भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने अपने मेडल गंगा में बहाने का एलान किया है। बृजभूषण के खिलाफ नाबालिग लड़की के यौन शोषण को मुद्दा बनाकर पहलवान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं अब इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है।
ये सनसनीखेज खुलासा नाबालिग के चाचा ने किया है। उन्होंने पहलवानों के आरोपों से एकदम उलट तथ्य सामने रखे हैं। उनके मुताबिक रोहतक निवासी उनकी भतीजी नाबालिग नहीं है और उसे बरगलाने के बाद भाजपा सांसद के खिलाफ मोहरा बनाया गया है।
नाबालिग पहलवान के चाचा ने आरोप लगाया कि उत्पीड़न का आरोप लगाकर दिल्ली में प्रदर्शन करने वाले कुछ खिलाड़ी दरअसल बड़ी साजिश कर रहे हैं। वे जातिवाद बढ़ाने के साथ भावुक होकर और आंसू दिखाकर खापों तक को गुमराह कर रहे हैं। महिलाओं के लिए कानून और पॉक्सो एक्ट का गलत प्रयोग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि उनके बड़े भाई को बरगलाने के साथ भतीजी को भी इसमें इस्तेमाल किया जा रहा है।
लड़की के चाचा ने कहा कि प्रदर्शनकारी सुन लें कि यह पॉक्सो का मामला इसलिए नहीं है क्योंकि उनकी भतीजी बालिग है। दूसरी बात, अगर हमारे घर की बेटी के साथ कुछ गलत हो जाता तो हमारा परिवार चुप बैठने या मामले को छिपाने के बजाय आर-पार की लड़ाई लड़ता।
जीवित लड़की का मृत सर्टिफिकेट बनवा दिया
पहलवान लड़की के चाचा ने कहा कि भतीजी को इस मामले में घसीटे जाने की जानकारी परिवार को दस दिन पहले उस समय मिली जब दिल्ली पुलिस छानबीन करने रोहतक आई थी। यहां पुलिस टीम से परिवार की हुई बातचीत में सारा मामला सामने आया। पुलिस ने भतीजी के मरने का प्रमाण पत्र दिखाते हुए उसके बारे में पूछा, जबकि भतीजी सही सलामत है। यह प्रमाण पत्र पंजाब से बना बताया गया। इससे साबित होता है कि पंजाब के कुछ पहलवान इस साजिश में शामिल हैं। यह बहुत बड़ा षड्यंत्र है। इसमें और कौन शामिल है, पुलिस जांच में सामने आ जाएगा। उन्हें मामला राजनीति से प्रेरित लग रहा है।
चाचा को भी मिलाना चाहते थे साजिशकर्ता
लड़की के चाचा ने कहा कि जब से मामला सामने आया है, उनकी मां का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने कहा कि चार माह पहले रोहतक बस स्टैंड के पास के एक अखाड़ा संचालक ने उनको भी इस मामले में जोड़ने का प्रयास किया था। उनको नौकरी का हवाला भी दिया गया। चाचा तो नहीं मानें, लेकिन उनका आरोप है कि बड़े भाई को गुमराह कर उन लोगों को अपने साथ कर लिया। इसमें प्रदर्शन करने वाले कुछ पहलवान भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कोई कुछ भी करे, मगर उनके परिवार का नाम खराब न करें।
यह है मामला
भारतीय पहलवान 18 जनवरी को पहली बार दिल्ली के जंतर मंतर में धरने पर बैठे थे। पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों के साथ बात की और 21 जनवरी के दिन धरना खत्म कर दिया गया। बृजभूषण को कुश्ती संघ के कामकाज से अलग कर दिया गया और उनके खिलाफ लगे आरोपों पर जांच के लिए समिति बना दी गई।
अप्रैल तक जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट जारी कर दी, लेकिन रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया। ऐसे में पहलवान 23 अप्रैल को फिर जंतर मंतर में धरने पर बैठ गए। पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इसके बाद बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की। एक एफआईआर पाक्सो एक्ट के तहत दर्ज की गई।
पहलवान बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे और प्रदर्शन जारी रखा। वहीं, बृजभूषण खुद को निर्दोष बताते रहे। 28 मई के दिन नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान पहलवानों ने मार्च करने की कोशिश की। तभी पुलिस ने पहलवानों को हिरासत में ले लिया। जंतर मंतर से उनका सामान हटा दिया गया और रात तक सभी पहलवानों को छोड़ दिया गया। कई पहलवानों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है।