ट्राइकर आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल के संयुक्त उत्पादन को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है. समझौते के बाद इस आर्मर्ड व्हीकल का उत्पादन भारत में किया जा सकेगा. अमेरिका ने भारत में आठ पहियों वाले स्ट्राइकर की गतिशीलता और मारक क्षमता का प्रदर्शन करने की पेशकश भी की है.
जानकारी के मुताबिक भारक अमेरिका से इस डील में करीब 150 स्ट्राइकर टैंक ले सकता है.आज भारत मेक इन इंडिया की तर्ज पर नए हथियारों पर काम कर रहा है. अगर स्ट्राइकर को लेकर भारत और अमेरिका की बातचीत सही नतीजे पर पहुंचती है तो भारत इसका न केवल को-प्रॉडक्शन करेगा बल्कि अमेरिका इसकी टेक्नोलॉजी भी ट्रांस्फर करेगा जिससे कि भारत-अमेरिका के रिश्ते और मजबूत होंगे. इस डील के लिए कुल 13 भारतीय वेंडर दौड़ में हैं.
भारत को ऐसे टैंक की जरूरत है
इसे लेकर दोनो देशों में बातचीत को अगर अंतिम रूप दिया जाता है तो उसे भारतीय इलाकों के लिए अनुकूलित और तकनीकी रूप से कॉन्फिगर करना होगा, जिसमें पूर्वी लद्दाख और सिक्किम जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालन भी शामिल है.चीन से लगी सीमा पर भारतीय सेना को ऐसे टैंक की जरूरत है जो सैनिकों के साथ में जाए. इतनी हल्की और ताकतवर हो कि ऊंचे पहाड़ी इलाके में काम कर सके. इसी जरूरत को पूरा करने के लिए अमेरिका ने भारत के ऊंचाई वाले इलाकों में स्ट्राइकर की मारक क्षमता और तेजी से चलने की क्षमता का प्रदर्शन करने की पेशकश की है. भारतीय रक्षा मंत्रालय इस प्रस्तावित परियोजना के लिए तीन चरण की योजना पर विचार कर रहा है.
इस प्रोजेक्ट में क्या-क्या शामिल होगा?
इस प्रोजेक्ट में शुरू में अमेरिकी विदेशी सैन्य बिक्री (FMS) प्रोग्राम के तहत स्ट्राइकर्स की सीमित ऑफ-द-शेल्फ की खरीद शामिल होगी. इसके बाद भारत में संयुक्त उत्पादन और इसके भविष्य के वर्जन मिलाकर विकसित किया जाएगा. योजना इस बात पर निर्भर है कि स्ट्राइकर भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करे. इसका बहुत अधिक स्वदेशीकरण हो. इसमें भारतीय सह-उत्पादन साझेदार को महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी का ट्रांस्फर शामिल है. यह रक्षा क्षेत्र की सरकारी कंपनी या निजी कंपनी के साथ हो सकता है.भारतीय सेना को आने वाले वर्षों में अपने 2,000 से अधिक रूसी मूल के BMP-II वाहनों के मौजूदा बेड़े को बदलने के लिए भविष्य के पहिएवाले और ट्रैक वाले वाहनों की जरूरत है. रक्षा मंत्रालय इसके लिए स्वदेशी परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है.
क्यों खास है स्ट्राइकर टैंक?
- स्ट्राइकर आठ पहिया वाला वाहन है. इसे जनरल डायनेमिक्स लैंड सिस्टम्स (GDLS) कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में जनरल डायनेमिक्स लैंड सिस्टम्स डिवीजन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है.
- तकनीकी रूप से स्ट्राइकर एक वी-हल वाला बख्तरबंद पैदल सेना वाहन है.
- यह 30 मिमी तोप और 105 मिमी मोबाइल गन से लैस है.
- स्ट्राइकर का हल हाई हार्डनेस स्टील से बना है.
- इसके सामने की स्टील की परत 14.5 मिमी की है. और चारों तरफ 7.62 मिमी की परत है.
- स्ट्राइकर में बोल्ट-ऑन सिरेमिक कवच भी लगा है.
- यह 14.5 मिमी कवच-भेदी गोला-बारूद और 152 मिमी राउंड से सुरक्षा देता है.
- स्ट्राइकर में दो लोगों का दल होता है.
- इसमें 9 सैनिक सवार हो सकते हैं.
- इसमें 350 हॉर्सपावर वाला कैटरपिलर C7 इंजन लगा है.
- इसकी रेंज 483 किलोमीटर है.
- यह लगभग 100 किमी/घंटा की अधिकतम गति तक पहुंच सकता है.
- स्ट्राइकर वाहनों ने अन्य हल्के सैन्य वाहनों की तुलना में IED के खिलाफ बचने की बेहतर संभावना है.