पटना। बिहार चुनाव में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं। भाजपा-जदयू सहित पूरे सत्ता पक्ष ने अपने चुनाव प्रचार की गति को तेज कर दिया है। लेकिन इस निर्णायक घड़ी में भी विपक्ष बिखरा दिखाई दे रहा है। महागठबंधन का विपक्षी खेमा अब तक अपने सीट बंटवारे का ऐलान नहीं कर पाया है। इसका परिणाम हुआ है कि विपक्षी दलों ने अपने स्तर पर अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान करना शुरू कर दिया है। करीब सात सीटों पर कांग्रेस और राजद के प्रत्याशी एक दूसरे को टक्कर देते दिखाई दे रहे हैं। झामुमो ने भी बिना गठबंधन के 6 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारकर महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अभी यह संख्या और बढ़ सकती है।
एनडीए नेताओं ने बिहार में चुनावी रैलियां कर जनता को रिझाना शुरू कर दिया है। भाजपा के स्टार प्रचारक नेता गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार बिहार में डटे हुए हैं और ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दर्जन चुनावी जनसभाएं करेंगे। इससे एनडीए का चुनाव प्रचार अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच जाएगा। भाजपा के सहयोगी दल जदयू, लोजपा (आर), जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा भी पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतर चुके हैं।
लेकिन महागठबंधन की ओर से अभी तक इस तरह की कोई तैयारी दिखाई नहीं दे रही है। अभी तक राजद कार्यालय पर टिकटों के लिए आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार में कोई सीट न दिए जाने को अपना अपमान बताते हुए छः सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। इससे झारखंड से सटी विधानसभा सीटों पर, विशेषकर आदिवासियों के बीच, महागठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने गठबंधन में सीटों की तालमेल न होने के लिए राजद को दोषी ठहराया है।
वोट चोरी का मुद्दा भी गायब
चुनाव की अंतिम घड़ी में विपक्ष अपने सबसे मजबूत कार्ड के सहारे सत्ता पक्ष को घेरने का काम करता है। लेकिन बिहार में विपक्ष के बड़े नेताओं के साथ-साथ उनका सबसे बड़ा मुद्दा भी गायब होता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस-राजद ने शुरुआती दौर में ‘वोट चोरी’ के मुद्दे के सहारे भाजपा-जदयू को घेरने की कोशिश की थी। लेकिन राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के बाद बिहार में यह मुद्दा कहीं देखने-सुनने को नहीं मिल रहा है। आपसी तालमेल की कमी के कारण राजद भी इस मुद्दे को नहीं उठा रहा है। विपक्ष को इस रणनीतिक खामी का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
‘अकेले चुनाव लड़ने का एलान करते तो बेहतर होता’
कांग्रेस के एक नेता ने अमर उजाला से कहा कि बिहार में प्रमुख सीटों पर राजद की हठ को केंद्रीय नेतृत्व को बता दिया गया है। अब केंद्रीय नेतृत्व से भी राज्य में ‘एकला चलो’ का मूक संदेश मिल रहा है। लेकिन सीटों पर तालमेल न होने के कारण पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है। नेता ने कहा कि यदि शुरुआती दौर में ही गठबंधन के बिना चुनाव में उतरने का निर्णय लिया गया होता तो हर सीट पर पार्टी के कार्यकर्ता चुनाव लड़ने की तैयारी करते। इससे पार्टी कम सीटों पर जीत हासिल करती, लेकिन उसे पूरे बिहार में हर सीट पर मजबूत होने का अवसर मिलता। लेकिन देर हो जाने के कारण पार्टी को दोहरा नुकसान हो रहा है।
नेता के अनुसार, दिवाली के बाद राहुल गांधी बिहार में एक दर्जन से अधिक जनसभाएं कर सकते हैं। लेकिन सीटों पर निर्णय न होने से अब तक चुनाव प्रचार भी सही तरीके से नहीं हो पाया जिससे कांग्रेस के साथ-साथ पूरे महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। अब घोषित होने वाले उम्मीदवारों के पास चुनाव प्रचार को लेकर बहुत समय नहीं मिलेगा। पार्टी को इससे भी नुकसान हो सकता है।
महागठबंधन नहीं, ‘महा गांठ बंधन’- भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि बिहार में विपक्ष में महागठबंधन नहीं, बल्कि ‘महा गांठ बंधन’ है। वे अब तक अपने बीच की गांठ नहीं सुलझा पाए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा केवल इसलिए हो रहा है क्योंकि उनका लक्ष्य जनता की सेवा करना नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष में केवल लालच और भ्रष्टाचार का गठबंधन होता है जिससे सत्ता मिलने पर जनता को लूटा जा सके। लेकिन बिहार की जनता ने पिछले 20 वर्षों का बदलाव देख लिया है और अब वह बिहार में जंगलराज की वापसी नहीं होने देगी।
दो तिहाई बहुमत से हासिल करेंगे जीत- लोजपा (आर)
लोजपा (आर) के नेता मणिशंकर पांडेय ने अमर उजाला से कहा कि अवसरवाद और लालच पर आधारित गठबंधन कभी सफल नहीं होता। उन्होंने कहा कि लालू यादव और कांग्रेस का गठबंधन केवल भ्रष्टाचार का गठबंधन था, इसीलिए यह सफल नहीं हो पाया। कांग्रेस ने अब तक तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं घोषित किया, तो राजद ने कांग्रेस को सीटें देने से इनकार कर दिया। उसके उलट हमारे एनडीए गठबंधन में पहले दिन से नेता, नीती और मुख्यमंत्री सब कुछ तय है। यही कारण है कि बिहार की जनता का विश्वास एनडीए पर बना हुआ है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में इस बार एनडीए दो तिहाई बहुमत हासिल कर सरकार बनाएगा।