नई दिल्ली: डिजिटल दौर में मोबाइल फोन से दूर रह पाना बहुत ही मुश्किल है. छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग तक सभी लोग दिनभर मोबाइल फोन पर लगे रहते हैं. लोगों का अधिकांश समय फोन स्क्रीन पर बीतता है. बच्चों के लिए यह आदत (Child Mobile Addiction) बहुत ही खतरनाक साबित हो सकती है. बहुत ज्यादा मोबाइल चलाने से दिमाग को नुकसान होता है. इस बीमारी को डिजीटल डिमेंशिया (Digital Dementia) कहते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि यह बीमारी कैसे नुकसान पहुंचती है.
डिजिटल डिमेंशिया क्या है
यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है. कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन और इंटरनेट के ज्यादा इस्तेमाल के कारण यह बीमारी होती है. इसके कारण व्यक्ति के सोचने और समझने की क्षमता प्रभावित होती है. आमतौर पर यह बीमारी बुजुर्गों में होती है लेकिन मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल के कारण बच्चे और युवा भी इस बीमारी के चपेट में आ रहे हैं.
कैसे होती हैं डिजिटल डिमेंशिया बीमारी
स्मार्टफोन और इलेक्ट्रानिक गैजेट के ज्यादा इस्तेमाल के कारण दिमाग का वो हिस्सा कमजोर होने लगता है जो सोचने समझने और तर्क करने का काम करता है. ऐसे में याद रखने की क्षमता भी कम होती है. इस बीामारी के कारण इंसान बातें भी भूलने लगता है. इस बीमारी से बचने के लिए स्क्रीन टाइम को कम करना चाहिए. छोटे बच्चों को भी मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से रोकें.
ऐसे करें बच्चों का डिजिटल पागलपन से बचाव
- बच्चे का स्क्रीन टाइम कम करने की कोशिश करें. अगर बच्चा दिनभर फोन में लगा रहता है तो उसका स्क्रीन टाइम धीरे-धीरे कम करें.
- फोन का इस्तेमाल कम करने के लिए उसे आउटडोर गेम्स खेलने के लिए कहें. घर से बाहर दोस्तों से मिलने के लिए प्रेरित करें.
- अगर घर में किसी तरह की बातचीत न हो तो बच्चा अक्सर फोन में लगा रहता है. घर में बातचीत को बढ़ावा दें. बच्चे से बात करें.