नई दिल्ली l प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए सरल भाषा में न्यायिक प्रक्रिया पर जोर दिया। देश के प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना की मौजूदगी में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी दृष्टि एक ऐसी न्यायिक व्यवस्था की होनी चाहिए, जिसमें आसान न्याय, त्वरित न्याय और सभी के लिए न्याय हो।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘न्याय जनता से जुड़ा हुआ होना चाहिए, जनता की भाषा में होना चाहिए। जब तक न्याय के आधार को सामान्य आदमी नहीं समझता, उसके लिए न्याय और राजकीय आदेश में फर्क नहीं होता है।
‘प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम कोशिश कर रहे हैं कि हमारे देश में भी कानून की एक लीगल टर्मिनोलॉजी हो, लेकिन साथ-साथ वो सामान्य व्यक्ति की समझ में आए। प्रधानमंत्री ने देश के ज्यूडिशल सिस्टम को 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए तैयार करने पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2015 में सरकार ने अप्रासंगिक हो चुके 1450 कानूनों को खत्म किया। वहीं राज्यों की तरफ से केवल 75 कानून ही खत्म किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से गैरजरूरी कानूनों के खात्मे पर जोर दिया।
लक्ष्मण रेखा का रखें ध्यान – सीजेआइ
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एनवी रमना ने कहा कि संविधान में लोकतंत्र के तीनों अंगों के बीच शक्तियों का बंटवारा किया है। कर्तव्यों का पालन करते समय हमें लक्ष्मण रेखा का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर सब कुछ कानून के अनुसार हो तो न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी। यदि नगर पालिकाएं, ग्राम पंचायतें कर्तव्यों का पालन करती हैं। पुलिस ठीक से जांच करती है और अवैध हिरासत की यातना समाप्त होती है, तो लोगों को अदालतों की ओर देखने की जरूरत ही नहीं होगी।