नई दिल्ली: वक्फ संपत्तियों की भारतीय संविधान के तहत जायज और इंसाफ पसंद देखभाल जरूरी है, वरना जगह-जगह अराजकता,असंतोष और अपराध का आलम हो जाएगा। वक्फ़ संशोधन बिल को समझने के लिए एक्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा की इस खास रिपोर्ट से समझिए।
भारतीय संसद एक कानून में बदलाव करने जा रही है वैसे तो यह सामान्य बात है, पर जब मामला वक्फ अधिनयम से जुड़ा हो, मौका गंभीर हो जाता है। बुधवार को लोकसभा में पक्ष और विपक्ष में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर जो बहस हुई है, उसने सभी का ध्यान खींचा है। देश के अनेक इलाकों में इसके विरोध और पक्ष में भी प्रदर्शन हुए हैं। मुस्लिमों में भी एक वर्ग है, जो संशोधन में फायदे देख रहा है, किंतु एक बड़ा वर्ग है, जो अपने से संबंधित कानून में किसी भी तरह के बदलाव नहीं चाहता है।
बहरहाल, यह संशोधन विधेयक देश के पहले सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग से संबंधित है। मतलब, इस्लाम को मानने वालों पर इससे फर्क पड़ेगा। यहां यह ध्यान रखना चाहिए कि अपने देश में ऐसा कानून किसी भी दूसरे अल्पसंख्यक वर्ग के लिए नहीं है और न बहुसंख्यक वर्ग के लिए। वक्फ बोर्ड एक्ट और ट्रिब्यूनल सब एक ही अल्पसंख्यक वर्ग के लिए है। ताजा संशोधन वक्फ एक्ट 1995 में किए जा रहे हैं। यह एक्ट भारत की वक्फ संपत्ति के तहत आने वाली संपत्ति का प्रबंधन करता है। वह इन संपत्तियों से संबंधित झगड़ों का निबटारा भी करता है।
विपक्षी दलों की असहमति!
यह संशोधन विधेयक पहले अगस्त 2024 में प्रस्तावित किया गया था और भारतीय जनता पार्टी के सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाले पैनल ने 27 फरवरी को 15-11 वोट से एक्ट में 14 बदलावों के लिए रास्ता साफ कर दिया था। अनेक विपक्षी दलों ने इस पैनल या समिति के विचार से असहमति जताई। विपक्ष ने सवाल उठाया कि आखिर इस संशोधन की जरूरत क्या है? सांसद असदुद्दीन ओवैसी की आपत्ति है कि इसका मकसद वक्फ एक्ट की बुनियाद कमजोर करना है, यह मुस्लिमों को भी कमजोर करेगा।
हालांकि, सरकार का मानना है कि भ्रम फैलाकर मुस्लिमों को भड़काया जा रहा है, संशोधन से मुस्लिम समाज का भला होगा। वक्फ की संपत्तियों का बेहतर उपयोग हो पाएगा। सरकार का कहना है कि वक्फ संपत्तियों के साथ समस्या यह है कि उन्हें लेकर देश भर में कई तरह के विवाद हैं। संपत्ति आखिर है किसकी ? कितनी जमीन है? जमीन वक्फ बोर्ड की है या नहीं है? क्या दूसरों की जमीन चुपके से हड़पी गई है?
जमीन हड़पे जाने पर अदालतों का रुख!
साथ ही, अभी लागू वक्फ कानून के अनुसार, लोग वक्फ बोर्ड द्वारा अपनी जमीन हड़पे जाने पर आम अदालतों का रुख भी नहीं कर सकते हैं। किसी की सुनवाई के लिए वक्फ ट्रिब्यूनल है, जहां वक्फ के ही लोग अधिकारी-न्यायाधीश हैं, जो हर एक फैसला वक्फ के पक्ष में ही देते हैं। वे स्वतंत्र, निष्पक्ष न्याय अधिकारी नहीं हैं। कोई भी मुस्लिम व्यक्ति किसी की भी संपत्ति, सरकारी संपत्ति या अन्य प्रकार की संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बताने के लिए स्वतंत्र है और जिस पर अंतिम फैसला वक्फ ट्रिब्यूनल के अनुसार हमेशा वक्फ बोर्ड के पक्ष में ही जाना है।
वक्फ की संपत्ति, बिना कागज या सबूत के वक्फ की अपनी है। जैसे हाल ही में कह दिया गया था कि भारतीय संसद की जमीन भी वक्फ की है। अति उत्साह में यह भी कह दिया गया कि प्रयागराज महाकुंभ वक्फ की जमीन पर हो रहा है, आदि-आदि।
वक्फ संपत्ति की जांच करने का अधिकार!
वैसे वक्फ एक्ट की वैधता का सवाल भी दिल्ली उच्च न्यायालय में अभी लंबित है। दिल्ली में भी 123 संपत्तियों पर वक्फ का दावा हाल तक रहा है। वक्फ कानून में संशोधन का विरोध करने वालों का कहना है कि संशोधन से सरकार को वक्फ संपत्ति की जांच करने का अधिकार मिल जाएगा और सच पूछें, तो जायज इंसाफ के पैमानों पर मिलना भी चाहिए। यहां तक कह देना कि यह भूमि ऊपर वाले की है, तो हमारी है, कोई वाजिब तर्क नहीं है। वक्फ भूमि की भारतीय संविधान के तहत जायज देखभाल जरूरी है, नहीं तो हर जगह अराजकता और अपराध का आलम हो जाएगा।
यह माना जाता है कि पाकिस्तान साढ़े आठ लाख एकड़ भूमि देकर भारत से अलग किया गया था। अब वक्फ एक्ट की जमीन भी भारत में साढ़े आठ लाख एकड़ से साढ़े नौ लाख एकड़ तक पहुंच गई है। यानी एक इलाका भारत से बाहर है और लगभग उतनी ही जगह भारत के अंदर है, जहां भारतीय अदालतों और भूमि संबंधी आम कानूनों का कोई वश नहीं चलता।
मुस्लिम देशों में एकतरफा कानून नहीं!
गौर कीजिए, ऐसा कोई एकतरफा कानून या नियम दुनिया में कहीं किसी अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक के लिए नहीं है। मुस्लिम देशों में भी ऐसा एकतरफा कानून नहीं है, तो भारत ऐसे कानून को क्यों ढो रहा है और इतनी संपत्तियों के बावजूद यह अल्पसंख्यक वर्ग सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ क्यों है? क्या वक्फ की संपत्तियों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है?
वक्फ एक्ट की धारा 40 यह कहती है कि वक्फ बोर्ड यह फैसला दे सकता है कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है। यह अंतिम फैसला है। जब तक कि वक्फ ट्रिब्यूनल इसे संशोधित न कर दे। संशोधन विधेयक ज्यादा से ज्यादा यह कहता है कि अब यह अधिकार जिला कलेक्टर को रहेगा। किसी जमीन की लूट या गलत दावे से बचने के लिए कलेक्टर या सक्षम अधिकारी को पूरा अधिकार देना जरूरी है।
क्या है वक्फ़ में संशोधन का मकसद!
संशोधन का मुख्य मकसद है कि वक्फ बोर्ड द्वारा कानून का गलत उपयोग, जमीन लेने या जमीन कब्जाने के लिए नहीं होना चाहिए। वक्फ एक्ट के सेक्शन 40 का बुरी तरह से दुरुपयोग किया गया है। किसी भी संपत्ति को अपनी संपत्ति बताने के लिए इसका हर स्तर पर और हर जगह इस्तेमाल किया गया है। मुस्लिम समाज में भी इस कारण विवाद और बेचैनी बढ़ी है। समाज का हित देखना भी जरूरी है, ताकि वक्फ का सदुपयोग हो।
यह प्रावधान कि केवल व्यवहार में लाने मात्र से कोई संपत्ति वक्फ की हो जाएगी, गलत है। मान लीजिए किसी ने जमीन खरीदली और दो-चार साल तक खाली छोड़ दी, तो उस पर वक्फ कब्जा करके या उसका उपयोग करके अपनी साबित कर सकता है।
मुस्लिम महिलाओं में खुशी का माहौल!
अभी वक्फ बोर्ड में सिर्फ मुसलमान पुरुष ही हो सकते हैं। संशोधन कहता है कि अब बोर्ड में दो मुस्लिम स्त्रियां और दो किसी अन्य समुदाय के लोग भी होंगे, इस पर वक्फ बोर्ड के समर्थकों को एतराज है। इस संशोधन विधेयक को लाए जाने पर बहुत सी मुस्लिम महिलाएं खुश हैं। साथ ही, पिछड़े और गरीब मुस्लिम भी खुश हैं। मुस्लिम समाज के वंचितों को लग रहा है कि वक्फ संपत्ति का अगर सही इस्तेमाल होगा, तो समाज में गरीबी घटेगी और खुशहाली आएगी। अभी केवल ऊंची बिरादरी या समाज के दबंग लोगों को ही वक्फ का फायदा हो रहा है। यह एक ऐसा मसला है, जिस पर समझदारी दिखाते हुए और व्यापक समाज का हित देखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।