नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को उन सभी आरओ निर्माताओं को वाटर प्यूरीफायर पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया था, जहां पानी में टीडीएस का स्तर 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है।
जस्टिस एस.ए. नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने जल संसाधन मंत्रालय, पर्यावरण और वन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य को नोटिस जारी किया। बेंच ने कहा कि नोटिस पर तीन महीने के भीतर जवाब दाखिल किया जाए। अगले आदेश तक संबंधित आदेश के पैरा छह में निहित निर्देश पर रोक लगाई जाती है।
सुप्रीम कोर्ट एनजीटी के एक दिसंबर 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली ‘वाटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन’ द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। एनजीटी ने सीपीसीबी को उन सभी आरओ निर्माताओं को वाटर प्यूरीफायर पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश जारी करने का आदेश दिया था, जहां पानी में कुल घुलनशील अपशिष्ट (टीडीएस) का स्तर 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है। एनजीटी ने सीपीसीबी को कार्टिज सहित आरओ ‘रिजेक्ट’ (अशोधित पानी) के प्रबंधन पर निर्देश जारी करने के लिए भी कहा था।
एनजीटी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ इस ट्रिब्यूनल के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए हम सीपीसीबी को पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986 की धारा पांच के तहत सभी निर्माताओं को उचित आदेश जारी करने का निर्देश देते हैं जो आगामी एक महीने के भीतर लागू होने चाहिए।
एनजीटी ने कहा था कि पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा ‘जल शोधन प्रणाली के उपयोग पर विनियमन’ के संबंध में जारी गजट अधिसूचना को उसके आदेश के अनुपालन के अनुरूप नहीं कहा जा सकता है। एनजीटी ने कहा था कि इस ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार, जहां टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, वहां आरओ सिस्टम को विनियमित और प्रतिबंधित करने का कोई प्रावधान नहीं है। आरओ रिजेक्ट का, आपूर्ति श्रंखला प्रबंधन भी नहीं है। इसी तरह पानी की बर्बादी की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
आरओ प्यूरीफायर के उपयोग को विनियमित करने के लिए एनजीटी ने सरकार को उन पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था, जहां टीडीएस प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से कम है और जनता को ‘डिमिनरलाइज्ड’ पानी के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए कहा था।
रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) जल शोधन की एक प्रक्रिया है जिसमें पानी से अति सूक्ष्म दूषित पदार्थों को हटा दिया जाता है। एनजीटी ने एक गैर सरकारी संगठन ‘फ्रेंड्स’ द्वारा दायर एक याचिका पर निर्देश दिया था, जिसमें आरओ सिस्टम के अनावश्यक उपयोग के कारण पानी की होने वाली बर्बादी को रोककर पीने योग्य पानी के संरक्षण का अनुरोध किया गया था।