वामपंथी पार्टियों ने केरल में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का विरोध किया था। चूंकि केरल में दोनों पार्टियों के बीच आमने सामने का मुकाबला होता है और दोनों पार्टियां खुल कर एक दूसरे के खिलाफ लड़ती हैं इसलिए वहां कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं के राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होने का सवाल ही नहीं था। लेकिन आगे कम्युनिस्ट पार्टियों का क्या रुख होगा यह पता नहीं है। ध्यान रहे कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों के बीच अच्छा सहयोग है और पश्चिम बंगाल में दोनों ने तालमेल करके चुनाव लड़ा था।
केरल में पार्टी आमतौर पर प्रकाश करात के हिसाब से चलती है लेकिन बाकी जगह सीताराम येचुरी की ताकत ज्यादा है और येचुरी के साथ राहुल गांधी के बहुत अच्छे संबंध हैं। तभी अंदाजा लगाया जा रहा है कि दो महीने और चलने वाली यात्रा में कम्युनिस्ट नेता भी शामिल हो सकते हैं।
ज्यादा संभावना यह जताई जा रही है कि अगर बिहार में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यू के नेता भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होते हैं तो उनके साथ ही कम्युनिस्ट पार्टियों के नेता भी यात्रा का हिस्सा बन सकते हैं। बिहार में सीपीआई, सीपीएम और सीपीआईएमएल तीनों महागठबंधन का हिस्सा हैं। हालांकि इन तीनों पार्टियों के विधायक सरकार में शामिल नहीं हैं पर सरकार को बाहर से समर्थन दिया है। इसलिए अंदाजा लगाया जा रहा है कि महागठबंधन की पार्टियों के नेता कांग्रेस की रैली में शामिल हो सकते हैं।
हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस बारे में फैसला नहीं किया है। अब कांग्रेस की यात्रा उत्तर भारत के राज्य में रहेगी और कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि अगर राजद, जदयू और लेफ्ट के नेता यात्रा में शामिल होते हैं तो चुनाव वाले राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में फायदा हो सकता है।