नई दिल्ली : हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फिर से सख्त रुख दिखाया है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जब भी कोई नफरत फैलाने वाला भाषण दिया जाए, वे बिना किसी शिकायत के एफआईआर दर्ज करने के लिए स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया है कि हेट स्पीच देने वाले व्यक्तियों के धर्म की परवाह किए बिना ऐसी कार्रवाई की जाए ताकि भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को जारी रखा जा सके।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले दर्ज करने में देरी को कोर्ट की अवमानना माना जाएगा। यह टिप्पणी तब की गई है जब शीर्ष अदालत हेट स्पीच के मामलों के खिलाफ कार्रवाई करने में राज्यों द्वारा कथित निष्क्रियता दिखाने के बैच की सुनवाई कर रहा था। हेट स्पीच को एक गंभीर अपराध करार देते हुए कोर्ट ने आगे कहा कि हेट स्पीच देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित करने में सक्षम है।
हेट स्पीच के कई मामले पिछले कुछ समय में देखे गए हैं। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की गई हैं। कोर्ट ने हाल-फिलहाल के समय में सरकारों के खिलाफ कड़ी टिप्पणियां भी की हैं। पिछले महीने ही हेट स्पीच से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस समय राजनीति व धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का उपयोग करना बंद कर देंगे, तब हेट स्पीच बंद हो जाएगी।
उन्होंने देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों का भी जिक्र किया था और कहा था कि उनके समय में दूर-दूर के लोग उन्हें सुनने के लिए आते थे। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा था कि हर दिन फ्रिंज एलिमेंट टेलीविजन और मंचों से दूसरों को बदनाम करने के लिए स्पीच दे रहे हैं।