प्रकाश मेहरा
अहमदाबाद: विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर में तुलना की ठोस वजहें हैं। यह तुलना सिर्फ इसलिए नहीं होनी चाहिए कि न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबले में विराट ने सचिन के शतकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। रिकॉर्ड तो बनते ही हैं टूटने के लिए। आज सचिन के रिकॉर्ड टूटे हैं, तो कल विराट के भी टूटेंगे। इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। मगर में तो विराट का इसलिए कायल हूं, क्योंकि वह एक महान खिलाड़ी होने के साथ- साथ एक महान इंसान भी है, और यहीं पर सचिन तेंदुलकर उनसे मात खा जाते हैं। आज के इस नफरत के दौर में, जब लोगों ने क्रिकेट के मैदान को भी जंग का मैदान बना दिया है, तब विराट कोहली एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जो खेल के जरिये मोहब्बत बांटते हुए दिखते हैं। सचिन तो मौजूदा हालात पर कोई टिप्पणी भी नहीं कर पाते, जबकि विराट खुलकर अपनी राय रखते हैं।
इसके अलावा भी दोनों खिलाड़ियों में कई अंतर है। जैसे- विराट यह सिखाते हैं कि कठिन समय से कैसे लड़ना है और कैसे उससे बाहर नि कलना है? अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है, जब खराब फॉर्म का ठीकरा उनकी पत्नी पर फोड़ा जा रहा था। उनकी निजी जिंदगी पर जमकर कटाक्ष किए जा रहे थे। मगर विराट शांत रहे। उन्होंने जवाब दिया भी, तो अपने बल्ले से, और इस तरह दिया कि पूरा देश उनका कायल हो गया है। यह इसलिए भी संभव हुआ, क्योंकि विराट ने अपने रिकॉर्ड से ज्यादा टीम की जीत को तवज्जो दी। मगर सचिन कई बार मैदान में अपने लिए खेलते दिखे। यहां तक कि अपने आखिरी के दिनों में वह कई बार ‘प्लेइंग 11’ में फिट नहीं बैठ रहे थे, फिर भी उन्हें सम्मानजनक विदाई का मौका दिया जाता रहा। उनको टीम प्रबंधन का पूरा साथ मिला, तब जाकर उन्होंने रिकॉर्ड बनाए, जबकि विराट के खिलाफ तो टीम प्रबंधन भी हो गया था, फिर भी उन्होंने खुद को साबित किया।
विराट सिखाते हैं कि फर्श से अर्श पर फिर से कैसे पहुंचना है, क्योंकि हर किसी के जीवन में विपरीत परिस्थितियां आती ही हैं, और जिसने उस समय को जीत लिया, वही सिकंदर कहलाता है। देखा जाए, तो आज भारतीय क्रिकेट टीम में विराट नहीं होते, तो टीम शायद ही विश्व कप के फाइनल में पहुंच पाती। उनका अब तक जिस तरह का प्रदर्शन रहा है, सब यही उम्मीद कर रहे हैं कि वह टीम को विश्व कप का खिताब दिलाएंगे। वह भरोसा उन्होंने यूं ही नहीं कमाया है। इसके लिए जितनी मेहनत उन्होंने की है, उतना श्रम कोई दूसरा खिलाड़ी शायद ही कर सकता है।