नई दिल्ली: भारत में कई नदियां बहती हैं जो करोड़ों लोगों को जिंदगी देती हैं. नदिया हमारी जिंदगी और सभ्यता का आधार रही हैं. अगर किसी नदी को शोक कहा जाता है तो यह अपने आप में एक रोचक और अनोखी बात लगती है. इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि भारत की किस नदी को बंगाल का शोक कहा जाता है और इसके पीछे क्या कारण है.
किस नदी को कहा जाता बंगाल का शोक?
भारत में कई नदियों को उनकी खासियतों के कारण जाना जाता है. लेकिन दामोदर नदी एक ऐसी नदी है जिसे पूरे देश में बंगाल का शोक नाम से जाना जाता है. यह नदी अपने आप में एक रोचक कहानी बनी हुई है. इसके नाम के पीछे का कारण हर कोई जानना चाहता है.
कहां से निकलती है दामोदर नदी?
बंगाल का शोक कही जाने वाली दामोदर नदी झारखंड के छोटानागपुर पठार की खामरपाट पहाड़ी से बहना शुरू होती है और लगभग 592 किमी का सफर करने के बाद में यह हावड़ा जिले में हुगली नदी में जाकर मिल जाती है.
दामोदर और इसकी सहायक नदियां
दामोदर नदी अपने साथ में कई सहायक नदियों को लेकर बहती है. दामोदर और इसकी सहायक नदियां बराकर, कोनार, बोकारो, हाहारो और जमुनिया मुख्य रूप से वर्षा आधारित हैं. मानसून के मौसम में लगभग 1400 मिमी बारिश का ज्यादातर हिस्सा जून से अगस्त के बीच ही गिरता है.
क्यों कहलाती है बंगाल का शोक?
दामोदर नदी अपने साथ में कई नदियों को लेकर बहती है और बारिश का ज्यादातर हिस्सा इसमें गिरता है. इसी कारण यहां पानी अचानक बढ़ जाता है और नदी उग्र धारा बन जाती है और रास्ते में आने वाली हर चीज को अपने साथ बहा ले जाती है. इसके इस नाम के पीछे का सबसे बड़ा कारण इस नदी से लगातार बाढ़ आना है.
इतिहास में कई बार आई है बाढ़
इस नदी से आई बाढ़ों की संख्या काफी ज्यादा है. इस नदी से साल 1770, 1855, 1866, 1873–74, 1875–76, 1884–85, 1891–92, 1897, 1900, 1907, 1913, 1927, 1930, 1935 और 1943 में भारी बाढ़ आई थी. जिससे बड़ी संख्या में लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई थी.
कई बार डूबा वर्धमान शहर
इस नदी में आती बाढ़ के कारण पश्चिम बंगाल का वर्धमान शहर कई बार पूरी तरह से डूब गया था. साल 1770, 1855, 1913 और 1943 में आई भयंकर बाढ़ के कारण यह शहर इन सालों में लगभग पूरी से पानी में डूब गया था.







