नई दिल्ली। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के पास वर्तमान में बहुमत का आंकड़ा नहीं है। मंगलवार को तीन निर्दलीय विधायकों ने राज्य की बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इसके कारण प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बिगड़ गया है। प्रदेश की 90 विधानसभा में बीजेपी बहुमत के आंकड़े से 2 सीट पीछे है। हालांकि फिर भी नायब सिंह सैनी की सरकार को कोई खतरा नहीं है।
लोकसभा और आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर को हटाकर कुरुक्षेत्र से लोकसभा सांसद नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था। यह फैसला बीजेपी ने तब लिया जब दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी ने सरकार से अपना समर्थन वापस लिया था। चौटाला की पार्टी के 10 विधायक हैं। हालांकि बीजेपी निर्दलीयों के सहारे सरकार गठन करने में कामयाब रही। हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीट है। जिसमें से 40 बीजेपी के पास है। जबकि जेजेपी के पास 10 विधायक हैं। विधानसभा में कांग्रेस के 30 विधायक हैं। वहीं 6 निर्दलीय विधायक भी है। हरियाणा लोकहित पार्टी और इंडियन नेशनल लोक दल के पास 1-1 विधायक हैं। इसके अलावा अभी विधानसभा की 2 सीटें रिक्त हैं।
2 विधायकों की है जरूरत
ऐसे में बीजेपी को मौजूदा विधानसभा की 88 सीटों के आधार पर 45 विधायकों का समर्थन चाहिए। लेकिन नायब सिंह सैनी सरकार के पास 43 विधायकों का ही समर्थन है। जिसमें से 40 बीजेपी के विधायक, हरियाणा लोकहित पार्टी के एक और दो निर्दलीय हैं। मतलब सरकार को अभी भी 2 विधायकों का समर्थन चाहिए। हालांकि बीजेपी को ऐसी उम्मीद है कि जेजेपी के बागी विधायक सरकार को अपना समर्थन दे सकते हैं। बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने वालें तीनों विधायकों ने अभी विधानसभा अध्यक्ष को सरकार से समर्थन वापस लेने की जानकारी नहीं दी है। तीनों ने मीडिया के सामने आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की है।
अपने ही जाल में फंस गई कांग्रेस
हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल के दौरान 22 फरवरी 2024 को अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। जिसके बाद 12 मार्च को मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद नायब सिंह सैनी राज्य के नए मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद सैनी ने विश्वास मत हासिल नहीं किया। क्योंकि कांग्रेस पहले ही अविश्वास प्रस्ताव ला चुकी थी। 22 फरवरी के आधार पर अगले छ महीने तक यानी 22 अगस्त तक हरियाणा में अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। वैसे भी हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल अक्टूबर में समाप्त हो रहा है। मतलब 22 अगस्त के बाद कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आती भी है तो ऐसे में सरकार विधानसभा को भंग करके चुनाव की घोषणा कर सकती है।