पालमपुर: सी.एस.आई.आर.-आई.एच.बी.टी, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश, भारत में 23 सितंबर 2024 को “सतत सुगंधी खेती – उद्योग, किसान और अकादमिक सम्मेलन (अरोमा मिशन)” का आयोजन सी एस आई आर-एरोमा मिशन के अंतर्गत किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देना था।
हिमाचल प्रदेश से 100 से अधिक किसान, उद्यमी और स्टार्ट-अप्स के साथ साथ विभिन्न उद्योगपति और वैज्ञानिक इस कार्यक्रम में शामिल हुए। सी.एस.आई.आर.-आई.एच.बी.टी के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने संस्थान की गतिविधियों और किसानों व उद्योगों के लिए संभावित अवसरों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. मनीष दास, निदेशक, आईसीएआर-डायरेक्टरेट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट रिसर्च (आई सी ए आर-डी एम ए पी आर), आनंद, गुजरात ने सुगंधित और औषधीय पौधों की सतत खेती और नवीन प्रौद्योगिकियों पर अपने विचार साझा किए।
विशिष्ट अतिथि, श्री सुरेंद्र मोहन, नेचुरल बायोटेक प्रोडक्ट्स, मंडी, हिमाचल प्रदेश, ने हिमाचल प्रदेश में सुगंधित पौधों की खेती और उनके विपणन के बारे में मार्गदर्शन दिया, जबकि डॉ. रमाकांत हरलालका, संस्थापक और अध्यक्ष, निशांत एरोमा प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र ने हिमालयी क्षेत्र में दमस्क गुलाब, कैमोमाइल, सगंधित जेरेनियम, एरोमैटिक गेंदा, रोजमेरी, मुश्कबाला, जैस्मीन जैसे सगंधित पौधों की क्षमता और उनके अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग के बारे में बताया।
सी.एस.आई.आर.-आई.एच.बी.टी के कृषि प्रौद्योगिकी प्रभाग के प्रमुख डॉ. सनतसुजात सिंह ने संस्थान द्वारा विकसित सुगंधित फसलों की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी। वरिष्ट प्रधान वैज्ञानिक और एरोमा मिशन के सह-नोडल अधिकारी डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि सिट्रोनेला, लेमनग्रास और पामारोसा निचले क्षेत्रों के लिए लाभदायक हैं। उन्होंने बताया कि इन सुगंधित पौधों से उत्पादित सगंध तेल का उपयोग सगंध उद्योग, कॉस्मेटिक्स, टॉयलेटरीज़, खाद्य और पेय पदार्थ उद्योग और एरोमाथेरेपी में किया जाता है। 2022 में वैश्विक सगंधित तेल बाजार का मूल्य 8.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और इसके 2027 तक 11.8% की सी ए जीआर से बढ़कर 15.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
कार्यशाला के दौरान, किसानों ने सगंधित फसलों की खेती से संबंधित सवाल पूछे और चर्चा में भाग लिया। किसानों को गेंदा, कैमोमाइल और पामारोजा के बीज वितरित किए गए। इन सुगंधित फसलों की खेती कर रहे प्रगतिशील किसानों श्री पवन कुमार, श्री ओम प्रकाश, श्रीमती पूजा, श्रीमती आशा और श्री दीप सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए और सगंधित फसलों और उनके उत्पादों के सफल अनुभव साझा किए। प्रतिभागियों को चंदपुर फार्म के प्रयोगात्मक क्षेत्रों का दौरा कराया गया, जहां उन्होंने खेती, फसलोपरांत प्रक्रिया और भंडारण तकनीकों के बारे में सीखा। इंजीनियर मोहित शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक (रासायनिक अभियंता) ने किसानों को सगंध तेल प्रसंस्करण का व्यावहारिक प्रदर्शन दिया।
इस अवसर पर दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर भी किए गए, जिनका उद्देश्य सहयोग को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाना और रणनीतिक साझेदारियों का निर्माण करना था।