प्रकाश मेहरा
नई दिल्ली। हिंदू संगठनों के बीच एकता को मजबूत करने और सनातन धर्म के खिलाफ भावनाओं के आधार पर फैलाई गई नफरत एवं पूर्वाग्रहों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के संकल्प के साथ तीन दिवसीय विश्व हिंदू सम्मेलन रविवार को यहां संपन्न हो गया।
सम्मेलन के दौरान प्रतिनिधियों ने विदेशों में चुने गए हिंदू जन प्रतिनिधियों को संगठित करके और उनके बीच संवाद बढ़ाकर उन्हें राजनीतिक विमर्श से लड़ने के लिए समर्थवान बनाने का भी संकल्प लिया। आयोजकों ने घोषणा की कि अगला विश्व हिंदू सम्मेलन (कांग्रेस) 2026 में मुंबई में आयोजित किया जाएगा। प्रतिनिधियों को भुरभरे और सख्त लङ्क वितरित कर हिंदू एकता का संदेश दिया गया। वितरित किए गए लडू के डिब्बे पर संदेश लिखा था, ‘दुर्भाग्य से, वर्तमान में हिंदू समाज एक भुरभुरे लड्डू जैसा है, जिसे आसानी से तोड़ा जा सकता है और फिर आसानी से खाया जा सकता है।’
इसमें कहा गया कि एक बड़ा सख्त लड्डू मजबूती से बंधा हुआ और एकजुट होता है तथा इसे आसानी से नहीं तोड़ा जा सकता है। हिंदू समाज को एक बड़े सख्त लडू की तरह होना चाहिए, जिसे तोड़ना बहुत मुश्किल हो। तभी यह शत्रु ताकतों से अपनी रक्षा कर पाएगा। थाईलैंड की राजधानी में आयोजित इस सम्मेलन में 61 देशों के 2,100 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। शुक्रवार को सम्मेलन का उद्घाटन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने किया था, जबकि आध्यात्मिक गुरु माता अमृतानंदमयी देवी ने रविवार को समापन भाषण दिया।
विश्व हिंदू कांग्रेस के संस्थापक स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान हिंदुओं से संपर्क करने की प्रक्रिया धीमी हो गई थी। हम अब इस प्रक्रिया को फिर से गति दे रहे हैं। मंदिरों की उन जमीन को ईसाई संगठनों के नियंत्रण से वापसी पर भी ध्यान दिया जाएगा, जिनपर कॉलेज और अन्य संस्थानों बना दिए गए हैं।