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S-400, पृथ्वी, आकाश…भारत का अभेद्य रक्षा कवच, जिससे टकराने की हिम्मत किसी की नहीं !

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
May 8, 2025
in राष्ट्रीय, विशेष
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India air defense
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स्पेशल डेस्क


नई दिल्ली: भारत का वायु रक्षा तंत्र (Air Defence System) आज विश्व के सबसे उन्नत और शक्तिशाली सिस्टम्स में से एक है, जिसमें S-400, पृथ्वी, आकाश और बराक-8 जैसे सिस्टम शामिल हैं। ये प्रणालियाँ विभिन्न रेंज और खतरों से निपटने के लिए डिज़ाइन की गई हैं, जो भारत को हवाई हमलों, मिसाइलों, ड्रोनों और लड़ाकू विमानों से सुरक्षा प्रदान करती हैं। आइए इनके बारे में संक्षेप में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं और हाल की खबरों का जिक्र करते हैं।

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1. S-400 ट्रायम्फ (Triumf)

रूस निर्मित यह दुनिया की सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है, जो 400 किमी की रेंज में लक्ष्य को भेद सकती है। यह एक साथ 36 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और 72 मिसाइलें दाग सकता है। इसका रडार 600 किमी तक के लक्ष्य को पहचान सकता है। इसकी ऊँचाई 30-56 किमी तक के लक्ष्य नष्ट कर सकता है। यह फाइटर जेट, क्रूज मिसाइलें, ड्रोन और मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है।

भारत ने 2018 में रूस से 5 स्क्वाड्रन (लगभग ₹35,000 करोड़) खरीदने का सौदा किया था। तीन स्क्वाड्रन पहले ही तैनात हो चुके हैं दो चीन सीमा (उत्तरी और पूर्वी) और एक पाकिस्तान सीमा (पश्चिमी) पर। चौथा स्क्वाड्रन 2025 के अंत तक और पाँचवाँ 2026 में मिलने की उम्मीद है। जुलाई 2024 में भारतीय वायुसेना ने S-400 की युद्ध अभ्यास में 80% लक्ष्यों को सटीक निशाना बनाया, जिसमें राफेल, सुखोई जैसे जेट्स को “डमी दुश्मन” बनाया गया।

सिलिगुड़ी (चीन के खिलाफ), पठानकोट (जम्मू-कश्मीर और पंजाब), और राजस्थान-गुजरात क्षेत्र में। यह पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के हवाई हमलों को नाकाम करने में गेम-चेंजर है। पाकिस्तान का HQ-9 सिस्टम इसके सामने कमजोर माना जाता है।

2. पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD)

भारत का स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम, जो ऊपरी वायुमंडल (80-100 किमी ऊँचाई) में बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी रेंज 300-3000 किमी तक की मिसाइलों को नष्ट कर सकता है। यह दो-स्तरीय प्रणाली का हिस्सा है, जिसमें दूसरा स्तर AAD (एडवांस्ड एयर डिफेंस) है, जो निचली ऊँचाई (15-25 किमी) के लक्ष्यों को नष्ट करता है।

DRDO ने 2022 में AD-1 इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो बैलिस्टिक मिसाइलों और लड़ाकू विमानों को नष्ट करने में सक्षम है। यह तकनीक कुछ ही देशों के पास है। ऑपरेशन सिंदूर (2025) के बाद, PAD को सक्रिय मोड में तैनात किया गया है ताकि पाकिस्तान या PoK से किसी भी मिसाइल हमले को रोका जा सके।

3. आकाश मिसाइल सिस्टम

स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, जिसकी रेंज 70-80 किमी है। यह विमान, हेलिकॉप्टर, और सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को 16 किमी ऊँचाई तक नष्ट कर सकती है। आकाश-NG (नेक्स्ट जनरेशन) और MR-SAM (इजरायल के साथ मिलकर) इसकी उन्नत संस्करण हैं। ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के बाद, आकाश सिस्टम को पाकिस्तान और PoK से संभावित खतरों के जवाब में सक्रिय किया गया। भारत अपनी वायु रक्षा को और मजबूत करने के लिए आकाश-NG को बड़े पैमाने पर तैनात करने की योजना बना रहा है।

4. अन्य मुख्य सिस्टम

  • बराक-8 (MR-SAM) भारत-इजरायल सहयोग से विकसित, 100 किमी रेंज और 16 किमी ऊँचाई तक लक्ष्य भेदने में सक्षम। यह मध्यम और लंबी दूरी के खतरों से निपटता है और नौसेना के जहाजों पर भी तैनात है।
  • QRSAM (Quick Reaction SAM) 3-30 किमी रेंज का त्वरित प्रतिक्रिया सिस्टम, जो ड्रोन और निचले स्तर के खतरों के लिए प्रभावी है।
  • VSHORADS (NG) बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली, जिसकी खरीद प्रक्रिया मई 2025 में शुरू हुई। यह दिन-रात, हर मौसम में काम कर सकती है और “फायर एंड फॉरगेट” तकनीक से लैस है।
  • प्रोजेक्ट कुशा 2028-29 तक भारत का स्वदेशी लंबी दूरी का वायु रक्षा सिस्टम, जो S-400 और आयरन डोम जैसा होगा।

आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले !

ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इसके जवाब में भारत ने S-400, आकाश, पृथ्वी, और बराक-8 को सक्रिय मोड में तैनात किया, ताकि कोई भी जवाबी हमला नाकाम हो। पाकिस्तान की मिसाइलों को ट्रैक करने में उसका वायु रक्षा तंत्र नाकाम रहा, जबकि भारत का सिस्टम पूरी तरह तैयार था।

पहलगाम हमला (मई 2025)

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद, भारत ने अपनी वायु रक्षा को और सतर्क कर दिया। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने PM मोदी को फोन कर इस हमले की निंदा की, जो S-400 जैसे सहयोग को और मजबूत करने का संकेत देता है। S-400 के रखरखाव के लिए भारत में रूसी कंपनी अल्माज-एंटे और एक भारतीय कंपनी के बीच संयुक्त उद्यम की योजना है। भविष्य में इसके पुर्जे भी भारत में बनाए जाएँगे। DRDO S-1500 और S-2500 जैसे उन्नत सिस्टम्स पर काम कर रहा है, जो S-400 से भी आगे होंगे।

क्यों है भारत का डिफेंस सिस्टम मजबूत ?

भारत का वायु रक्षा तंत्र चार स्तरों पर काम करता है लंबी दूरी S-400, PAD, मध्यम दूरी: आकाश, बराक-8 ,कम दूरी: QRSAM, स्पाइडर, बहुत कम दूरी: VSHORADS, एंटी-एयरक्राफ्ट गन। रडार, सैटेलाइट, और एकीकृत कमांड सिस्टम (IACCS) खतरों का तुरंत पता लगाकर सटीक जवाब देते हैं। चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर केंद्रित तैनाती, जैसे सिलिगुड़ी, पठानकोट, और पश्चिमी सीमा।आकाश, पृथ्वी, और प्रोजेक्ट कुशा जैसे प्रोजेक्ट्स आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम हैं। रूस (S-400) और इजरायल (बराक-8) के साथ साझेदारी ने भारत की क्षमताओं को बढ़ाया है।

सिस्टम्स की तैनाती और सतर्कता !

भारत का वायु रक्षा तंत्र S-400, पृथ्वी, आकाश, और बराक-8 जैसे सिस्टम्स के साथ अत्यंत शक्तिशाली है, जो पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के हवाई खतरों को नाकाम करने में सक्षम है। ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले के बाद इन सिस्टम्स की तैनाती और सतर्कता ने भारत की रक्षा तैयारियों को और मजबूत किया है। स्वदेशी प्रोजेक्ट्स जैसे प्रोजेक्ट कुशा और DRDO के उन्नत सिस्टम्स भविष्य में भारत को और अभेद्य बनाएँगे।

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