राजशेखर चौबे
मांझी और नाविक एक हो सकते हैं परंतु मांझी और नाविका नहीं। जब बाड़ ही खेत को खाने लगे और मांझी जो नैय्या डुबोए उसे कौन बचाए । इन मुहावरों में बचाने वाले ही डुबाने लगते हैं। यह मुहावरा तथाकथित फ्रिंज एलिमेंट ( हाशिए के लोग ) और महिला पत्रकार पर फिट नहीं बैठता है । ये डुबाने का काम करते आ रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे । क्या फुटपाथ ( हाशिए में पड़े ) व्यक्ति को कोई राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाता है ? आजकल मीडिया अपना काम और कर्तव्य भूलकर जी हुजूरी में लगा हुआ है और वे भी अपवाद नहीं हैं ।लोकतंत्र का चौथा स्तंभ सत्ता की चौखट पर लटका हुआ है । मैडम का काफी समय फिल्मों के प्रमोशन और मंत्रियों के साथ फोटो खिंचवाने में बीतता है ।
यह तीन न की कहानी है । पहले न ने वही किया जो वह हमेशा करती रही है और जिसने बिग गन से लेकर तमंचा का भी इंटरव्यू लिया है । उन्होंने दूसरे न को उकसाया । इसने भी वही किया जो वह हमेशा से करती आई है यानी घुंघुरू घंटे की तरह बजने लगा ।यह घंटा सालों से बज रहा है । इस बार भी दस दिन तक बजता रहा। दंगे भी होने लगे । आजकल पता नहीं क्यों दंगों पर कोई ध्यान नहीं देता । शायद बात ऐसे ही खत्म हो जाती परंतु विदेशी ताकतों का आगाज हो गया । सूप हंसे तो हंसे चलनी क्यों हंसे वाली बात हो गई । पड़ोसी देश की भी चेतावनी आ गई । मजबूरन मुख्यधारा के लोगों को हाशिए पर धकेलना पड़ा । देर आयद दुरुस्त आयद। माफी मांगने की नौबत आ गई है । अब हम कह सकते हैं जो पिछले सत्तर सालों में नहीं हुआ वह अब हो गया ।
अचानक इसमें पुरातन विचारों वाले तीसरे नवरत्न न की एंट्री होती है जो बेचारे केवल रिट्वीट करते हैं । अजीबोगरीब इंसाफ है उकसाने वाले और शायद मुख्य किरदार के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं । बोलने और ट्वीट करने वाले का निलंबन और केवल री ट्वीट करने वाले का पूर्ण निष्कासन ।
खाड़ी के देशों से हमारे ताल्लुकात हमेशा अच्छे रहे हैं और उन्होंने पड़ोसी देश की तमाम कोशिशों के बाद भी हमारा साथ दिया है । इनमें से कुछ देशों ने हमारे लोकप्रिय जननायक को अपने देश का सर्वोच्च सम्मान भी प्रदान किया है । क्या अवार्ड वापसी गैंग से संपर्क करने का कोई विचार है ?
हमारे माननीय अपने और हमारे मन की बात करते हैं लेकिन कई मामलों में अपने पूर्ववर्ती को फॉलो करते हैं और ———– । फिर भी उन्होंने एक बार तथाकथित गौ-भक्तों को वैक्सीन का एक डोज़ दिया था । इस विषम परिस्थिति में भक्तों को आशंका है कि माननीय उन्हें वैक्सीन का बूस्टर डोज न दे दें ।