Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राज्य

500 वर्षों का इंतजार हुआ खत्म, निर्बल के बल मेरे राम

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
January 21, 2024
in राज्य, विशेष
A A
ram mandir
16
SHARES
533
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

प्रकाश मेहरा


अयोध्या: राम निर्गुण निराकार भी हैं, राम सगुण साकार भी हैं। राम ईश्वर भी हैं, राम अवतार भी हैं। राम कल्पना भी हैं, राम इतिहास भी हैं। राम राजा भी हैं, राम साधारण जन भी हैं। इतिहास हमें बताता है कि राजा या शासक केवल अपने राज्य की सीमाओं की रक्षा करता है और ऋषि अपने राष्ट्र की रक्षा करता है। मुझे राम में ये दोनों ही गुण दिखाई पड़ते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि ऋषि के रूप में तो उनका चित्रण कहीं हुआ ही नहीं और राजा बनते-बनते वे साधारण वनवासी हो गए।

इन्हें भी पढ़े

Brijesh Pathak of Rakesh Tikait

राकेश टिकैत की बृजेश पाठक से मुलाकात और मायावती की तारीफ, क्या UP में बन रहे हैं नए सियासी समीकरण ?

July 30, 2025
delhi cm shri school

दिल्ली के सीएम श्री स्कूल आधुनिक शिक्षा, स्मार्ट क्लासरूम और मेधावी भविष्य की नींव!

July 30, 2025

मुख्यमंत्री ने खटीमा में 26.23 करोड़ से निर्मित पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय का किया लोकार्पण

July 29, 2025
tribal Ho community

झारखंड: चर्च में ‘हो’ समाज का हेरो: परब मनाने का विरोध, आदिवासी ‘हो’ समाज की आकस्मिक बैठक!

July 29, 2025
Load More

विश्वामित्र ने राम को मांगा

राम जब विश्वामित्र के साथ सिद्धाश्रम गए तो उन्होंने देखा कि राजा, चाहे वह चक्रवर्ती दशरथ हों या जनक, अपनी प्रजा की रक्षा के लिए प्रयत्नशील नहीं हैं; और ऋषि चाहते हुए भी वह कार्य कर नहीं पा रहे। कारण कुछ भी रहा हो। विश्वामित्र ने जब दशरथ से राम को मांगा था तो यह कह कर मांगा था कि वे दस दिनों में राम को सुरक्षित वापस लौटा देंगे। इसमें कहीं ध्वनि यह भी है कि वे स्वयं भी समर्थ थे, नहीं तो ऐसा वचन क्यों और कैसे देते। फिर भी वे उस व्यक्ति को खोज रहे थे, जो न राजा हो, न ऋषि। जो बिना किसी राजकीय सहायता के साधारण जन के रूप में, उस मानवता के मध्य जा बसे। वह राजा न रहे, एक साधारण मानव हो जाए, जो दलित, दमित, दवी-कुचली असहाय मानवता का बंधु वन कर उनकी रक्षा कर सके। ऐसे में राम अयोध्या के राजा कैसे बन जाते।

मनुष्य का सबसे बड़ा बल

मनुष्य का वल उसका पद भी होता है और प्रतिभा भी। यदि यह कार्य अपने पद के दायित्व के रूप में किसी राजा या राजा के सेनापति को करना होता तो वह कब का हो गया होता। नहीं हुआ, क्योंकि उसके लिए उस प्रतिभा की आवश्यकता थी, जो सूर्य हो कर भी दीप के समान जलती। जो प्रतिभावान राजा होकर भी संन्यासी, वनवासी के समान जीवन व्यतीत करता। जो सम्राटों की सेनाओं को विस्मृत कर मिट्टी में से अपनी सेना गढ़ता और संसार के सबसे बड़े साम्राज्य से जा टकराता। उसमें कवि की संवेदना चाहिए थी, ऋषि का चिंतन चाहिए था और क्षत्रिय का साहस तथा रण-कौशल चाहिए था। उस व्यक्ति ने अर्थात राम ने अहल्या को देखा। सोने की अहल्या भाटी की मूरत बनी, युग परिवर्तन की प्रतीक्षा में बैठी थी। जिसकी रक्षा समाज का दायित्व था। समाज उसको शापित और बहिष्कृत कर वन में अकेली छोड़ गया था।

राम मर्यादा पुरुषोत्तम

राम ने उस समाज या शासन के आने की प्रतीक्षा नहीं की। उसके परिणाम के लिए वे नहीं रुके। यह चिंता नहीं की कि वह स्त्री दोषी थी या दूषित थी। उसे अपराधिनी नहीं, पीड़िता माना और जाकर उसके चरण छुए। उसके तिरस्कार को धो-पोंछकर परे किया। उसका सत्कार स्वीकार कर उसका सम्मान किया। जिसे ऋषि होते हुए भी उसका पति समाज में सम्मान नहीं दिला पाया, जिसका पुत्र राजगुरु होकर भी इस दुख की घड़ी में उसके पास आने का साहस नहीं कर पाया, राम ने उसे सम्मान भी दिया, उसका सत्कार भी ग्रहण किया और उसे ऋषि गौतम को सौंपने का वचन भी दिया।

राम को न इंद्र का भय था, न रूढ़िवादी समाज का। वे तो राम थे, सब कुछ सहन करने वाले। हर पीड़ित की पीड़ा स्वयं झेलने वाले। राम अपने पिता का राज बटाऊ के समान त्याग आए और शरभंग के आश्रम में वहां खंड़े थे, जहां देश की मेधा और प्रतिभा को चबा कर राक्षसों ने हड्डियों का ढेर लगा रखा था। उन्होंने ऋषियों को क्यों खाया ? ताकि कोई उनके विरुद्ध सोच न सके, बोल न सके, सिर उठा न सके। बुद्धिजीवी कुंठित हो जाएं और बौद्धिक संघर्ष में हार जाएं। वहां ऋषि शरभंग भी थे, देवराज इंद्र भी थे; अर्थात ऋषि भी और राजा भी। फिर भी राक्षस मुनियों को खाए जा रहे थे। हड्डियों का ढेर लग रहा था, मानवता को भयभीत करने के लिए। मानवता ही नहीं, ऋषि भी डरे हुए थे और देवराज इंद्र भी। नहीं डरे तो राम। उन्होंने संकल्प किया कि वे इस पृथ्वी को निशाचरविहीन कर देंगे।

करोड़ों के आराध्य देव हनुमान

उस युग के सबसे क्रूर राक्षस ने उनकी पत्नी का हरण किया, जो कि प्रत्येक युग का राक्षस करता है। राक्षस मानता है, स्त्री दुर्बल है। वह अपनी रक्षा नहीं कर सकती। स्त्री उसका सरल आहार है। इसके पश्चात भी राम रुके नहीं। वे सुग्रीव के सम्मुख खड़े उससे कह रहे थे कि वह उनसे अधिक पीड़ित था। इसलिए वे पहले उसकी पीड़ा दूर करेंगे और तब उससे सहायता लेंगे। उसका भी राज्य छीना गया था। उसकी भी पत्नी का हरण हुआ था। वह भयभीत था। उसमें साहस नहीं था कि वह अपने भाई और राजा बाली का सामना करे। उसे राम में विश्वास नहीं था कि वे बाली के विरुद्ध उसकी सहायता कर पाएंगे। तो वह अपने ही समान वंचित पुरुष से मित्रता क्यों करे। किंतु राम ने उस वंचित का विश्वास लौटाया। उसका छीना गया राज्य और उसकी पत्नी, दोनों ही उसे वापिस दिलवाए।

जो काम राजा नहीं कर पाया, वह साधारण जन राम ने किया। सोने की लंका का विरोध तो शरभंग के आश्रम में ही आरंभ हो गया था। अब तो वे साक्षात राजा रावण के मित्र बाली से भिड़ गए थे। यहीं उन्होंने अपना विश्वास खो चुके सुग्रीव का विश्वास लौटाया, यहीं वानरों को नर बनाया। उनमें रामत्व स्थापित किया। रामत्व से युक्त यही सेना संसार के सबसे बड़े साम्राज्य से जा टकराई और संसार से निशाचरों का समूल नाश करने का राम का संकल्प पूरा हुआ। राम अयोध्या के राजा बन जाते तो इन वानरों का क्या होता। रावण से लड़ने के लिए अयोध्या की सेना आई होती, तो ये वानर मानव कैसे बनते। इसी रामत्व की भक्ति ने हनुमान को वानर से नर ही नहीं, करोड़ों का आराध्य देव बना दिया।

रावण से बड़ा भक्त कोई नहीं!

रावण स्वयं को सुरक्षित समझ रहा था। इसी सुरक्षा के भरोसे वह संसार के सारे पाप कर रहा था। सीता का अपहरण किया। यह सीता का आत्मबल और राम के प्रति विश्वास था कि रावण उन्हें छू नहीं पाया। राम ने युद्ध से पहले उसे हर प्रकार से सावधान किया, चेतावनी दी; शांतिदूत अंगद भेजा; किंतु रावण का न मोह छूटा, न अहंकार टूटा। उसका अहंकार उसकी भक्ति को भी खा गया, उसकी शक्ति को भी। राम ने शिव की उपासना कर रामेश्वरम से जो अभियान आरंभ किया था, रावण के वध से पूर्णता को प्राप्त हुआ। राम के शरीर पर घाव लगे, उनका रक्त बहा; किंतु मानवता को पीड़ा से मुक्ति मिली। निशाचरों का नाश हुआ।


राम अवतार हैं लेकिन मानव हैं जीवन के कासन का वैसे ही सामना करते हैं,जैसे एक आम इंसान। क्यों सदियों बाद आज भी राम हमारे आदर्श हैं ? उनका जीवन एक राजकुमार के अपने पिता के वचन पूर्ति के लिए समस्त वैभव को त्याग देने की यात्रा है। राम के जीवन की यात्रा एक मानव के महामानव बनने की यात्रा है। पुरुष से मर्यादा पुरुषोत्तम बनने की यात्रा है।ऐसे हैं मेरे राम,जो हर निर्बल के बल हैं। : प्रकाश मेहरा

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

पाकिस्तान के तीन टुकड़े?

June 10, 2022
Voter ID

भारत में मतदाता सूची में गैर-नागरिकों की घुसपैठ, क्या है असली समस्या और इसका समाधान ?

July 9, 2025

पैसा भारत में ईश्वर है!

August 5, 2022
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • कलियुग में कब और कहां जन्म लेंगे भगवान कल्कि? जानिए पूरा रहस्य
  • NISAR : अब भूकंप-सुनामी से पहले बजेगा खतरे का सायरन!
  • देश पहले खेल बाद में, EaseMyTrip ने WCL भारत-पाकिस्तान मैच से प्रायोजन हटाया, आतंक के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया।

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.