स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप का ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों (सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) से 4 जुलाई 2025 को पास हो चुका है और इसे राष्ट्रपति ट्रंप के हस्ताक्षर के बाद कानून बनने की उम्मीद है। यह 800-900 पन्नों का व्यापक विधेयक है, जिसमें टैक्स कटौती, सीमा सुरक्षा, सैन्य खर्च, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में कटौती और पर्यावरण नीतियों में बदलाव जैसे कई प्रावधान शामिल हैं। आइए इस बिल के प्रमुख बिंदुओं, फायदे, नुकसान और भारत पर इसके प्रभाव की विस्तृत रिपोर्ट एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ में क्या है ?
2017 में ट्रंप के पहले कार्यकाल की टैक्स कटौती को स्थायी करने का प्रावधान। टिप्स और ओवरटाइम वेतन पर टैक्स 2028 तक खत्म। सालाना 75,000 डॉलर से कम कमाने वाले बुजुर्गों के लिए 6,000 डॉलर की अतिरिक्त टैक्स छूट। चाइल्ड टैक्स क्रेडिट को 2,200 डॉलर तक बढ़ाया गया। अमेरिका में बनी कारों पर लिए गए लोन के ब्याज पर टैक्स छूट। कुल 4.5 ट्रिलियन डॉलर की टैक्स कटौती का प्रस्ताव।
सीमा सुरक्षा और निर्वासन
अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार के लिए 45 अरब डॉलर और डिटेंशन बेड्स के लिए 46.5 अरब डॉलर का प्रावधान। बड़े पैमाने पर अवैध प्रवासियों के निर्वासन (मास डिपोर्टेशन) के लिए फंडिंग।
सैन्य खर्च में 150 अरब डॉलर की बढ़ोतरी। गोल्डन डोम मिसाइल शील्ड के लिए 25 अरब डॉलर। मंगल मिशन के लिए 10 अरब डॉलर और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को रिटायर करने के लिए 325 मिलियन डॉलर। मेडिकेड और फूड स्टैम्प (SNAP) जैसे कार्यक्रमों में भारी कटौती। मेडिकेड के लिए पात्रता के लिए 65 वर्ष से कम उम्र के सक्षम वयस्कों को प्रति माह 80 घंटे काम करना होगा। स्वच्छ ऊर्जा प्रोत्साहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) पर टैक्स क्रेडिट खत्म, जो 2022 के इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट के तहत शुरू किए गए थे।
3.3 ट्रिलियन डॉलर का घाटा बढ़ाएगा !
संघीय ऋण सीमा को 5 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाने का प्रस्ताव। कांग्रेसनल बजट ऑफिस (CBO) के अनुसार, अगले 10 वर्षों में यह बिल 3.3 ट्रिलियन डॉलर का घाटा बढ़ाएगा। स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए टैक्स क्रेडिट खत्म। जीवाश्म ईंधन उद्योगों (तेल, गैस, कोयला) को सब्सिडी और ड्रिलिंग लीज में लाभ। ईंधन अर्थव्यवस्था नियमों को अनदेखा करने की छूट।
विदेशी रेमिटेंस पर प्रस्तावित टैक्स को 5% से घटाकर 1% किया गया। आधुनिक हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली के लिए फंडिंग।
किसे फायदा होगा ?
अमीर और कॉरपोरेट्स:येल यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष 20% आय वर्ग को टैक्स कटौती का 60% लाभ मिलेगा, औसतन 11 लाख रुपये की राहत। कंपनियां शोध लागत पर सीधे टैक्स छूट का दावा कर सकेंगी। जीवाश्म ईंधन उद्योगों को सब्सिडी और ड्रिलिंग लीज से फायदा।
टिप्स और ओवरटाइम वेतन पर टैक्स माफी से सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के कर्मचारियों को लाभ।चाइल्ड टैक्स क्रेडिट बढ़ने से परिवारों को राहत। बुजुर्गों (75,000 डॉलर से कम आय) को अतिरिक्त टैक्स छूट। इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स क्रेडिट खत्म होने से पारंपरिक ऑटोमोबाइल उद्योग को फायदा। रेमिटेंस टैक्स को 5% से घटाकर 1% करने से अमेरिका से भारत पैसे भेजना सस्ता होगा।
किसे नुकसान होगा ?
मेडिकेड और SNAP में कटौती से 86 लाख लोग स्वास्थ्य बीमा और 11-17 मिलियन लोग कवरेज खो सकते हैं। येल यूनिवर्सिटी के अनुसार, निम्न-आय वर्ग की आय में 2.5% की कमी आ सकती है। स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग:टैक्स क्रेडिट खत्म होने से सौर, पवन, और EV सेक्टर में निवेश घटेगा।
चार्जिंग स्टेशनों के लिए क्रेडिट 2026 तक खत्म
स्वच्छ ऊर्जा प्रोत्साहनों में कटौती और जीवाश्म ईंधन को बढ़ावा देने से पर्यावरणीय लक्ष्य प्रभावित होंगे।बाइडन के जलवायु कानून को झटका। अमेरिकी अर्थव्यवस्था (लंबी अवधि में) 3.3 ट्रिलियन डॉलर के घाटे और 5 ट्रिलियन डॉलर की ऋण सीमा वृद्धि से आर्थिक अस्थिरता की आशंका। ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन ने चेतावनी दी कि अगस्त 2025 तक ऋण चूक का खतरा। मास डिपोर्टेशन नीति से लाखों प्रवासियों पर निष्कासन का खतरा।
भारत पर प्रभाव रेमिटेंस टैक्स !
रेमिटेंस टैक्स को 5% से घटाकर 1% करने से अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को भारत में पैसे भेजने में राहत मिलेगी। भारत को हर साल अरबों डॉलर रेमिटेंस के रूप में मिलते हैं, जिसमें बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है। स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में कटौती से भारतीय कंपनियों, जो अमेरिका में सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करती हैं, को नुकसान हो सकता है। जीवाश्म ईंधन उद्योगों को बढ़ावा मिलने से भारत के तेल और गैस निर्यात में मामूली वृद्धि हो सकती है।
मास डिपोर्टेशन नीति से भारतीय प्रवासियों पर सीधा प्रभाव कम होने की संभावना है, क्योंकि अधिकांश भारतीय अमेरिका में वैध वीजा पर रहते हैं। फिर भी, सख्त आप्रवासन नीतियां H-1B वीजा धारकों के लिए चुनौतियां बढ़ा सकती हैं। अमेरिका की ऋण सीमा वृद्धि और घाटे से वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता आ सकती है, जो भारत जैसे उभरते बाजारों को प्रभावित कर सकती है।
क्या हैं राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और समर्थन !
रिपब्लिकन इसे आर्थिक विकास और परिवारों के लिए लाभकारी बिल मानते हैं। स्पीकर माइक जॉनसन और उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने इसका समर्थन किया। डेमोक्रेट्स, जैसे हकीम जेफ्रीस और एलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज (AOC), ने इसे “अमीरों को फायदा और गरीबों को नुकसान” वाला बिल बताया। AOC ने इसे “घोटाला” और “शैतान के साथ सौदा” करार दिया।
मस्क ने बिल को “विनाशकारी” और “पागलपन” बताया, क्योंकि यह EV टैक्स क्रेडिट खत्म करता है और घाटा बढ़ाएगा। इससे ट्रंप और मस्क के बीच तनाव बढ़ा।
आर्थिक अस्थिरता का खतरा !
यह बिल मध्यम वर्ग, बुजुर्गों, और जीवाश्म ईंधन उद्योग को तत्काल लाभ दे सकता है। टैक्स कटौती और रेमिटेंस टैक्स में कमी से कुछ भारतीय प्रवासियों को राहत मिलेगी। गरीबों, स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र, और पर्यावरण को नुकसान होगा। लंबी अवधि में घाटा और ऋण सीमा वृद्धि से आर्थिक अस्थिरता का खतरा है।
रेमिटेंस टैक्स में कमी सकारात्मक है, लेकिन स्वच्छ ऊर्जा में कटौती और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता भारत के लिए चुनौतियां पैदा कर सकती हैं। बिल की आलोचना इसे सामाजिक असमानता बढ़ाने और पर्यावरण को नजरअंदाज करने के लिए हो रही है। मस्क जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों का विरोध इसे और विवादास्पद बनाता है। ट्रंप ने इसे “अमेरिकी अर्थव्यवस्था को रॉकेट की गति” देने वाला बिल बताया है, लेकिन डेमोक्रेट्स और आलोचकों का मानना है कि यह सामाजिक और पर्यावरणीय प्रगति को पीछे धकेलेगा। यह बिल 4 जुलाई 2025 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कानून बनने की राह पर है।