Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

हाय-तौबा उचित नहीं

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
January 28, 2023
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
गंगा विलास’
23
SHARES
754
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

अवधेश कुमार


भारत ने विश्व के सबसे लंबे रिवर क्रूज यात्रा का शुभारंभ किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी से डिब्रूगढ़ तक जाने वाली गंगा विलास को वर्चुअल हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इन्हें भी पढ़े

सांसद रेणुका चौधरी

मालेगांव फैसले के बाद कांग्रेस सांसद के विवादित बोल- हिंदू आतंकवादी हो सकते हैं

July 31, 2025
पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु

इस नेता ने लगाया था देश का पहला मोबाइल फोन कॉल, हेलो कहने के लग गए थे इतने हजार

July 31, 2025

‘एक पेड़ मां के नाम’: दिल्ली के सरस्वती कैंप में वृक्षारोपण कार्यक्रम, समाज को दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश!

July 31, 2025
nisar satellite launch

NISAR : अब भूकंप-सुनामी से पहले बजेगा खतरे का सायरन!

July 30, 2025
Load More

इसके साथ काशी में गंगा पार बने टेंट सिटी का भी उद्घाटन उन्होंने किया। इसे लेकर देश में दो धाराएं फिर दिखाई दे रही है। एक बड़ा वर्ग ऐसे वक्तव्य दे रहा है मानो नदियां भी अब अमीरों के विलास के लिए समर्पित कर दी गई है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि नाविकों का काम खतरे में पड़ जाएगा। इसे गंगा में भोग विलास को बढ़ावा देने का वाहक तक बताया जा रहा है।

क्या यह गंगा को पर्यटकों के भोग विलास को समर्पित करने वाला कदम है? क्या वाकई इससे नाविकों का काम ठप हो जाएगा? क्या इसकी कोई उपयोगिता नहीं है? बरसों से विशेषज्ञ बताते रहे हैं कि यह जलमार्गों वाला देश रहा है। सडक़ और रेल माग से कम खर्च और कम समय में जल मार्गों के द्वारा हर तरह के यातायात का लाभ उठाया जा सकता है। भारत में जल मार्गों का पुराना इतिहास है। प्राचीन इतिहास में आपको उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम अनेक बंदरगाहों की चर्चाएं मिलेंगी। उनके प्रमाण भी है। जिस वृहत्तर भारत के बारे में हम इतिहास में पढ़ते थे उसके पीछे सबसे बड़ी ताकत जलमार्ग ही था, जिससे न केवल व्यापारी, बल्कि हमारे देश के साधु-संत विद्वान और राजाओं की सेनाएं गमन करतीं थीं।

भारत जैसे नदियों के देश में चल यातायात से सुगम साधन कुछ हो ही नहीं सकता। जब आप जल यातायात की योजना बनाते हैं तो फिर उससे जुड़े हुए दूसरे पहलू भी सामने आते हैं। मसलन, आप पर्यटन के लिए बस, रेल चलाते हैं तो नदियों का इस दृष्टि से शानदार उपयोग क्यों नहीं होना चाहिए? हम मानते हैं कि तीर्थस्थलों की पवित्रता उनका सम्मान बचाए रखने के लिए उसे संपूर्ण पर्यटक स्थल में नहीं बदला जाना चाहिए। क्या वाराणसी में गंगा पार बनी टेंट सिटी इस कसौटी पर खरा नहीं उतरती?

मूल बात होती है एप्रोच की। क्या नरेन्द्र मोदी सरकार या उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भारत में अभी तक की सरकारों से तीर्थस्थलों को विकसित करने के मामले में अव्वल है या पीछे? इस एक प्रश्न का उत्तर तलाशने, आपको सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा। जब वे स्वयं तीर्थ क्षेत्रों को तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने और वहां वो सारी सुविधाएं देने पर काम कर रहे हैं जो सामान्यत: पहले पर्यटक केंद्र घोषित होने के बाद मिलती थी तो वे वाराणसी और अन्य स्थलों के तीर्थ क्षेत्र की गरिमा को गिराने की कोशिश करेंगे ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता। सच यह है कि लंबे समय से जल यातायात की बात होती थी, लेकिन इस दृष्टि से किसी भी सरकार ने व्यापक योजना बनाकर उसे जमीन पर उतारने का उद्यम नहीं किया जैसा मोदी सरकार ने किया है। 2014 में 5 राष्ट्रीय जलमार्ग थे। आज 24 राज्यों में 111 राष्ट्रीय जलमार्ग को विकसित किया जा रहा है। जलमार्ग से एक तिहाई लागत घट जाती है। प्रधानमंत्री ने क्रूज और टेंट सिटी के उद्घाटन के साथ बिहार में पटना के दीघा, नकटा दियारा, बाढ, पानापुर और समस्तीपुर के हसनपुर में पांच सामुदायिक घाट की आधारशिला भी रखी। यही नहीं बंगाल में हल्दिया मल्टीमॉडल टर्मिंनल और असम के गुवाहाटी में पूर्वोत्तर के लिए समुद्री कौशल विकास केंद्र का भी लोकार्पण किया।

उन्होंने कोलकाता के लिए मालवाहक जलयान आरएन टैगोर को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इनकी चर्चा नहीं हो रही है। इन सबको साथ मिलाकर विचार करेंगे तो यह भारत के अपने जल संसाधनों के समुचित उपयोग और सडक़ों एवं रेलों से बढ़ते यातायात का बोझ कम करने के साथ गंगा पट्टी के विकास की दृष्टि से नये युग की शुरु आत दिखाई देगी। सच यह है कि स्वतंत्रता के बाद एक समय भारत की सभ्यता का केंद्र गंगा घाटी के क्षेत्र विकास में पिछड़ते चले गए। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल की कैसी दशा रही है? क्या छाती पीटने वाले इस सच्चाई को नहीं जानते? उस क्षेत्र को विकसित करना है तो गंगा की उसमें बड़ी भूमिका होगी और यह कदम उस दृष्टि से ऐतिहासिक कहा जाना चाहिए। सरकार ने ‘नमामि गंगे’ और ‘अर्थ गंगा अभियान’ चलाया। अगर प्रधानमंत्री की मानें तो गंगा विलास दोनों अभियानों को नई ताकत देगा। हम भारत में पर्यटकों को आकर्षित करना चाहते हैं तो अपनी संस्कृति, सभ्यता से लेकर वायुमंडल आदि का ध्यान रखते हुए ऐसे अभियानों को प्रोत्साहित करना होगा।

इस ग्रुप में स्विट्जरलैंड के 32 पर्यटक यात्रा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में उनको संबोधित करते हुए कहा कि भारत में वह सब है आप जिसकी कल्पना नहीं कर सकते हैं। यानी इसके द्वारा भारत को दिखाना चाहते हैं, जिसकी तस्वीरें देखने के बाद संपूर्ण दुनिया के पर्यटक यहां आएंगे। दूसरे, नाव से इतनी लंबी यात्रा नहीं कर सकते हैं। क्रूज वाराणसी के इस घाट से उस घाट नहीं ले जाते और न ही यात्रियों को स्नान से लेकर उनके सामान्य भ्रमण में प्रयोग होते हैं। जाहरि है, नाविकों का काम अपनी जगह है और क्रूज की उपयोगिता अपनी जगह। तीसरे, नरेन्द्र मोदी सरकार ने वाराणसी के लिए जो सुविधाएं दी है उसकी भी जानकारी देश को होनी चाहिए। सीएनजी से चलने वाले नाव आपको मिल जाएंगे जो नाविकों को ज्यादातर मुफ्त और बाद में बहुत छोटी किस्तों पर दिया गया है। उसके बेहतर रूप सामने आने वाला है। जहां तक वाराणसी के आध्यात्मिक, संस्कृतिक, सभ्यतागत चरित्र और मूल्यों का विषय है तो यह मानने का कोई कारण नहीं है कि इन सबसे उस पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अगर टेंट सिटी गलत है तो किसी तीर्थस्थल में आधुनिक सुविधाओं से युक्त होटल व टूरिस्ट पैलेस भी नहीं होना चाहिए।

यह बात ठीक है कि 30 हेक्टेयर में बने टेंट सिटी का किराया भी सामान्य आदमी वहन नहीं कर सकता, लेकिन देश और दुनिया के संपन्न लोग कहते रहे हैं कि वाराणसी में उनके ठहरने से लेकर अध्यात्म साधना और अन्य कार्यक्रमों के लायक आकषर्क जगह की कमी है। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि गंगा विलास और टेंट सिटी सभी दृष्टि से आकषर्क, अच्छी और लाभकारी पहल है। आने वाले अनुभव से इनका भविष्य तय होगा। गंगा के यातायात पर्यटन एवं अन्य उपयोग की दृष्टि से या उम्मीद पैदा करने वाली शुरु आत है।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
TERI Summit pm modi

समावेशिता और पहुंच की दिशा में भारत की यात्रा का निर्धारण

April 24, 2023
Mario Molina

जानिए कौन हैं मारियो मोलिना, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का पता लगाने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

March 19, 2023
india-china

PM मोदी पर चीन की भविष्यवाणी, अबकी बार 430 पार!

May 16, 2024
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • मालेगांव फैसले के बाद कांग्रेस सांसद के विवादित बोल- हिंदू आतंकवादी हो सकते हैं
  • डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में किन उद्योगों के लिए बजाई खतरे की घंटी!
  • इस नेता ने लगाया था देश का पहला मोबाइल फोन कॉल, हेलो कहने के लग गए थे इतने हजार

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.