नई दिल्ली : जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है, माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है और रातभर भजन-कीर्तन का आयोजन होता है. हालांकि यह पर्व केवल भारत तक सीमित नहीं है. श्रीकृष्ण के भक्त और हिंदू संस्कृति को मानने वाले लोग दुनिया के कई देशों में भी इसे पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं. आइए जानते हैं भारत के अलावा किन देशों में जन्माष्टमी का जश्न धूमधाम से मनाया जाता है.
नेपाल – भारत जैसा ही उत्साह
नेपाल में जन्माष्टमी का महत्व भारत जितना ही है. यहां के मंदिरों में विशेष सजावट की जाती है और भक्त श्रीकृष्ण के भजन गाते हुए पूरी रात जागरण करते हैं. काठमांडू के प्रसिद्ध कृष्ण मंदर (पत्थर दरबार स्क्वायर) में हजारों भक्त दर्शन के लिए जुटते हैं. यहां दूध, दही और माखन का भोग लगाना परंपरा का हिस्सा है.
बांग्लादेश – ऐतिहासिक मंदिरों में आयोजन
बांग्लादेश में जन्माष्टमी विशेष रूप से ढाका और अन्य बड़े शहरों के मंदिरों में मनाई जाती है. यहां श्रीकृष्ण के जीवन पर झांकियां निकाली जाती हैं और शोभा यात्राएं होती हैं. ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर में जन्माष्टमी का उत्सव बेहद खास होता है, जहां भक्त पारंपरिक गीत-संगीत और पूजा में भाग लेते हैं.
मलेशिया – प्रवासी भारतीयों का उत्सव
मलेशिया में रहने वाले भारतीय मूल के लोग जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाते हैं. कुआलालंपुर और पेनांग में मंदिरों में भजन-कीर्तन, कृष्ण लीला और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. यहां की खास बात यह है कि लोग पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर पूरे परिवार के साथ मंदिर जाते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं.
फिजी – सांस्कृतिक मेलजोल का प्रतीक
फिजी में भारतीय प्रवासी समुदाय जन्माष्टमी को बड़े उत्साह से मनाता है. यहां हफ्तेभर तक भजन, कथा और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन होता है. फिजी में यह त्योहार न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि वहां की भारतीय और स्थानीय संस्कृति के मेलजोल का भी प्रतीक बन चुका है.
अमेरिका और ब्रिटेन – इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (ISKCON) के मंदिरों में धूम
अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों में ISKCON के मंदिर जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन करते हैं. यहां के कार्यक्रमों में न केवल भारतीय प्रवासी, बल्कि विदेशी भक्त भी शामिल होते हैं. न्यूयॉर्क, लंदन और लॉस एंजिल्स जैसे शहरों में हजारों लोग एक साथ भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं.