नई दिल्ली। आइसलैंड, दुनिया का ऐसा देश जहां मच्छर नहीं पाए जाते- जनरल नॉलेज की किताबों में हम ये पढ़ते आए हैं. लेकिन अब ग्लोबल वार्मिंग ने इस जानकारी को भी गलत साबित कर दिया है. आइसलैंड में पहली बार मच्छरों की मौजूदगी पाई गई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण अब यह देश कीड़ों के लिए पहले से ज्यादा अनुकूल होता जा रहा है.
अब तक आइसलैंड दुनिया के उन कुछ गिने-चुने देशों में शामिल था जहां मच्छर नहीं पाए जाते थे. दूसरा ऐसा स्थान अंटार्कटिका है. वैज्ञानिकों ने पहले ही अंदाजा लगाया था कि आइसलैंड में मच्छर पनप सकते हैं, क्योंकि यहां दलदली जमीन और तालाब जैसी जगहें प्रजनन के लिए मौजूद हैं. हालांकि कई प्रजातियां यहां के सर्द मौसम में जिंदा नहीं रह पाएंगी.
तेजी से बढ़ रहा आइसलैंड का तापमान
अब आइसलैंड का तापमान उत्तरी गोलार्ध के औसत से चार गुना तेजी से बढ़ रहा है. यहां ग्लेशियर पिघल रहे हैं और दक्षिण के गर्म इलाकों की मछलियां जैसे मैकेरल भी अब इसकी नदियों और झीलों में पाई जा रही हैं.
धरती के गर्म होने के साथ मच्छरों की प्रजातियां दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में तेजी से फैल रही हैं. ब्रिटेन में इस साल Aedes aegypti (मिस्र का मच्छर) के अंडे मिले, जबकि Aedes albopictus (एशियाई टाइगर मच्छर) के नमूने केंट में पाए गए. ये खतरनाक प्रजातियां हैं जो डेंगू, चिकनगुनिया और जीका वायरस जैसी बीमारियां फैला सकती हैं.
आइसलैंड के नेचुरल साइंस इंस्टीट्यूट में कीट वैज्ञानिक मैथियस अल्फ्रेसॉन ने आइसलैंड में मच्छरों के खोज की पुष्टि की. उन्हें मच्छर किसी नागरिक ने भेजे थे जिसके बाद उन्होंने खुद इसकी पहचान की.
उन्होंने ब्रिटिश अखबार ‘द गार्डियन’ से बात करते हुए कहा, ‘Culiseta annulata प्रजाति के तीन मच्छर पाए गए हैं जिनमें दो मादा और एक नर है. ये सभी वाइन की रस्सी पर थे, जिन्हें आमतौर पर पतंगों को आकर्षित करने के लिए लगाया जाता है.’
यह मच्छर प्रजाति ठंड में भी जिंदा रह सकती है और सर्दियों में तहखानों और गोदामों में शरण लेकर मौसम गुजार सकती है.
सबसे पहले किसने देखे मच्छर?
Björn Hjaltason ने सबसे पहले इन मच्छरों को देखा और ‘Insects in Iceland’ नामक फेसबुक ग्रुप में इसकी जानकारी शेयर की. उन्होंने कहा, ’16 अक्टूबर की शाम मैंने वाइन की लाल रिबन पर एक अजीब मक्खी जैसी चीज देखी. मुझे तुरंत शक हुआ और मैंने उसे पकड़ लिया. वो एक मादा मच्छर निकली.’
इसके बाद उन्होंने दो और मच्छर पकड़े और उन्हें साइंस इंस्टीट्यूट में भेजा, जहां वैज्ञानिकों ने उनकी पुष्टि की.