नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में जिलों में हर विभाग के अलग-अलग होने के कारण दिल्ली के लोग जिलों के मकड़जाल में जकड़ चुके हैं। यह कहना है सामाजिक कार्यकर्ता चौधरी हरपाल एक साथ विभागों के कार्यालय करवाने के लिए कई वर्षों से प्रयास कर रहे, राणा कहते है कि, दिल्ली में जिलों के मुकाबले विभागों की संख्या में अंतर देखा जा सकता है। शिक्षा विभाग 12, राजस्व विभाग और चुनाव विभाग 11, महिला बाल विकास विभाग और समाज कल्याण विभाग 10, भवन एवं श्रमिक कल्याण विभाग 9 और खाद्य आपूर्ति विभाग 8 है। तो वही दिल्ली पुलिस के जिलों की संख्या 11है।
दिल्ली के लोगों को अपना काम करवाने के लिए अलग-अलग जिलों के अलग-अलग कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। सभी विभागों के मुख्यालय जिले में एक ही स्थान पर होने चाहिए। उन्होंने अपने गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि, यदि व्यक्ति उत्तरी दिल्ली के गांव कादीपुर में रहता है। उसका पुलिस जिला बाहर बाहरी उत्तरी लगता है। शिक्षा शालीमार बाग, समाज कल्याण किंग्सवे कैंप और खाद्य आपूर्ति शालीमार बाग है। जिसके चलते लोगों को इधर उधर आने जाने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है और खर्च सो अलग। इसके समाधान के लिए राणा दिल्ली सरकार से लंबे समय से पत्राचार के माध्यम से मांग कर रहे हैं, कि देश के बाकी राज्यों की तरह राजधानी दिल्ली के हर विभाग के जिलों की संख्या एक समान की जाए और उसका मुख्यालय भी उसी जिले में बनाया जाए। ताकि लोगों को अपने कार्य करवाने के दौरान कार्यालय के चक्कर ना काटने पड़ें।