नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख बेहद नजदीक है। इसी बीच दिल्ली चुनाव में बीजेपी के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ की एंट्री हो गई है। राजधानी में चुनाव प्रचार के दौरान सीएम योगी ने केजरीवाल को खुला चैंलेंज दे डाला। योगी का बयान बीते दिन से ही सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहा है। हालांकि सवाल यह है कि दिल्ली के चुनाव में आखिर बीजेपी को योगी की जरूरत क्यों पड़ गई? क्या योगी की एंट्री दिल्ली चुनाव में नतीजों में बदलाव कर पाएगी? योगी दिल्ली में बीजेपी की जीत का रास्ता आसान कर सकते हैं या नहीं? आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में…
योगी ने क्यों बढ़ाई केजरीवाल की ‘टेंशन’?
दिल्ली चुनाव प्रचार की शुरुआत के साथ ही योगी आदित्यनाथ ने हिंदुत्व का नारा बुलंद कर दिया है। सीएम योगी ने कहा कि एक मुख्यमंत्री के रूप में मैं और मेरे मंत्री संगम में स्नान कर सकते हैं, तो केजरीवाल भी अपने मंत्रियों के साथ यमुना जी में स्नान क्यों नहीं कर सकते हैं? योगी की चुनौती इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि हिन्दू वोटबैंक को लुभाने के लिए केजरीवाल पुजारियों और ग्रंथियों को 18,000 रुपए का मासिक वेतन देने का वादा कर चके हैं। ऐसे में योगी के चैलेंज ने केजरीवाल की मुश्किल बढ़ा दी है।
योगी की रैली से बीजेपी को क्या फायदा?
बता दें कि 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सीएम योगी ने 4 दिन में 14 रैलियां की थीं। इस लिस्ट में महरौली, उत्तम नगर, द्वारका, तुगलकाबाद, विकासपुरी, रोहिणी, करावल नगर, आदर्शनगर, ओखला और बदरपुर जैसी हॉट सीटें शामिल थीं। इन सभी सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर धड़ल्ले से बढ़ा था। 2015 के चुनाव में जहां बीजेपी को 33.12% वोट मिले, तो 2020 के चुनाव में बीजेपी 47.07% वोट शेयर के साथ राजधानी की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।
आगामी चुनाव में क्या है स्ट्रैटजी?
योगी आदित्यनाथ इस बार भी दिल्ली में 14 रैलियों और जनसभाओं को संबोधित करेंगे। 23 जनवरी से उनके चुनाव प्रचार की शुरुआत हो गई है। बीते दिन सीएम योगी ने 3 रैलियां की और इस दौरान उन्होंने हिन्दुत्व के एजेंडे को केंद्र पर रखा। हरियाणा चुनाव की तरह योगी ने बटेंगे तो कटेंगे का नारा तो नहीं दिया, लेकिन मंच के सामने लगे पोस्टर में ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, बटेंगे को कटेंगे’ का नारा जरूर देखने को मिला। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली में हिन्दुओं को एकजुट करने के लिए योगी को चुनावी मैदान में उतारा गया है। हालांकि बीजेपी का यह फॉर्मूला कितना हिट साबित होगा, उसका फैसला 8 फरवरी को नतीजों के साथ ही होगा।