नई दिल्ली। पौष मास को छोटा ‘पितृ पक्ष’ भी कहा जाता है। इस मास में पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है। गया जी में देश भर से लोग इस मास में पितरों के तर्पण के लिए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पितरों की पूजा करने पर उन्हें मुक्ति मिलती है। इससे प्रसन्न होकर वे आशीर्वाद देकर जाते हैं, जिससे हमारी लाइफ में सुख समृद्धि आती है। पौष मास में सूर्य का बड़ा गोचर होता है, जिसे धनु संक्रांति होती है, इसके बाद सूर्य का सबसे बड़ा गोचर मकर संक्रांति होता है।
सूर्य के धनु राशि में जाने पर ‘खर’ मास आरंभ होता है। इस मास में मांगलिक और शुभ कार्य वर्जित होते हैं। पौष माह को मिनी पितृपक्ष का शुरू हो गया है। पौष कृष्ण पक्ष में पितरों का पिंडदान कर मोक्ष की कामना के लिए लाखों लोग गया जी में जाते हैं। छोटा पितृपक्ष की अमावस्या इस साल 19 दिसंबर को रहेगी। इस महीने में श्राद्ध कर्म तथा पिंड दान और सूर्य के साथ विष्णु की अराधना की जाती है। आश्विन, कार्तिक, पौष और चैत्र इन महीनों में पितरों के लिए पिंडदान बहुत अच्छा माना गया है, लेकिन इनमें से कार्तिक, पौष और चैत्र को मिनी पितृपक्ष कहा जाता है।
पौष अमावस्या कब है
इस साल पंचांग के अनुसार पौष माह की अमावस्या तिथि 19 दिसंबर, शुक्रवार के दिन सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी, अमावस्या तिथि का समापन 20 दिसंबर सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर होगा। ऐसे में पौष अमावस्या 19 दिसंबर, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। पौष माह में भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। पितरों के प्रति श्रद्धा, धार्मिक अनुष्ठान और आस्था की ऊर्जा से आने वाले दिनों में विष्णुनगरी पूरी तरह आध्यात्मिक माहौल में डूबी रहेगी।
पौष अमावस्या पर क्या उपाय करें
पौष अमावस्या गंगा में स्नान कर पितरों का तर्पण करना चाहिए। इस दिन हो सके तो काले तिल से पितरों को तर्पण दें, इसके साथ ही काला तिल दान भी करना चाहिए। काले तिल के दान से पापों का नाश होता है। इस महीने में सूर्य को काले तिल डालकर जल अर्पित करना चाहिए। हो सके तो पितरों का पिंडदान करें और उनकी मुक्ति के लिए कामना करें। इसके साथ अनावस्या पर शाम को पीपल के पेड़ के पास और पवित्र नदियों के पास दीपक जलाना चाहिए, इससे पितृ प्रसन्न होते हैं।







