नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने तीसरी बार पार्टी बैठक से दूरी बनाई है। इस बार यह बैठक नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुलाई थी। बैठक का मकसद संसद के शीत सत्र में पार्टी के प्रदर्शन का आंकलन करना था। लेकिन शशि थरूर इसमें नहीं पहुंचे। शशि थरूर द्वारा बार-बार शीर्ष नेतृत्व की अवहेलना के बावजूद पार्टी द्वारा ऐक्शन नहीं लिया जा रहा है। इसको लेकर बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं। आइए जानते हैं आखिर कांग्रेस की ऐसी क्या मजबूरी है जिसके चलते वह शशि थरूर के खिलाफ ऐक्शन नहीं ले रही है।
इसलिए झिझक रही पार्टी
जानकारों के मुताबिक इसका जवाब राजनीति और वोट से जुड़ा हुआ है। एनडीटीवी के मुताबिक कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि यही वजह है कि पार्टी थरूर के खिलाफ ऐक्शन लेने से झिझक रही है। बता दें कि कांग्रेस की केरल यूनिट में थरूर और केसी वेणुगोपाल के बीच ठनी हुई है। जहां केसी वेणुगोपाल को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। वहीं, थरूर वोटर्स के बीच काफी लोकप्रिय हैं। वह साल 2009 से लगातार यहां से सांसदी जीत रहे हैं और कभी भी 34 फीसदी से कम वोट नहीं हासिल किए हैं।
केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में कांग्रेस शशि थरूर के खिलाफ किसी तरह का ऐक्शन लेकर अपने लिए मुसीबत मोल नहीं लेना चाहती है। इसके अलावा स्थानीय निकाय चुनावों में भी कांग्रेस शशि थरूर के प्रभाव का लाभ उठाना चाहेगी। इस तरह कांग्रेस नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट राज्य पर शासन कर रही शासित लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट पर बढ़त बनाने की उम्मीद करेगी। 2020 में हुए चुनाव में कांग्रेस यहां 2.26 फीसदी वोटों से पीछे थी।
थरूर को भी पता हैं हालात
शशि थरूर को यह बात कायदे से पता है कि पार्टी की स्थिति क्या है। इसके अलावा अगले साल चुनाव में वह खुद भी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट का सीएम फेस बनने की मंशा पाले हुए हैं। हालांकि इस बात की बेहद कम उम्मीद है कि कांग्रेस यह स्वीकार करेगी।







