प्रकाश मेहरा
एक्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: 13 जून से शुरू हुए इजरायल-ईरान युद्ध में अमेरिका की सीधी एंट्री ने पश्चिम एशिया में तनाव को और बढ़ा दिया है। रविवार, 22 जून 2025 को सुबह 4:30 बजे (IST), अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान पर हवाई हमले किए। इन हमलों में Massive Ordnance Penetrator (GBU-57), जिसे ‘बंकर बस्टर’ बम कहा जाता है, का इस्तेमाल किया गया। यह बम विशेष रूप से गहरे भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसे B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स द्वारा तैनात किया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इन हमलों की पुष्टि करते हुए दावा किया कि ईरान की परमाणु क्षमता को “पूरी तरह से खत्म” कर दिया गया है।
हमले से पहले की गतिविधियाँ
19 और 20 जून को फोर्डो परमाणु ठिकाने के पास 16 मालवाहक ट्रकों की असामान्य हलचल देखी गई, जिससे संदेह है कि ईरान को हमले की भनक लग चुकी थी और उसने महत्वपूर्ण सामग्री को स्थानांतरित कर लिया हो। ट्रम्प प्रशासन ने पहले संकेत दिए थे कि वे इजरायल-ईरान युद्ध में तटस्थ रहेंगे, लेकिन व्हाइट हाउस के दावे के अनुसार, ईरान के परमाणु हथियार विकसित करने की निकटता ने अमेरिका को सैन्य कार्रवाई के लिए प्रेरित किया।
क्या हुआ हमले के परिणाम
अमेरिका और इजरायल ने दावा किया कि इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया। इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग ने कहा कि ईरान की परमाणु क्षमता “पूरी तरह खत्म” हो गई।
ईरान ने दावा किया कि हमलों से “सीमित नुकसान” हुआ और कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ। ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (AEOI) ने इसे अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया।
क्षेत्रीय जोखिम: अरब देशों ने चेतावनी दी कि इन हमलों से रेडियोएक्टिव खतरा बढ़ सकता है, जिसका असर उनकी सीमाओं तक हो सकता है।
किसने क्या कहा ?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हमलों को “सफल” बताया और चेतावनी दी कि यदि ईरान शांति की ओर नहीं बढ़ा, तो और हमले होंगे। उन्होंने कहा, “ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देंगे।” ट्रम्प ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से मुलाकात के बाद यह कार्रवाई की, जिसे क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव बढ़ाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
ईरान (सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई और विदेश मंत्रालय) खामेनेई ने कहा, “हम सरेंडर नहीं करेंगे। अगर अमेरिका ने इजरायल के साथ मिलकर हमला किया, तो उसे अपूरणीय क्षति होगी।” विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने हमलों को “अपमानजनक” और “क्रूर” बताया, यह कहते हुए कि ईरान “आत्मरक्षा” में जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
इजरायल (बेंजामिन नेतन्याहू और अन्य)
नेतन्याहू ने कहा, “ईरान में अब खामेनेई सहित कोई भी सुरक्षित नहीं है। हम हमलों की पूरी कीमत वसूलेंगे।” इजरायली रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज़ ने खामेनेई को “मॉडर्न हिटलर” करार दिया।
क्या हैं अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ ?
सऊदी अरब, कतर, ओमान, पाकिस्तान, और फिलिस्तीन (हमास) इन देशों ने अमेरिकी हमलों की निंदा की और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। सऊदी अरब ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की। चीन, क्यूबा, और चिली इन देशों ने भी हमलों की निंदा की, चीन ने इसे “रणनीतिक गलती” बताया। यूरोपीय संघ (EU) EU ने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने 23 जून को आपात बैठक बुलाने की घोषणा की।
हमास ने अमेरिकी हस्तक्षेप को “खतरनाक” बताया और अरब देशों से एकजुट होने की अपील की। यमन ने आधिकारिक रूप से युद्ध में शामिल होने की घोषणा की।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव !
अमेरिकी हमलों ने क्षेत्रीय युद्ध का खतरा बढ़ा दिया है। यमन और लेबनान जैसे देशों की प्रतिक्रियाएँ इसे और जटिल बना रही हैं।
तेल और व्यापार: तेल की आपूर्ति पर संभावित प्रभाव के कारण वैश्विक बाजारों में चिंता बढ़ी है।
भारत की प्रतिक्रिया: भारत ने ईरान और इजरायल से शांति की अपील की और तेहरान से 110 भारतीय नागरिकों को निकाला।
ईरान की तैयारी और सवाल !
सैटेलाइट तस्वीरों से संकेत मिलता है कि ईरान ने हमले की आशंका में कुछ सामग्री हटाई हो सकती है। यह सवाल उठता है कि क्या हमले का प्रभाव उतना गंभीर था जितना दावा किया गया ? ट्रम्प का यह कदम मिडिल ईस्ट में अमेरिकी प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश माना जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि “इससे क्षेत्र में स्थायी युद्ध की स्थिति बन सकती है।रूस और चीन जैसे देशों की मध्यस्थता की पेशकश और मुस्लिम देशों की निंदा से वैश्विक स्तर पर ध्रुवीकरण बढ़ रहा है।
इजरायल-ईरान युद्ध को नया मोड़
अमेरिका के हमलों ने इजरायल-ईरान युद्ध को नया मोड़ दे दिया है, जिससे पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है। ट्रम्प का दावा है कि “ईरान की परमाणु क्षमता खत्म हो गई, लेकिन ईरान की जवाबी कार्रवाई की धमकी और क्षेत्रीय देशों की निंदा से स्थिति विस्फोटक बनी हुई है। आने वाले दिन यह तय करेंगे कि क्या यह तनाव तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ेगा या कूटनीति से कोई हल निकलेगा।