प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा शुरू किया गया एक सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब देना था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में 9 से 21 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के शिविर शामिल थे। ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकियों और 35-40 पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने की खबर है, साथ ही पाकिस्तान के नूर खान, रहीम यार खान और अन्य एयरबेस को भारी नुकसान हुआ।
पाकिस्तान को जानकारी देने का विवाद
विदेश मंत्री एस. जयशंकर के एक बयान ने विवाद खड़ा कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि “ऑपरेशन की शुरुआत में पाकिस्तान को संदेश भेजा गया” कि भारत आतंकी ठिकानों पर हमला कर रहा है, न कि सैन्य ठिकानों पर। इस बयान को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने “अपराध” करार देते हुए सवाल उठाए कि क्या भारत ने ऑपरेशन से पहले पाकिस्तान को सूचित किया, जिससे भारतीय विमानों को नुकसान हुआ।
विदेश मंत्रालय और विदेश सचिव की सफाई
विदेश मंत्रालय और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 15-18 मई 2025 के बीच कई बयानों और प्रेस ब्रीफिंग में स्थिति स्पष्ट की। जयशंकर के बयान का गलत अर्थ निकाला गया: विदेश मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर का कहना था कि पाकिस्तान को ऑपरेशन शुरू होने के शुरुआती चरण में सूचना दी गई, न कि ऑपरेशन से पहले। यह संदेश तनाव कम करने और सैन्य टकराव से बचने के लिए था। प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने 15 मई को इस दावे को “भ्रामक” बताया कि भारत ने ऑपरेशन से पहले सूचना दी थी।
DGMO स्तर पर सूचना
सूत्रों के अनुसार, 7 मई की सुबह ऑपरेशन शुरू होने के बाद डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGMO) स्तर पर पाकिस्तान को सूचना दी गई। इसका उद्देश्य यह स्पष्ट करना था कि भारत का लक्ष्य आतंकी ढांचे हैं, न कि पाकिस्तानी सेना। विदेश सचिव ने संसद की स्टैंडिंग कमिटी ऑन एक्सटर्नल अफेयर्स को बताया कि सीजफायर में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।
पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत ने उनकी संप्रभुता का उल्लंघन किया, लेकिन भारत के लंदन हाई कमिश्नर विक्रम दोराईस्वामी ने बीबीसी को बताया कि अगर पाकिस्तान को इस कार्रवाई से दिक्कत है, तो वे आतंकियों के साथ खड़े हैं।
ऑपरेशन की प्रमुख विशेषताएं
रक्षा मंत्रालय ने ऑपरेशन को स्वदेशी तकनीक और सैन्य समन्वय का “मील का पत्थर” बताया। S-400 सुदर्शन चक्र और अन्य स्वदेशी रक्षा प्रणालियों ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम किया। भारतीय वायुसेना ने 23-25 मिनट में नूर खान, रहीम यार खान, मुजफ्फराबाद, मुरिदके और अन्य ठिकानों को ध्वस्त किया। मुजफ्फराबाद में लश्कर का प्रशिक्षण केंद्र और सियालकोट में महमूना कैंप नष्ट किए गए। भारत ने स्पष्ट किया कि कोई सैन्य या नागरिक ठिकाना निशाना नहीं बनाया गया, जिससे तनाव बढ़ने की गुंजाइश कम हो। 18 मई तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम लागू हुआ, जिसके बाद दोनों देशों के DGMO ने बातचीत की।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस ने ऑपरेशन को राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की। राहुल गांधी ने जयशंकर की चुप्पी को “निंदनीय” बताया। सर्वदलीय समर्थन पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने सेना के शौर्य की सराहना की। पीएम मोदी ने कहा कि ऑपरेशन “स्थगित” है, खत्म नहीं और अगर आतंकी हमला हुआ तो पाकिस्तान पर “प्रचंड प्रहार” होगा। उन्होंने पाकिस्तान की परमाणु धमकी को “ब्लैकमेलिंग” करार दिया।
अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत और पाकिस्तान से शांति और जिम्मेदारी से मुद्दा हल करने की अपील की। होंडुरास ने भारत का खुलकर समर्थन किया। भारत ने 7 मई को यूएन सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए जवाबदेह ठहराया।
सटीक और आतंकवाद-विरोधी कार्रवाई
ऑपरेशन सिंदूर एक सुनियोजित, सटीक और आतंकवाद-विरोधी कार्रवाई थी, जिसने भारत की सैन्य और तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित किया। पाकिस्तान को ऑपरेशन शुरू होने के बाद, शुरुआती चरण में सूचना दी गई थी, न कि पहले, जैसा कि कुछ दावों में गलत तरीके से पेश किया गया। विदेश मंत्रालय और सेना ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए थी और भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी स्थिति मजबूती से रखी।