प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: भारत में 7 मई को देशभर के 244 जिलों में व्यापक पैमाने पर नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है। यह अभ्यास 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर हो रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों, विशेष रूप से हवाई हमले, युद्ध या अन्य संकटों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और प्रशासनिक तैयारियों का मूल्यांकन करना है। यह मॉक ड्रिल जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
मॉक ड्रिल क्या है ?
मॉक ड्रिल एक नियोजित अभ्यास है, जिसमें वास्तविक आपातकालीन स्थिति जैसे युद्ध, हवाई हमला, आतंकी हमला, भूकंप या अन्य आपदाओं का अनुकरण किया जाता है। इसका उद्देश्य निम्नलिखित है:-
तैयारी का मूल्यांकन: प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियों और नागरिकों की प्रतिक्रिया क्षमता की जांच करना।
आम लोगों को संकट के समय सही कदम उठाने के लिए प्रशिक्षित करना। सुरक्षा उपायों और प्रणालियों में सुधार की जरूरतों को चिह्नित करना। विभिन्न एजेंसियों (पुलिस, अग्निशमन, एनडीआरएफ, सिविल डिफेंस आदि) के बीच तालमेल को मजबूत करना।
धमकियों के बीच भारत ने जवाबी कार्रवाई !
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों ने 27 पर्यटकों की हत्या की, जिसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। पाकिस्तान द्वारा लगातार सीजफायर उल्लंघन और युद्ध की धमकियों के बीच भारत ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें 6 मई की रात पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया। केंद्र सरकार ने युद्ध जैसी स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा और प्रशासन की तत्परता को परखने के लिए यह मॉक ड्रिल आयोजित करने का फैसला लिया। यह अभ्यास 1971 के बाद सबसे बड़ा नागरिक सुरक्षा अभ्यास है।
सायरन सिस्टम और आपातकालीन चेतावनी !
केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 7 मई को मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं। हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए जाएंगे। यह जांचा जाएगा कि सायरन सिस्टम और आपातकालीन चेतावनी प्रणाली सही काम कर रही है या नहीं।
हमले की स्थिति में रोशनी बंद करने (क्रैश ब्लैकआउट) की प्रक्रिया का अभ्यास होगा। इससे दुश्मन के लिए लक्ष्य को छिपाने में मदद मिलती है। निकासी योजना (इवैक्युएशन) ने नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की प्रक्रिया का अभ्यास किया जाएगा। नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों, को आत्म-सुरक्षा, प्राथमिक चिकित्सा और आपातकालीन प्रतिक्रिया के तरीके सिखाए जाएंगे। प्रमुख इमारतों, कारखानों और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों को छिपाने या सुरक्षित करने के उपायों का अभ्यास होगा। संवेदनशील स्थानों को दुश्मन की नजर से बचाने के लिए छलावरण तकनीकों का उपयोग।
किन-किन स्थानों पर हो रही है मॉक ड्रिल ?
यह मॉक ड्रिल देश के 244 सिविल डिफेंस जिलों में आयोजित की जा रही है, जिनमें से लगभग 100 संवेदनशील जिले शामिल हैं। कुछ प्रमुख स्थान निम्नलिखित हैं उत्तर प्रदेश के लखनऊ, मेरठ, वाराणसी (काशी विश्वनाथ मंदिर सहित), और 19 अन्य जिले। मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, कटनी। वहीं राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा, उदयपुर, सीकर, नागौर, भरतपुर, गंगानगर, हनुमानगढ़ सहित 28 शहर। महाराष्ट्र: मुंबई, पुणे, ठाणे, नासिक, औरंगाबाद सहित 16 स्थान।
नई दिल्ली, दिल्ली छावनी, मेट्रो स्टेशन (हमले में सुरक्षित स्थान के रूप में)। पंजाब (जालंधर), जम्मू-कश्मीर, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड (देहरादून), मिजोरम, नागालैंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश (हैदराबाद, विशाखापत्तनम), त्रिपुरा (अगरतल्ला), अंडमान-निकोबार (पोर्ट ब्लेयर)।
कौन-कौन सी एजेंसियां शामिल है ?
मॉक ड्रिल में निम्नलिखित लोग और एजेंसियां भाग ले रही हैं: सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स: वार्डन, बचाव दल, प्राथमिक चिकित्सा टीमें। पुलिस, अग्निशमन सेवाएं, एनडीआरएफ, होम गार्ड्स। छात्र और युवा संगठन: एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS), स्कूल-कॉलेज के छात्र। जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, और अन्य अधिकारी। स्थानीय निवासियों को प्रशिक्षण और जागरूकता के लिए शामिल किया गया है।
मॉक ड्रिल की क्या प्रक्रिया ?
सायरन का संचालन दोपहर या शाम को (जैसे मध्य प्रदेश में शाम 4 बजे) सायरन बजाए जाएंगे, जो हवाई हमले की चेतावनी का संकेत होंगे। शहरों में लाइटें बंद की जाएंगी, और लोगों को घरों, कार्यालयों या सार्वजनिक स्थानों की रोशनी बंद करने के लिए कहा जाएगा। लोगों को सुरक्षित स्थानों, जैसे बंकर, मेट्रो स्टेशन, या अन्य मजबूत इमारतों में ले जाया जाएगा। दिल्ली में मेट्रो को सबसे सुरक्षित स्थान माना गया है, क्योंकि यह 40-60 फीट की गहराई पर है और रेडियेशन से बचाव कर सकती है।
सिविल डिफेंस टीमें भीड़ नियंत्रण, बचाव कार्य, और प्राथमिक चिकित्सा का अभ्यास करेंगी। बम निरोधक दस्ते, मेडिकल टीमें, और डॉग स्क्वॉड भी सक्रिय रहेंगे। अभ्यास के बाद प्रत्येक राज्य और जिला अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपेगा, जिसमें कमियों और सुधार के सुझाव शामिल होंगे।
प्रमुख गतिविधियां और तैयारियां !
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हवाई हमले के सायरन और भीड़ नियंत्रण का अभ्यास। 19 उच्च जोखिम वाले जिलों में विशेष ध्यान। मध्य प्रदेश के कटनी में साधु राम स्कूल में मॉक ड्रिल, जहां सायरन बजते ही जवान अलर्ट हुए और बम फेंकने का अनुकरण किया गया। कलेक्टर और एसपी मौजूद रहे। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में मॉक ड्रिल, जिसमें मंदिर को खाली कराया गया और बम स्क्वॉड, मेडिकल टीम और एनडीआरएफ ने हिस्सा लिया। जोधपुर के 18 स्थानों पर सायरन लगाए गए। जिला कलेक्टर ने नागरिकों से डरने की बजाय सहयोग करने की अपील की। महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों पर विशेष ध्यान, जिसमें 10,000 प्रशिक्षित वॉलंटियर्स शामिल हैं। पंजाब के जालंधर कैंट में ब्लैकआउट का पूर्वाभ्यास।
नागरिकों के लिए दिशा-निर्देश !
सायरन सुनते ही सतर्क हों सायरन बजने पर तुरंत सुरक्षित स्थान पर जाएं, जैसे मेट्रो, बंकर, या मजबूत इमारतें। घबराएं नहीं यह केवल एक अभ्यास है, इसलिए शांत रहें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।रोशनी बंद करें और अनावश्यक बिजली उपयोग से बचें। सिविल डिफेंस और पुलिस के साथ तालमेल बनाएं।
मॉक ड्रिल से संबंधित सवाल और जवाब !
क्या मॉक ड्रिल के दौरान आवागमन बंद होगा ? नहीं, यह केवल अभ्यास है। सड़कों, मेट्रो, रेल, और बाजार सामान्य रूप से चल सकते हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन कुछ क्षेत्रों में अस्थायी प्रतिबंध लगा सकता है। क्या गांवों में भी मॉक ड्रिल होगी ? गृह मंत्रालय ने गांव स्तर तक अभ्यास की योजना बनाई है, लेकिन मुख्य रूप से शहरी और संवेदनशील क्षेत्रों पर ध्यान है।
क्या यह युद्ध की तैयारी है ?
यह युद्ध की घोषणा नहीं, बल्कि आपातकालीन तैयारियों को मजबूत करने का प्रयास है। सरकार नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहती है। लोगों को संकट में शांत रहने और सही कदम उठाने की ट्रेनिंग मिलेगी। आपातकालीन चेतावनी, संचार और निकासी योजनाओं की प्रभावशीलता का परीक्षण होगा। युद्ध या हमले की स्थिति में नागरिक और प्रशासन की तत्परता देश की सुरक्षा को मजबूत करेगी।
घबराने की बजाय प्रशासन का सहयोग करें !
7 मई की मॉक ड्रिल भारत की नागरिक सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और आपातकालीन तैयारियों को परखने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभ्यास न केवल प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की क्षमता को जांचेगा, बल्कि आम नागरिकों को भी संकट के समय सही प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करेगा। गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस अभ्यास में सक्रिय रूप से भाग लें और घबराने की बजाय प्रशासन का सहयोग करें।