नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियों ने एक साथ एनडीए गठबंधन से लोहा लेने के लिए इंडिया (I.N.D.I.A.) गुट बनाया है। इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में विपक्षी पार्टियां इंडिया गुट के बैनर तले ही इन विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेने वाली हैं। मगर सीटों के बंटवारे के लेकर अभी से ही इंडिया गुट की सहयोगी पार्टियों के बीच ठन गई है। मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस भिड़ गई हैं। दोनों पार्टियों के आला नेताओं की ओर से एक दूसरे पर बयानबाजी जारी है। मध्य प्रदेश में सीटों के बंटवारे को लेकर अखिलेश यादव के माथे पर गुस्सा साफ नजर आ रहा है। उधर कांग्रेस ने भी अखिलेश के ऊपर टिप्पणी कर सपा सुप्रीमो को बोलने का मौका दे दिया है। ऐसे में इंडिया गुट के दो प्रमुख दलों का आपस में भिड़ना 2024 में बीजेपी के खिलाफ इंडिया गुट रणनीति को कमजोर बनाता है।
पहले अखिलेश यादव ने यूपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को चिरकुट नेता बताया। इसके बाद कांग्रेस को इन जैसे नेताओं से सपा के बारे में बोलने को लेकर नसीहत दे डाली। इसके बाद अब सपा प्रमुख ने कमलनाथ की बयानबाजी के बाद उन्हें छुटभैया नेता बता दिया। उन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के बयान पर पलटवार करते हुए यह बात कही। दरअसल समाजवादी पार्टी प्रमुख मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सबसे पुरानी पार्टी और सपा के बीच गठबंधन बनाने में विफल रहने के बाद कांग्रेस की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।
सीटों के बंटवारे पर छिड़ेगी रार?
अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सीटों का बंटवारा उस दौरान भी काफी अहम होगा। मगर सीटों के बंटवारों को लेकर गठबंधन में अलग-अलग धारणाएं हैं। कांग्रेस इस बात पर जोर देती है कि गुट की पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए हो। जबकि कई छोटी पार्टियों का मानना है कि भाजपा को हराने के लिए मिलकर काम करना चाहिए चाहे वह राज्य चुनाव हों या लोकसभा चुनाव।
यूपी में सपा लेगी बदला!
वहीं सीटों के बंटवारे की पेचीदगी आगे भी साफ दिखाई दे रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को चेतावनी दी कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को उसी तरह का व्यवहार झेलना पड़ेगा जैसा मध्य प्रदेश में उनकी पार्टी के साथ किया गया था। सपा-कांग्रेस झगड़े के बीच इंडिया गुट के एक और सहयोगी दल आम आदमी पार्टी भी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं इंडिया गुट की कुछ पार्टियों ने कांग्रेस से संपर्क किया है और उनसे बड़ा दिल दिखाते हुए और सपा के लिए कुछ सीटें छोड़ने को कहा है। दूसरी ओर, कांग्रेस नेताओं ने तर्क दिया कि इस स्थिति में हर सीट महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि विधानसभा चुनाव, लोकसभा की लड़ाई से पहले आखिरी पड़ाव है जो उनकी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं।
महाराष्ट्र में कन्फ्यूजन
वहीं महाराष्ट्र में इंडिया गुट की तीनों पार्टियां – कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) महाराष्ट्र में सभी 48 लोकसभा सीटों पर अपनी अलग-अलग तैयारी कर रही हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने महाराष्ट्र के 48 सीटों का दौरा किया और वहां पार्टी की स्थिति जानी। इस तरह शिवसेना ने भी 48 लोकसभा सीटों पर अपनी पार्टी की स्थिति जानने के लिए आला नेताओं की बैठक बुलाई। इसी कड़ी में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी महाराष्ट्र में लोकसभा सीटों पर पार्टी की स्थिति के लिए मुंबई मैं बैठक बुलाई। महाराष्ट्र में तीनों पार्टियों द्वारा अलग-अलग चुनाव की तैयारी करने की वजह वहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं में भ्रम का माहौल है। पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि वह किसी सीट पर मेहनत करें और सहयोगी पार्टी वह सीट जीत ले तो ऐसी स्थिति में उनका भविष्य अंधकार में चला जाएगा।
इंडिया गुट ने भले ही समन्वय समिति बना ली हो लेकिन सीटों के बंटवारे और आपसी बयानबाजी को देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है, सहयोगी पार्टियों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसे में सामने 2024 का लोकसभा चुनाव पड़ा है। अगर ऐसी ही स्थिति रही तो भाजपा से लोहा लेने में उन्हें काफी मुश्किल आने वाली है।