नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज कोलकाता में थोड़ी देर में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स इंजीनियर्स लिमिटेड के नवनिर्मित पोत विंध्यगिरी का शुभारंभ करेंगी। बता दें कि इस पोत का नाम कर्नाटक की पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है। रक्षा मंत्रालय की मानें तो प्रोजेक्ट 17ए पोत को भारतीय नौसेना के युद्धपोत ब्यूरो द्वारा डिजाईन किया गया है। यह पूर्णतया स्वदेशी पोत है। पीएम मोदी के आत्निर्भर भारत की योजना के तहत इस पोत के 75 प्रतिशत उपकरणों का निर्माण भारत में किया गया है।
प्लेटफाॅर्म मैनेजमेंट सिस्टम से लैस है युद्धपोत
विंध्यगिरी युद्धपोत की सबसे खास बात यह है कि यह प्लेटफाॅर्म मैनेजमेंट सिस्टम से लैस स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल युद्धपोत है। इसके अलावा बेहतर स्टील,उन्नत हथियार और सेंसर इसे और अधिक खास बनाते हैं। भारतीय नौसेना का यह युद्धपोत तकनीकी रूप से सबसे उन्नत है। यह युद्धपोत अपने पूर्ववर्ती विंध्यगिरी युद्धपोत से अलग है। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार 8 जुलाई 1981 से 11 जून 2012 तक 31 वर्षों की सेवा के दौरान विंध्यगिरि ने कई अभियानों और युद्धाभ्यासों में भाग लिया था।
प्रोजेक्ट 17ए के तहत किया गया विकसित
बता दें कि आज लाॅन्च होने वाले विंध्यगिरी नौसेना के प्रोजेक्ट 17ए के तहत विकसित किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत मेसर्स एमडीएल द्वारा कुल 4 जहाज और मेसर्स जीआरएसई द्वारा 3 जहाज निर्माणाधीन हैं। इस परियोजना के पहले 5 जहाज एमडीएल और जीआरएसई द्वारा लाॅन्च किए गए हैं। लाॅन्च किए गए फ्रिगेट्स के नाम इस प्रकार हैं- नीलगिरी, उदयगिरी, तारागिरी, हिमगिरी और दूनागिरी। इस प्रोजेक्ट का छठा प्रोजेक्ट विंध्यगिरी आज लाॅन्च होगा।
जानें क्या है खासियत
विंध्यगिरी युद्धपोत का वजन 6670 टन है। यह करीब 488.10 फीट लंबा है। इसका बीम 58.7 फीट है। इसमें दो डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन लगे हैं। यानि यह इलेक्ट्रिक-डीजल युद्धपोत है। इस पोत की अधिकतम स्पीड 59 किमी. प्रतिघंटा है। विंध्यगिरि युद्धपोत ब्रहमोस मिसाइल से लैस है। इस युद्धपोत में आवश्यकतानुसार दो हेलीकॉप्टर भी तैनात हो सकते हैं । इसमें एन्टी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स भी लगे हैं तो दूसरी तरफ ऑटो मेलारा नौसैनिक गन से भी लैस है जो दुश्मन के जहाज या हेलीकॉप्टर पर हमला कर उसे तबाह कर सकती है ।
- पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक आईएनएस विंध्यगिरी का नाम कर्नाटक की पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है. यह प्रोजेक्ट 17A का छठा जहाज है.
- ये युद्धपोत शिवालिक क्लास प्रोजेक्ट 17 क्लास फ्रिगेट्स का फॉलो ऑन है. जिसमें बेहतर स्टील्थ फीचर्स, एडवांस्ड हथियार और सेंसर के अलावा प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम है.
- आईएनएस विंध्यगिरी तकनीकी तौर पर एडवांस्ड फ्रिगेट है, जो अपने पहले के आईएनएस विंध्यगिरी, लिएंडर क्लास ASW फ्रिगेट को श्रद्धांजलि देता है.
- पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक पुराने विंध्यगिरी ने जुलाई 1981 से जून 2012 तक सेवा दी.
- इस 31 साल के सेवा में पुराने विंध्यगिरी ने कई चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को अंजाम दिया और कई देशों में एक्सरसाइज भी किया.
- नया आईएनएस विंध्यगिरी स्वदेशी डिफेंस क्षमताओं के भविष्य को दर्शाता है. इसके साथ ही भारत की नौसेना के समृद्ध विरासत का प्रतीक भी है.
- प्रोजेक्ट 17A कार्यक्रम के तहत मझगांव डॉक लिमिटेड में 4 जहाज और जीआरएसई में 3 जहाजों का निर्माण हो रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत साल 2019 से 2022 के बीच 5 जहाज लॉन्च हो चुके हैं.
- पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक प्रोजेक्ट 17A के जहाजों को इंडियन नेवी वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने इन-हाउस डिजाइन किया है, जो देश में सभी वारशिप डिजाइन एक्टिविटिज के लिए अग्रणी संगठन है.
- प्रोजेक्ट 17A जहाजों के सिस्टम और उपकरणों के लिए 75 फीसदी हिस्सा स्वदेशी फर्मों से आता है. इसमें माइक्रो, स्माल और मीडियम इंटरप्राइजेज शामिल हैं.
- आईएनएस विंध्यगिरी की लॉन्चिंग आत्मनिर्भर नौसेना के निर्माण में एक अविश्वसनीय प्रगति का प्रमाण है.