देश में सामान्य स्थिति होती, तो इन घटनाओं को संवैधानिक संकट के रूप में देखा जाता। अपेक्षा यह होती है कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की गिरफ्तारियां कोर्ट की देखरेख में हो और इसके पहले उस व्यक्ति को संबंधित पद से हटा दिया जाए।
महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को केंद्रीय एजेंसी ने गिरफ्तार किया और उन पर गंभीर आरोप लगाए। इस घटना के कई महीने गुजर चुके हैं, लेकिन महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन ने उन्हें मंत्री बनाए रखा है। इसलिए कि गठबंधन की राय में मलिक निर्दोष हैं और उन्हें केंद्र सरकार ने सियासी कारणों से फंसाया है। अब केंद्रीय एजेंसी (प्रवर्तन निदेशालय) ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के मंत्री जितेंद्र जैन को गिरफ्तार किया है। आम आदमी पार्टी ने भी इसे राजनीति से प्रेरित मामला बताया है। कहा है कि जैन को पार्टी ने हिमाचल प्रदेश की अपनी इकाई का प्रभारी बनाया था, जहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसीलिए केंद्र की भाजपा सरकार ने उन्हें फंसाया है। अगर देश में सामान्य संवैधानिक स्थिति होती, तो इन घटनाओं को एक तरह के संवैधानिक संकट के रूप में देखा जाता। क्योंकि अपेक्षा यह होती है कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की गिरफ्तारियां कोर्ट के आदेश पर उसकी देखरेख में हो और इसके पहले उस व्यक्ति को संबंधित पद से हटा दिया जाए। लेकिन वर्तमान में ऐसी मर्यादाओं और कायदों के तार-तार हो चुके हैं। इसमें सबके पास अपना नैरैटिव है, जिस पर किसी प्रकार की न्यूनतम आम सहमति बनने कि गुंजाइश खत्म हो चुकी है। जबकि सामान्य समझ यह है कि ऐसी आम सहमति के बिना कोई लोकतंत्र नहीं चल सकता।
दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि ऐसी आम सहमति तोडऩे में अकेली भाजपा की ही भूमिका नहीं है। खुद आम आदमी पार्टी ने पंजाब में सत्ता पाते ही पुलिस के दुरुपयोग और मर्यादा की सीमाएं लांघने में कोई देर नहीं लगाई। पंजाब के पिछले चुनाव के दौरान जब केंद्रीय एजेंसियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को निशाना बनाया, तो जहां कांग्रेस ने उसे राजनीति से प्रेरित बताया था, वहीं आम आदमी पार्टी ने उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई बता कर उसका स्वागत किया था। यानी बात यह है कि जब मर्यादा का उल्लंघन आपके हित में हो, तो वह सबको उचित लगता है। वरना, संविधान और नियमों की याद आने लगती है। राजनीतिक दलों के इस रवैए का शिकार भारतीय लोकतंत्र बना है, जिसके भविष्य की संभावनाएं लगातार अंधकारमय होती जा रही हैं।