प्रकाश मेहरा
सैम सेक्स मैरिज पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है उन्होंने कहा “मेरा धर्म और मेरी अंतरात्मा का मानना है कि सिर्फ महिला और पुरुष के बीच होती है ये किसी चीज़ को अपराध की श्रेणी से बाहर निकालने की बात नहीं,बल्कि विवाह नामक संस्था को पहचान देने की बात है ये बात सही है कि राज्य हर किसी या सभी को ये अधिकार नहीं दे सकता”
उन्होंने कहा कि मैं बेंच की उस टिप्पणी से चिंतित हूँ कि ट्रांसजेंडर लोग स्पेशल एक्ट और पर्सनल लॉ के तहत शादी कर सकते हैं ओवैसी ने आगे कहा जहाँ तक इस्लाम का सवाल है तो यह सही व्याख्या नहीं है क्योंकि इस्लाम दो बायोलॉजिकल पुरुष या दो बायोलॉजिकल महिलाओं के बीच विवाह को मान्यता नहीं देता है.
सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली समलैंगिक शादी को वैध्यता, अब संसद के पाले में गेंद
AIMIM चीफ ने लिखा मैं जस्टिस भट्ट से सहमत हूँ कि स्पेशल मर्रिज एक्ट की जेंडर न्यूट्रल व्याख्या कभी कभी न्यायसंगत नहीं हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप महिलाओं को अनपेक्षित तरीके से कमजोरियों का सामना करना पड़ सकता है
सैम सेक्स मैरिज पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सैम सेक्स मैरिज पर अपना फैसला सुनाया याचिकाकर्ताओं ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत सैम सेक्स मैरिज को वैध बनाने की मांग की थी सुप्रीम कोर्ट ने इसे मान्यता देने से इनकार कर दिया है सुप्रीम कोर्ट ने शादी को मौलिक अधिकार की श्रेणी से बाहर माना।