लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्ता का फाइनल यानि चुनावी बिसात पर सब मोहरे सजाए जा रहे हैं, सभी पार्टियां अपने कैंडिटेट उतार रहीं हैं। दागी उम्मीदवारों को लेकर बीजेपी और सपा के नेता एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं लेकिन दोनों पार्टियों ने दागियों को टिकट दिया है। वहीं जेल में बंद उत्तर प्रदेश के कम से कम चार नेताओं की पत्नियों को टिकट दिया गया है। उनमें से तीन जेल में बंद विधायकों की पत्नियां हैं और सूत्रों के मुताबिक पांचवें को जल्द ही टिकट मिलने की संभावना है। आइए जानते हैं कौन हैं वो नेता और उनकी पत्नीयां जो चुनावी मैदान में हैं..
दरअसल सियासत की लड़ाई का सिर्फ एक ही सूत्र होता है। चुनाव में जीत। और इस वैतरणी को पार करने के लिए पार्टियां ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देने में संकोच नहीं करती, क्योंकि चुनावी लड़ाई में जीत की चमक पाने के लिए पार्टियों को ऐसे दाग और दागी दोनों अच्छे लगते हैं। वहीं राजनीतिक दल एक लोकप्रिय नेता के परिवार के सदस्य को चुनाव मैदान में उतारते हैं जो कि वहां के गढ़ क्षेत्रों से वोट बनाए रखने के लिए चुनाव लड़ने में असमर्थ होता है।
समाजवादी पार्टी ने गायत्री प्रजापति की पत्नी को उतारा
इनमें सबसे पहला नाम समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति का है, जिनकी पत्नी महाराजी प्रजापति को टिकट दिया है। गायत्री प्रजापति को पिछले साल बलात्कार के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। प्रजापति अखिलेश यादव मंत्रिपरिषद में परिवहन और खनन विभाग के मंत्री थे। वह मार्च, 2017 से जेल में हैं।
गायत्री की पत्नी महाराजी प्रजापति को अमेठी विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया है, जहां से उनके पति पूर्व में चुनाव लड़ चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में, उस समय बलात्कार के आरोपी गायत्री प्रजापति अमेठी से लड़े थे, लेकिन भाजपा की गरिमा सिंह से 5,000 से ज्यादा वोटों से हार गए थे।
बीजेपी भी नहीं है पीछे
इस कड़ी में बीजेपी भी पीछे नहीं है। बीजेपी ने मुक्ता राजा और आरती तिवारी को टिकट दिया है। जेल में बंद विधायक संजीव राजा (अलीगढ़ से विधायक) और इंद्र प्रताप तिवारी (गोसांइगंज से विधायक) की पत्नी को टिकट दिया है। संजीव राजा और इंद्र प्रताप तिवारी दोनों को पिछले साल 20 साल पहले किए गए अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था।