नई दिल्ली l यूक्रेन पर हमले के कारण रूस पर लगे प्रतिबंधों के बीच अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है कि वो रूस से किसी तरह का ऊर्जा आयात न बढ़ाए. एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि रूसी तेल या अन्य रूसी सामानों के आयात में तेजी लाना भारत के हित में नहीं है.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने मंगलवार को कहा, ‘हमें नहीं लगता कि रूसी ऊर्जा और अन्य वस्तुओं के आयात में तेजी लाना या आयात को बढ़ाना भारत के हित में है.’ रूस भारत को रियायती दरों पर ईंधन तेल मुहैया करा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस भारत को 35 डॉलर प्रति बैरल तक की छूट दे रहा है. रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण डॉलर में व्यापार करना रूस के लिए संभव नहीं है इसलिए दोनों देश भुगतान के अन्य तरीकों पर बातचीत कर रहे हैं.
इन खबरों के बीच भारत पर रूसी तेल न खरीदने का दबाव बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र के लिए अमेरिकी उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह बीते बुधवार को दो दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे. इस दौरान उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वो रूस के साथ अपने संबंधों को न बढ़ाए.
द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत यात्रा के दौरान दलीप सिंह ने चेताते हुए कहा था कि अगर भारत रूस से कम दरों पर तेल खरीदता है तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा. अब अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय ने भी भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की है. जेन साकी ने कहा, ‘हर देश को उन प्रतिबंधों का पालन करना चाहिए जो अमेरिका ने लगाए हैं और जिन्हें हमने पूरी दुनिया में लागू किया है.’
दरअसल, साकी से सवाल किया गया कि क्या अमेरिका भारत और चीन पर दबाव बना रहा है ताकि वो इन देशों को रूसी ईंधन खरीदने से रोक सके? जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैं कहना चाहती हूं कि ऊर्जा आयात के भुगतान पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है. सभी देश अपने हिसाब से फैसले ले रहे हैं. हमने और कई देशों ने भले ही रूस से ईंधन खरीद पर प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन बाकी देश अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं.’
लेकिन दलीप सिंह की भारत यात्रा का जिक्र करते हुए साकी ने ये भी कहा कि रूस से व्यापार बढ़ाना भारत के हित में नहीं है. उन्होंने कहा, ‘अपनी यात्रा के दौरान दलीप ने अपने समकक्षों से जो बात कही वो ये है कि हम रूसी तेल और अन्य वस्तुओं के आयात में तेजी लाने को भारत के हित में नहीं मानते.’
साकी ने जोर देकर कहा कि यूं भी भारत रूस से केवल 1-2% ईंधन तेल ही आयात करता है. उन्होंने कहा कि दलीप सिंह ने अपनी भारत यात्रा के दौरान रूसी तेल से निर्भरता खत्म करने के लिए भारत को अमेरिकी मदद की पेशकश की थी.
पिछले हफ्ते जब रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत आए थे तब रूस से तेल खरीद के भुगतान के तरीकों पर भारत से बातचीत की गई थी. उन्होंने कहा था कि भारत और रूस प्रतिबंध के कारण भुगतान के दूसरे तरीकों पर बात कर रहे हैं. ऐसी खबरें भी आई हैं कि भारत ने हाल के हफ्तों मे रूसी तेल की खरीद में बढ़ोतरी की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि भारत के लिए उसके सुरक्षा हित सर्वोपरि हैं. अगर ईंधन मिलेगा तो भारत उसे खरीदेगा.
भारत पर दबाव बना खुद रूस से भारी मात्रा में तेल आयात कर रहा अमेरिका
अमेरिका एक तरफ तो भारत पर लगातार दबाव बना रहा है कि भारत रूस से तेल न खरीदे लेकिन वो खुद रूस से ताबड़तोड़ तेल की खरीददारी कर रहा है. इसकी जानकारी रूसी सुरक्षा परिषद के उप-सचिव मिखाइल पोपोव ने रविवार को रूसी मीडिया को दी.
पोपोव ने बताया कि अमेरिका ने रूस से कच्चे तेल की खरीददारी में पिछले एक हफ्ते में 43% की बढ़ोतरी की है. रूसी अधिकारी ने कहा कि यूरोप को अमेरिका से इसी तरह की उम्मीद रखनी चाहिए. अमेरिका रूस से खनिज उर्वरकों की भी खरीद कर रहा है. अमेरिका सस्ते रूसी तेल को खरीदकर यूरोपीय देशों को उच्च दरों पर बेच रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करके अमेरिका तेल बाजार को नियंत्रित करना चाहता है. Live TV