भोपाल,25 जून (आरएनएस)। केंद्र सरकार से विभिन्न योजनाओं में मिलने वाला फंड खच्र नहीं होने की स्थिति में निगम-मंडल, सहकारी संस्थाएं, बोर्ड, प्राधिकरण, कल्याण मंडल और अकादमी आदि बैंक खातों में जमा कर ब्याज कमाते हैं। उक्त राशि पर मिलने वलो ब्याज को स्वयं की आय बताते हैं और इसके कारण अर्जित ब्याज पर आयकर का भुगतान करना पड़ता है। ऐसी करीब दस हजार करोड़ की राशि अब सरकारी खजाने में जमा करनी होगी। राज्य सरकार करीब दो साल पहले से ऐसे फंड को सरकारी खजाने में जमा कराने के लिए मशक्कत कर रही है। एक साल पहले सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से करीब एक हजार करोड़ रुपए जमा भी कराया गया, लेकिन अधिकांश निगम-मंडल, सहकारी संस्थाएं, बोर्ड, प्राधिकरण द्वारा कराए जाने वाले कार्य धीमी गति से होने, कार्य प्रारंभ नहीं होने, योजना के निर्देशों में कमी के कारण उक्त राशि को अपने बैंक खाते में जमा रखते हैं। निगम-मंडलों के अलावा यह कार्य लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन, पीएचई तथा नगरीय प्रशासन विभाग भी जमा फंड का इस्तेमाल नहीं कर रहा है।
माध्यमिक शिक्षा मंडल, लघु वनोपज संघ, वन विभाग निगम, पीईबी, एमपी पीएससी, एमपी एग्रो, मंडी बोर्ड, मप्र विपणन संघ आदि का बैंकों में करीब दस हजार करोड़ रुपए जमा है। वित्त विभाग ने सभी निगम-मंडलों, बोर्ड, प्राधिकरण और सहकारी संस्थाओं को पत्र लिखकर ख्ंिाचाई की है। विभाग ने कहा कि बैंक खातों में जमा खर्च नहीं होने वाली राशि रज्ञज्य के संति निधि (खजाने) में जमा की जाएगी। इस मामले में वित्त विभाग ने केंद्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का भी हवाला दिया है। केंद्र सरकार द्वारा केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में एसएनए खाते की व्यस्था 2021-22 से लागू की है, जिसके तहत राशि का व्यय भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही किया जाएगा। बजट संचालक आईरीन सिंधिया के अनुसार, इन निर्देशों का पालन नहीं करने वाले अधिकारी के विरुद्ध कार्रवर्ठ की जाएगी।
अनिल पुरोहित/अशफाक
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