नई दिल्ली। ताइवान के विदेश मंत्रालय (एमओएफए) ने चीन द्वारा लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र पर जारी नए नीति दस्तावेज में ताइवान को लेकर किए गए दावों की निंदा की है। चीन ने इस दस्तावेज में दोहराया है कि ताइवान उसके क्षेत्र का अभिन्न अंग है और वह ताइवान की किसी भी रूप में स्वतंत्रता का विरोध करता है। ताइवान ने इसे तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने का प्रयास करार दिया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि चीनी कम्युनिस्ट शासन ने कभी ताइवान पर शासन नहीं किया है और ताइवान एक संप्रभु स्वतंत्र राष्ट्र है।
ताइपे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय (एमओएफए) ने चीन पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया है, क्योंकि बीजिंग ने एक नीति दस्तावेज में कहा है कि ताइवान चीन के क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा है और किसी भी रूप में ताइवान की स्वतंत्रता का विरोध किया है। दरअसल, इस सप्ताह की शुरुआत में चीनी विदेश मंत्रालय ने लैटिन अमेरिका और कैरेबियन पर चीन की नीति पत्र नामक दस्तावेज का अनावरण करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें उसने जोर दिया कि ‘एक चीन’ सिद्धांत अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने में चीन का सबसे महत्वपूर्ण आधार और पूर्व शर्त है।
ताइपे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दस्तावेज में कहा गया है कि चीनी सरकार सराहना करती है कि लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन (एलएसी) देशों का बड़ा बहुमत एक चीन सिद्धांत का पालन करता है, यह मान्यता देता है कि दुनिया में केवल एक ही चीन है, ताइवान चीन के क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा है, और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की सरकार पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र वैध सरकार है, जबकि किसी भी रूप में ताइवान की स्वतंत्रता का विरोध करता है।
दूसरी ओर मंत्रालय ने जोर दिया कि बीजिंग का यह झूठा दावा कि ताइवान चीन के क्षेत्र का अभिन्न अंग है और ताइवान की किसी भी रूप में स्वतंत्रता का विरोध करना सच्चाई को तोड़-मरोड़ने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने का प्रयास है। मंत्रालय ने इन दावों की कड़ी निंदा की और उन्हें खारिज करते हुए कहा कि चीन गणराज्य (आरओसी) एक संप्रभु स्वतंत्र राष्ट्र है और चीन गणराज्य तथा पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना एक-दूसरे के अधीनस्थ नहीं हैं।
मंत्रालय ने आगे कहा कि चीनी कम्युनिस्ट शासन ने कभी ताइवान पर शासन नहीं किया है; यह तथ्य न केवल वर्तमान वास्तविकता को दर्शाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा व्यापक रूप से स्वीकृत सत्य भी है। ताइवान की संप्रभुता को गलत तरीके से प्रस्तुत करने वाला कोई भी दावा इस वास्तविकता को बदल नहीं सकता। इसमें आगे कहा गया कि ताइवान के अधिकांश राजनयिक सहयोगी लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र में स्थित हैं, जो चीन के निराधार दावों के खिलाफ सबसे मजबूत सबूत है।
मंत्रालय ने कहा कि चीन वर्षों से सहयोग के बहाने विभिन्न देशों को कर्ज के जाल में फंसाता रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसके ‘धोखेबाज, मीठे जहर’ के प्रति सतर्क हो गया है। मंत्रालय ने कहा कि विदेश मंत्रालय सभी देशों से चीन के लगातार दुष्प्रचार की सामूहिक रूप से निंदा करने का आग्रह करता है। ताइपे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार कि ताइवान चीन के सत्तावादी शासन की धमकियों और राजनयिक दबाव के आगे नहीं झुकेगा।







