पटना, 08 जून ( आरएनएस) । देश में पर्यावरण के दृष्टिकोण से सडक़ों के किनारे वृक्षारोपण की परंपरा है। यह सदियों से चला आ रहा है लेकिन स्थानीय लोग अपनी जरूरत के हिसाब से इन पेड़ों को काट देते है जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है बल्कि सरकारी राजस्व की भी क्षति होती हे। इस बाबत कानून बनाने के उदेश्य से सरकार को सारण सांसद सह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने कई बार लिखा था।
अब राज्य सरकार इस मामले पर गंभीर हुई है। और सारण से होकर गुजरने वाली 8 सडक़ों के किनारे के वृक्षों को संरक्षित वन क्षेत्र कानून के अंतर्गत लाया गया है। वृक्षों की रंगाई का काम किया जा रहा है जिसके बाद इन नंबर भी डाला जायेगा। इस कारण अब सरकारी सडक़ों के किनारे लगाये गये वृक्ष की अवैध कटाई नहीं हो सकती और इसके लिए सजा या जुर्माना हो सकता है। वृक्षों को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सांसद रुडी ने सारण की जनता की तरफ से धन्यवाद दिया है और कहा है कि इसी तरह पूरे राज्य में सडक़ों के किनारे विशेष वृक्षारोपण होना चाहिए और उनका संरक्षण कानून के अनुसार होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सडक़ों के किनारे लगे वृक्षों का भी वनस्पति विविधता संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान है। सडक़ के किनारे के ये वृक्ष जहाँ एक ओर सडक़ों को सुरक्षा प्रदान करते हैं वही दूसरी ओर ये वृक्ष मार्गों पर चलने वालों को छाया व सुखद अनुभूति देते हैं एवं वाहनों से निकले प्रदूषण को भी नष्ट करते है।
इस संदर्भ में सांसद ने बताया कि संरक्षित वन क्षेत्र घोषित इन पथों के किनारे के वृक्षों को अब चुने या लकड़ी का कोयला जलाने, किसी भी प्रकार के निर्माण प्रक्रिया, वन क्षेत्र के किसी भी वृक्ष की कटाई, भूमि की कटाई आदि प्रतिबंधित होगा। अतिआवश्यक कार्यवश नियमानुसार ही वृक्ष की कटाई हो सकेगी। सांसद ने राज्य सरकार को जो पत्र भेजा है उसके अनुसार सभी वृक्षों की नंबरिंग होनी चाहिए और इसका एक डाटाबेस या रिकार्ड संबंधित विभाग के पास होना चाहिए। वृक्षों के नंबरीकरण के लिए वृक्षों की रंगाई पुताई का काम पहले ही आरंभ भी हो गया था जो अब समाप्त होने वाला है। इस संदर्भ में सांसद ने बताया कि पथ निर्माण विभाग के पथों के किनारे वन विभाग द्वारा लगाये गये पेंडों के संरक्षण की जिम्मेवारी उसी विभाग की होती है। राज्य में बड़ी संख्या में पथ निर्माण विभाग के पथों के किनारे वृक्ष है। समय-समय पर अवैध रूप से इन वृक्षों की कटाई होती रही है। इस प्रकार से वृक्षों की अवैध कटाई के संदर्भ में सारण जिला की संपन्न दिशा बैठकों में भी चर्चा हुई है और राज्य सरकार से भी संवाद स्थापित हुआ था।
वृक्षों की अवैध कटाई रोकने के सांसद ने संरक्षित वन क्षेत्र की श्रेणी में लाने के साथ राज्य सरकार को पथों के किनारे लगाये गये सभी वृक्षों को चिन्हित करते हुए उनपर उनकी एक संख्या अंकित कर उन्हें रिकॉर्ड में लाने की बात कही थी जिससे किस पथ की दूरी कितनी है और कितनी दूरी पर कितने वृक्ष है इसकी जानकारी उपलब्ध रहेगी और भविष्य में यदि वृक्षों की अवैध कटाई होती है तो कानूनी कार्रवाई करने में आसानी होगी। राज्य सरकार ने सांसद की पहल को गंभीरता से लेते हुए इस पर कार्रवाई की और सारण से गुजरने वाले हाजीपुर से छपरा होते हुए सिवान, गुठनी पथ, छपरा, मांझी होते हुए दरौली गुठनी पथ, छपरा-सलेमपुर पथ, छपरा-मुजफ्फरपुर पथ, छपरा खैरा-सत्तरघाट पथ, छपरा, मढ़ौरा-अमनौर पथ, शीतलपुर-परसा मकेर पथ को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करते हुए वृक्षों के संरक्षण के लिए कड़े कानून लागू कर दिया है। जारी किये गये आदेशानुसार राज्य के 101 पथों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है।