नूर सुल्तान: रूस और कजाकिस्तान के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दोनों देश स्वंय के राष्ट्रीय हितों के साथ घनिष्ठ संबंधों को संतुलित करने के लिए संघर्ष कर रहा है। माना जा रहा है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने मध्य एशिया में अस्थिरता पैदा कर दी है। कजाकिस्तान के किसी भी बड़े राजनेता या अधिकारी ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का खुलकर समर्थन नहीं किया है। इसके बावजूद वे ऐसे कदम उठा रहे हैं, जिसके कारण रूस-कजाकिस्तान संबंधों में दरार पड़नी तय है। यूक्रेन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विशेष सैन्य अभियान के शुरुआत से ही कजाकिस्तान ने तटस्थ रुख अपनाने की कोशिश की है। जबकि, कजाकिस्तान रूस के नेतृत्व वाले यूरेशियन संघ और सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) का सदस्य है।
यूक्रेन की अखंडता का समर्थन कर रहा कजाकिस्तान
कजाकिस्तान ने रूस से नजदीकी होने के बावजूद यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया है। उसने खुले तौर पर ऐलान किया है कि कजाकिस्तान रूस समर्थित डोनेट्स्क और लुगांस्क पीपुल्स रिपब्लिक को मान्यता देने का कोई इरादा नहीं रखता है। जबकि, ऐसे ही रूस समर्थक देश बेलारूस ने महीनेभर पहले ही मान्यता प्रदान कर दी है। हालांकि, कजाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में रूस विरोधी किसी भी प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है और न ही यह अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों के लगाए गए रूसी-विरोधी प्रतिबंधों में शामिल हुआ है।
रूस पर लगे प्रतिबंधों को कम करने से कजाकिस्तान का इनकार
कजाख राष्ट्रपति कार्यालय के उप प्रमुख तैमूर सुलेमेनोव ने ऐलान किया है कि कजाकिस्तान अमेरिका और यूरोपीय संघ के रूस पर लगे प्रतिबंधों को रोकने के लिए एक उपकरण नहीं बनेगा। सुलेमेनोव ने 29 मार्च को कहा कि हम प्रतिबंधों का पालन करने जा रहे हैं। भले ही हम रूस, बेलारूस और अन्य देशों के साथ आर्थिक संघ का हिस्सा हैं, लेकिन हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी हिस्सा हैं। इसलिए हम नहीं चाहते हैं कि अमेरिका और यूरोपीय संघ रूस की मदद करने पर हमारे ऊपर भी प्रतिबंध लगा दें। कजाकिस्तान के इस ऐलान से रूस आश्चर्यचकित है।
तेल-गैस निर्यात को लेकर रूस-कजाकिस्तान में तनाव
इसके ठीक दो दिन बाद पुतिन और कजाख राष्ट्रपति कसीम-जोमार्ट टोकायव ने यूक्रेन में युद्ध पर चर्चा करने के लिए फोन पर बात की थी। दरअसल, रूस ने काला सागर में नोवोरोस्सिय्स्क के पास एक प्रमुख ऑयल एक्सपोर्ट टर्मिनल को बंद कर दिया था। तब रूस ने बताया था कि तूफान के कारण इस एक्सपोर्ट फैसिलिटी को काफी नुकसान हुआ है। कजाकिस्तान के कच्चे तेल के निर्यात का लगभग 80 फीसदी हिस्सा इसी फैसिलिटी से होकर यूरोपीय देशों तक पहुंचता है। रिपोर्ट के अनुसार, रूस के इस फैसले से कजाकिस्तान काफी नाराज हुआ, क्योंकि एक्सपोर्ट फैसिलिटी बंद होने से उसे अपने तेल उत्पादन में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बताया जा रहा है कि इस फैसिलिटी के शुरू होने में कम से कम दो महीने का समय लग सकता है।
यूरोपीय संघ को तेल और गैस बेचना चाहता है कजाकिस्तान
ऐसे में समझा जा रहा है कि कजाकिस्तान के राष्ट्रपति सुलेमेनोव रूस पर बंदरगाह खोलने के लिए दबाव बना रहे हैं। ऐसे में वे रूस से कजाकिस्तान को यूरोपीय संघ को तेल की आपूर्ति जारी रखने की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, आशंका जताई जा रही है कि काला सागर से कैस्पियन पाइपलाइन कंसोर्टियम के जरिए रूसी और कजाकिस्तान के तेल निर्यात में प्रतिदिन 10 लाख बैरल या वैश्विक तेल उत्पादन का 1 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। कजाकिस्तान के कुल तेल और गैस निर्यात का 80 फीसदी से अधिक हिस्सा यूरोपीय संघ को जाता है। ऐसे में रूस पर प्रतिबंधों के कारण कजाकिस्तान के तेल और गैस की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है। लेकिन रूस नहीं चाहता है कि उसका सहयोगी देश यूरोपीय संघ की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सामने आए।