संजय सती
कुल्लू। शांत वादियों में गूंज रहीं चीखें, बस में फंसे लोग और इधर-उधर बिखरे पड़े शव, गहरी खाई से आ रही बचाओ बचाओ की आवाजें जी हां कुछ ऐसा ही खौफनाक मंजर था सैंज के शैंशर में सोमवार को हुए बस हादसे के बाद का । चीख-पुकार की आवाज सुनकर क्षेत्र के लोग दौड़े-दौड़े पहुंचे तो देखकर सभी दंग रह गए। जांगला गांव के पास बस सड़क से करीब 200 फीट नीचे खाई में गिरी हुयी थी। बस के पूरी तरह से परखच्चे उड़ गये थे और दूर दूर तक छिटक गये थे।
वहां पहुंचे लोग इस खौफनाक मंजर देखकर सहम गए। इस भीषण सड़क हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई। दो लोग घायल हो गए। हादसे में कई घरों के चिराग बुझ गए। सोमवार सुबह करीब 8:30 बजे यह हादसा हुआ। सुबह करीब 8:50 बजे ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंच गए। उन्होंने इसकी सूचना प्रशासन और पुलिस को दी। सुबह 9:00 तक बजे ग्रामीण प्रशासन और पुलिस की मदद का इंतजार करते रहे और फिर ही खाई में उतर गये। तीन घंटे तक यात्री बस में फंसे रहे। हर तरफ शव और घायलों का खून देकर हर कोई सहम उठा। हादसे की खबर सुनने के बाद सैंज से लेकर शैंशर तक मातम छा गया है। लारजी से लेकर शैंशर, शांघड़ व रैला आदि इलाके के कई लोग अपनों का हाल जानने के लिए जांगला घटनास्थल पर पहुंचे। घटनास्थल पर पहुंचकर हर किसी का दिल दहल गया।
पलटे खाने के बाद बस उलटी पड़ी थी, इस कारण लोगों को निकाला नहीं जा सका। बस में फंसे लोगों को निकालने का भरसक प्रयास किया गया, लेकिन एक भी सवारी को नहीं निकाल पाए। 10:30 पर 108 एंबुलेंस भी पहुंच गई, लेकिन बस उलटी पड़ी होने के कारण यात्रियों को निकालना मुश्किल था।
11:00 बजे कुल्लू और बंजार से स्वास्थ्य विभाग की टीमें पहुंचीं। बड़ी जेसीबी मशीन मौके पर आई, जिसकी सहायता से बस को सीधा किया गया और अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला गया। हमेशा की तरह शैंशर से कुल्लू आ रही निजी में 15 सवारियां मौजूद थीं, लेकिन चालक की लापरवाही से एक साथ कई मौतों से कोहराम मच गया। बताया जा रहा है कि बस करीब 13 साल पुरानी थी।
जांगला गांव के नजदीक हुए भूस्खलन के पास बस को निकालते वक्त वह पहाड़ी से होकर नीचे जा गिरी। जिस जगह हादसा हुआ, वह मार्ग भूस्खलन के चलते संकरा हो गया था। इस मार्ग पर न तो क्रैश बैरियर और न ही पैरापिट हैं। इस मार्ग पर अगर क्रैश बैरियर व पैरापिट होते तो कई लोगों की जानें बच जातीं।
बस चालक की हालत भी गंभीर बनी हुई है। वह कुछ भी कहने की हालत में नहीं है। परिचालक गोपाल ने कहा कि बस जब नीचे लुढ़की, तब उन्हें हादसे का एहसास हुआ। बताया जा रहा है कि जैसे ही बस ने सड़क से पलटा खाया तो कुछ सवारियां बाहर छिटक गई थीं। इनमें चालक, परिचालक और एक अन्य व्यक्ति था। लोनिवि ने इस सड़क का कुछ माह पूर्व टारिंग कर इसे पक्का किया है। बस हादसे की सूचना मिलते ही राहत व बचाव कार्य के लिए पुलिस और स्थानीय लोग मौके पर पहुंच गए। एक सड़क से दूसरी सड़क में गिरी बस के कारण लोगों को रेस्क्यू करने में अधिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। बस हटाने के लिए देरी से पहुंची जेसीबी के कारण स्थानीय लोगों में भारी रोष देखने को मिला। घाटी में हुआ दर्दनाक हादसा क्षेत्रवासियों को कभी न भूलने वाला जख्म दे गया है। इस दौरान अपनों को खोने के गम में महिलाओं का रो-रो कर बुरा हाल हुआ उनको दूसरी महिलाएं सांत्वना दे रही थी।
हादसे के बाद सभी बाजार रहे बंद
भयावह बस हादसे के बाद सैंज घाटी के न्यूली, मातला, सैंज, नालागढ़, शलबाड़ और बिहाली बाजार शोक स्वरूप बंद रहे। व्यापार मंडल के प्रधान खेबाराम काईथ और व्यापारी विकास समिति के प्रधान सुरेश कुमार ने बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही सैंज के व्यापारी मदद के लिए घटनास्थल पर पहुंचे और मौके पर ग्रामीणों का सहयोग किया। उन्होंने कहा कि समय पर यात्रियों को मदद मिलती तो कई लोगों की जान बच सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।