मुरार कण्डारी
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रेफॉर्म्स (एडीआर) एवं उत्तराखंड इलेक्शन वॉच का अभियान दल भी राजनीतिक दलों के उनके प्रचारदाताओं की कलई को खोलते हुए पिछले कुछ दिनों से लगातार सक्रिय रहकर “मतदाता जागरूकता अभियान” छेड रहा है। बागेश्वर उपचुनाव में भी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रेफॉर्म्स (एडीआर) और उत्तराखंड इलेक्शन वॉच का अभियान दल प्रदेश समन्वयवक ‘सैनिक शिरोमणि’ मनोज ध्यानी के नेतृत्व में लगातार भ्रमण पर रहा हैं। इस अभियान दल ने लोगों से बढ़ चढ़कर चुनाव में भागीदारी करने, सभी से मतदान के दिन “वोट” करने व विधानसभा हेतु सुयोग्य प्रत्याशी चुनने का आह्वान किया है।
बैनर व लोकतंत्र के पक्ष के संदेश को उखेरती पोस्टरों से सुसज्जित प्रचार वाहन में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रेफॉर्म्स जनता से आह्वान करती दिखी कि जनता अपने राजनीतिक दलों पर यह दबाव बनाये कि वह आपराधिक म पृष्ठभूमि के लोगों को टिकट देना बन्द करें। पोस्टर में मांग उठाई गईं हैं, कि जनता यह मांग करे कि राजनीतिक दल उन लोगों को टिकट देना बन्द करें जो कि अपने धनबल के प्रभाव पर टिकट प्राप्त कर लेते हैँ। इन पोस्टरों में विधानसभा हेतु योग्य प्रत्याशी नहीं समझ आने पर नोटा (NOTA) विकल्प को चुनने तक का आह्वान किया गया हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रेफॉर्म्स (एडीआर) एवं उत्तराखंड इलेक्शन वॉच के अभियान दल ने बडी मात्र में 2022 की विधानसभा में आपराधिक पृष्ठभूमि, गभीर आपराधिक पृष्ठभूमि, करोड़पति श्रेणी एवं महिला प्रतिनिधित्व पर ग्राफ़िक वाले पर्चे समूचे विधानसभा में बांटे हैँ। इन पर्चो के अनुसार उत्तराखंड विधानसभा में 19 विधायक (27 प्रतिशत),आपराधिक पृष्ठभूमि, 10 विधायक (14 प्रतिशत), गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि एवं 58 विधायक (83 प्रतिशत) करोड़पति विधायक हैँ। महिलाओँ का प्रतिनिधित्व 8 (11 प्रतिशत) है। यह भी बताया गया कि सभी विधायकों की औसतन सम्पत्ति ₹7.17 करोड़ है।
प्रदेश समन्वयक ने बताया कि उन्होंने कुछ दिनों के प्रवास में बागेश्वर विधानसभा में जिन क्षेत्रों का दौरा किया सघन मतदाता जागरूकता अभियान चलाया है। एडीआर उत्तराखंड इलेक्शन वॉच के मतदाता जागरूकता अभियान का नेतृत्व प्रदेश समन्वयक ‘सैनिक शिरोमणि’ मनोज ध्यानी, वरिष्ठ समाज सेवी एवं गैरसैण स्थाई राजधानी संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री नारायण सिंह बिष्ट, श्री उत्तम सिँह राणा आदि प्रमुख रहें। मतदाता जागरूकता अभियान में सूक्ष्म गोष्टीयां और संवाद बैठके आयोजित किए गए।
जनपद की प्रतिष्ठित बागेश्वर बार एसोसिएशन द्वारा भी एडीआर उत्तराखंड इलेक्शन वॉच के कार्य को सरहा गया व प्रदेश समन्वयक श्री “सैनिक शिरोमणि” मनोज ध्यानी समेत अभियान दल को बार अध्यक्ष एडवोकेट विनोद भट्ट एवं वरिष्ठ विधि वेता एडवोकेट गोविन्द सिँह भंडारी व अन्य के द्वारा सम्मानित भी किया गया। मतदाता जागरूकता अभियान के दौरान वहाँ आयोजित गोष्ठी में प्रदेश के विभिन्न मुद्दों पर एडीआर उत्तराखंड इलेक्शन वॉच की सक्रिय भूमिका पर भी मांग रखी गईं। ऐसी ही अन्य अनेकों सूक्ष्म मतदाता जागरूकता बैठके व सभाएँ पूरे विधानसभा व उससे जुड़े क्षेत्र में आयोजित की गईं जिनमें प्रमुखत: से कौसानी, गरुड़, बैजनाथ, गागरी गोल, ध्यागड़, बागेश्वर बाजार, बार एसोसिएशन सभागार, नदी गाँव, बिल्लोना, मंडल सेरा, जोशी गाँव, कांडा स्टेशन, मनकोट, छाती, नुमाइश खेत आदि प्रमुख रहें।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रेफॉर्म्स (एडीआर) ने भारत में होने जा रहे 07 उप चुनावों में खडे उम्मीदवारों पर एक संयुक्त रिपोर्ट भी जारी की हुई है, जिसे अवाम के बीच चर्चा में खूब उठाया गया। एडीआर द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 05 सितंबर 2023 कों हुए उप चुनाव में कुल 43 उम्मीदवार मैदान में उतरे हुए हैँ। इन 43 में से 42 उम्मीदवारों के शपथ पत्र घोषणाओं का अध्ययन किया गया है। उप चुनाव मैदान में उतरे 16 (38 प्रतिशत) उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैँ। गंभीर अपराध की श्रेणी में 11 (26 प्रतिशत) उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हुए हैँ। कुल उम्मीदवारों में से 10 (24 प्रतिशत) उम्मीदवार करोड़पति हैँ जिनकी औसतन सम्पत्ति ₹1.08 करोड़ है। 19 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर देनदारियां भी घोषित की हुई हैँ। आधी आबादी की बात की जाए तो केवल 05 (12 प्रतिशत) ही महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैँ।
उत्तराखंड में बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशियों का विश्लेषण
उत्तराखंड में बागेश्वर में होने जा रहें उप चुनाव के सभी प्रत्याशियों के शपथ पत्रों का एडीआर ने गंभीर विश्लेषण किया है। जो कि इस प्रकार से है-
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार कई मायनों में सबसे अग्रणीय हैँ। कांग्रेस के उम्मीदवार सम्पत्ति, शिक्षा, देनदारी और आयकर घोषणा के मामले में सवसे आगे नजर आये हैँ। उनकी कुल सम्पत्ति ₹12,80,60,000/= (रूपया बारह करोड़ से अधिक है) जबकि उन्होंने अपने ऊपर ₹80,00,000/= (रूपया अस्सी लाख) की देनदारियां भी घोषित की हुई हैँ। उन्होंने अपना व्यवसाय अधिवक्ता होना बताया है और वह प्रोफेशनल डिग्री धारक हैँ। उन्होंने अपनी अंतिम आयकर की घोषणा में ₹30,45,160/= (रूपया तीस लाख से अधिक वार्षिक आय घोषित की है)।
- भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लड़ रहीं उम्मीदवार पार्वती देवी भी एक करोड़पति सम्पत्ति धारक उम्मीदवार हैँ। उनकी कुल सम्पत्ति ₹2,96,34,695/= (रूपया दो करोड़ से अधिक) घोषित है। व उनपर ₹52,20,000/= (रूपया बावन लाख) से अधिक की देनदारियां भी हैँ। उनके घोषणा पत्र के अनुसार वह 12वीं पास हैँ व वह गृहणी हैँ व उनकी आय का स्त्रोत कृषि है।
- समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ रहे उम्मीदवार भगवती प्रसाद ₹21,74,000/= की सम्पत्ति रखते हैँ, वह 12वीं पास हैँ व उनकी आय का स्त्रोत कृषि है।
- उत्तराखंड क्रांति दल के टिकट पर खडे उम्मीदवार अर्जुन कुमार लखपति घोषित उम्मीदवार हैँ। उन्होंने अपनी सम्पत्ति ₹8,45,000/= घोषित की है। शिक्षा से वह स्नातक हैँ व उनकी आय का स्त्रोत कृषि है।
- उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के टिकट पर भाग्य आजमा रहे उम्मीदवार भगवत कोली सबसे निम्न आय घोषित करने वाले प्रत्याशी हैँ। उनकी सम्पत्ति मात्र ₹54,700/= है व उनकी आय का स्त्रोत कृषि है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रेफॉर्म्स (एडीआर) उत्तराखंड इलेक्शन वॉच के प्रदेश समन्वयक ‘सैनिक शिरोमणि’ मनोज ध्यानी ने इस बात पर संतोष जाहिर प्रकट किया हैं कि उत्तराखंड के किसी भी उम्मीदवार पर ना तो गंभीर धाराओं अथवा सामान्य आपराधिक धाराओं में मुकदमे दर्ज हैँ। एडीआर का मत है कि यह सकारात्मक पक्ष 2022 में छेडे गए व्यापक मतदाता जन जागरूकता अभियान से सम्भव हुआ है अतः इसे जनतंत्र की सही दिशा में विजय के रुप में ही लिया जाना चाहिए कि पार्टियों ने आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को टिकट नहीं दिया है। परन्तु साथ ही में उन्होंने कहा कि बाहुबलियों और अपराधियों के इतर धनबल के प्रभाव वालों को भी आबादी अनुपात में उस श्रेणी के लोगों की संख्या या उससे कम सिमटाने की अधिक आवश्यकता है। उन्होंने क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा गरीब वर्ग के प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाने की कोशिश को सरहा है। उन्होंने जोड़ा कि इसका समाधान केवल वोटर के हाथ में ही है कि यदि वह करोड़पतियों के धनमंडल प्रभाव से बाहर रहकर योग्यता को केंद्रित करके मतदान करना सीख जाए।
विदित रहे कि आसन्न उपचुनाव जिस हेतु 05 सितंबर कों हुए मतदान, वह देश में झारखण्ड कि डुमरी विधानसभा, केरल की पुथुप्पली विधानसभा,त्रिपुरा की बोक्सानगर विधानसभा एवं धानपुर विधानसभा,उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा,उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा एवं पश्चिम बंगाल की धुपगुड़ी विधानसभा में कुल 07 रिक्त विधानसभा सीटों पर सम्पन्न होंगे।
लोकसभा की 04 रिक्त संसदीय सीटों के उप चुनाव भी होने चाहिए थे साथ में सम्पन्न (विचारमत)
एडीआर एवं उत्तराखंड इलेक्शन वॉच के प्रदेश समन्वयक द्वारा रिक्त संसदीय सीटों के विषय में बताया गया कि इस समय भारत की लोक सभा में मार्च से मई के मध्य में 04 संसदीय सीट जिनमें अम्बाला, पुणे, चंद्रपुर एवं गाज़ीपुर सम्मिलित हैँ रिक्त पड़ी हुई हैँ, जिनके लिए इन उप चुनाव के साथ ही चुनाव आयोग चुनाव करवा सकता था। लोकतंत्र में यह बिलकुल भी सही नहीं है कि किसी भी संसदीय अथवा विधानसभा अथवा अन्य निर्वाचन सदन बिना प्रतिनिधित्व लिए हुए हो। संसदीय उप चुनाव सम्पन्न करवाने में तकनीकी कारणों खासकर महाराष्ट्र में दलों के विभाजन की स्थिति में चुनाव चिन्ह की लडाई पर एडीआर उत्तराखंड इलेक्शन वॉच का मत है कि अनेकों बार यह दृष्टांत आया है कि जब जब ऐसी स्थिति बनी है तो विभिन्न पक्ष के प्रत्याशियों के मूल चुनाव चिन्ह पर दाओं को स्थगित रखकर न्यूट्रल चुनाव आवंटित कर चुनाव सम्पन्न कराए गए हैँ।
इसका उदाहरण उत्तराखंड में उत्तराखंड क्रांति दल है जिसमें उस दल के विभाजन के उपरांत उसके धड़ों के प्रत्याशियों को न्यूट्रल चुनाव चिन्ह आवंटित करके निर्वाचन प्रक्रिया सम्पन्न हुई थी। इसलिए कि संसदीय लोकतंत्र का मतलब ही प्रतिनिधित्व द्वारा अवाम की आवाज का चयनित सभा में चर्चा -परिचर्चा, प्रश्नोत्तरी एवं नियम-नियामक व विधि निर्माण में भागीदारी प्रदान करना है। यह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है कि कोई भी निर्वाचन लम्बे समय तक रिक्त पड़ा रहे।