वाशिंगटन। भारत न्यूयॉर्क के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में गांधीवादी विचार और दर्शन पर एक कार्यक्रम की मेजबानी करेगा। इसमें चर्चा होगी कि शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों के निर्माण के लिए बहुलवाद, लोकतंत्र और कानून के शासन के मूल मूल्यों को कैसे मजबूत किया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट के अनुसार, बैठक में इस बात पर भी चर्चा होगी कि जलवायु और पर्यावरणीय गिरावट के प्रतिकूल प्रभावों का मुकाबला करने के लिए टिकाऊ जीवन शैली को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है। गुरुवार का यह कार्यक्रम ऐसे समय में हो रहा है, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद शुक्रवार को यूक्रेन पर चर्चा करने वाला है।
गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता पर होगी चर्चा
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन और यूनिवर्सिटी फॉर पीस एट द इकोनॉमिक्स एंड सोशल काउंसिल चैंबर द्वारा इस कार्यक्रम को संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इसमें दुनिया भर के राजनयिक भाग लेंगे।
बैठक का उद्देश्य
इस बैठक का उद्देश्य महात्मा गांधी के ‘ट्रस्टीशिप’ के सिद्धांत पर प्रकाश डालना है। आज की दुनिया में इसकी प्रासंगिकता स्थायी जीवन शैली को बढ़ावा देने और शांति को बढ़ाने के लिए ‘मानव उत्कर्ष’ की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित करने के साथ है।
यूक्रेन की संप्रभुता-स्वतंत्रता के लिए यूएन प्रतिबद्ध- महासचिव
यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन पर एक आपातकालीन विशेष सत्र बुलाया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि रूस के यूक्रेन में हमले का एक साल यूक्रेन के लोगों के लिए और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। आक्रमण संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। गुटरेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थिति स्पष्ट है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूक्रेन मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर हम इसकी संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए प्रतिबद्ध हैं।
यूक्रेन के लोगों के लिए उबरना नहीं होगा आसान- अध्यक्ष कसाबा
महासभा के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने कहा कि बुधवार को यूक्रेन में युद्ध का एक साल पूरा हो गया। यह निराशा, विस्थापन, विनाश और मृत्यु को उजागर करता है, जिसे यूरोप ने दशकों में नहीं देखा है। उन्होंने युद्ध के परिणामों से पीड़ित सभी लोगों को भी आश्वासन दिया कि उन्हें भुलाया नहीं गया है। उन्होंने कहा कि यह युद्ध समाप्त हो जाएगा और पुनर्निर्माण, सामंजस्य और परिवर्तन का समय आ जाएगा। लेकिन, हम जानते हैं कि यह आसान नहीं होगा।