प्रकाश मेहरा
एक्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से तनाव चला आ रहा है, और हाल के घटनाक्रमों ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। इजरायल के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को निशाना बनाने की चर्चा कई कारणों से उभरी है। इजरायल लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है। इजरायल का दावा है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है, जो इजरायल की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। खामेनेई, ईरान के सर्वोच्च नेता के रूप में, इस कार्यक्रम के प्रमुख नीति-निर्माता हैं।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बार-बार कहा है कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना उनकी प्राथमिकता है। इजरायली हमलों ने ईरान के परमाणु ठिकानों, जैसे नातांज और इस्फहान, को निशाना बनाया है और खामेनेई को इन हमलों का मुख्य जिम्मेदार माना जाता है।
खामेनेई का इजरायल विरोधी रुख
खामेनेई ने बार-बार इजरायल के खिलाफ कड़े बयान दिए हैं, उसे “यहूदी राष्ट्रवादी शासन” और “आतंकी” करार देते हुए युद्ध की धमकी दी है। उन्होंने इजरायल को “सजा देने” और “नष्ट करने” की बात कही है, जिसे इजरायल अपने अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देखता है। इजरायली नेताओं, विशेष रूप से रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज और प्रधानमंत्री नेतन्याहू, ने खामेनेई को “आधुनिक हिटलर” और तानाशाह कहकर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।
प्रॉक्सी युद्ध और हिजबुल्लाह का समर्थन
ईरान, खामेनेई के नेतृत्व में, हिजबुल्लाह और अन्य प्रॉक्सी समूहों को समर्थन देता है, जो इजरायल के खिलाफ हमले करते हैं। इजरायल का मानना है कि खामेनेई इन समूहों के माध्यम से क्षेत्र में अस्थिरता फैला रहे हैं। खामेनेई को हटाने से ईरान की प्रॉक्सी नीति कमजोर हो सकती है, जिससे इजरायल को क्षेत्रीय स्तर पर राहत मिल सकती है।
इजरायली मीडिया और नेताओं के बयानों के अनुसार, नेतन्याहू ने खामेनेई को निशाना बनाने की मंजूरी दी है, हालांकि अमेरिका ने इस पर वीटो लगाया है। इजरायल का मानना है कि खामेनेई के नेतृत्व को खत्म करना ईरान के शासन को कमजोर कर सकता है, जिससे उसकी सैन्य और परमाणु महत्वाकांक्षाएं रुक सकती हैं।
क्या है हाल के सैन्य टकराव
जून 2025 में इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमले किए, जिसमें ईरान के कई शीर्ष सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। ईरान ने जवाबी कार्रवाई में इजरायल पर 100 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन दागे, जिससे तनाव और बढ़ गया। खामेनेई ने इन हमलों को “जघन्य अपराध” करार देते हुए इजरायल को सजा देने की कसम खाई।
हिजबुल्लाह के कमांडरों को निशाना
ईरान के बाद इजरायल का नया वॉर फ्रंट हाल के घटनाक्रमों के बाद, इजरायल के लिए नया वॉर फ्रंट खुलने की आशंका बढ़ गई है। इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर के बाद, लेबनान में हिजबुल्लाह के साथ तनाव बढ़ रहा है। इजरायल ने दक्षिणी लेबनान में सैन्य कार्रवाइयां तेज कर दी हैं, और हिजबुल्लाह के कमांडरों को निशाना बनाया जा रहा है।
लेबनान में इजरायली टैंकों और हवाई हमलों ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है। हिजबुल्लाह, जो ईरान का समर्थन प्राप्त करता है, इजरायल के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है।
सीरिया में प्रॉक्सी युद्ध
सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया और इजरायल के बीच छिटपुट संघर्ष जारी हैं। सीरिया के दारा में ईरानी ड्रोन के टुकड़े मिले हैं, जिन्हें इजरायल ने मार गिराया। इजरायल सीरिया में ईरानी प्रभाव को कम करने के लिए लगातार हमले कर रहा है, जिससे यह क्षेत्र भी एक नया युद्धक्षेत्र बन सकता है।
अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए, लेकिन उसने इजरायल-ईरान युद्ध में सीधे हस्तक्षेप से इनकार किया है। डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर की कोशिश की, लेकिन इजरायल और ईरान दोनों ने इसे तोड़ दिया। चीन और रूस जैसे देशों ने ईरान का समर्थन किया है, जिससे क्षेत्रीय तनाव और जटिल हो गया है।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
इजरायल-ईरान युद्ध ने मध्य पूर्व में अस्थिरता बढ़ा दी है। अगर यह युद्ध लंबा चला, तो भारत जैसे देशों पर भी इसका असर पड़ सकता था, खासकर तेल और गैस आपूर्ति पर। ईरान के होर्मुज स्ट्रेट से गुजरने वाले तेल के वैश्विक व्यापार पर असर पड़ सकता है, जो भारत, चीन और अन्य एशियाई देशों के लिए महत्वपूर्ण है।
12 दिनों तक चले इस युद्ध में इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जिसमें ईरान के कई शीर्ष कमांडर और वैज्ञानिक मारे गए। ईरान ने जवाब में इजरायल पर 100 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन दागे।
सीजफायर और अनिश्चितता !
24 जून को ट्रंप की मध्यस्थता से सीजफायर हुआ, लेकिन दोनों पक्षों ने इसका उल्लंघन किया।खामेनेई के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर अटकलें हैं। वह कथित तौर पर एक बंकर में छिपे हैं और सार्वजनिक रूप से कम नजर आ रहे हैं। लेबनान और सीरिया में हिजबुल्लाह और ईरान समर्थित मिलिशिया के साथ इजरायल का टकराव बढ़ रहा है, जो एक नए युद्धक्षेत्र की ओर इशारा करता है।अमेरिका, रूस, और चीन जैसे देशों ने इस युद्ध में अपनी-अपनी भूमिका निभाई है। अमेरिका ने इजरायल का समर्थन किया, लेकिन सीधे युद्ध में शामिल होने से बचा।
इजरायल का खामेनेई को निशाना बनाने का इरादा उसके परमाणु कार्यक्रम, क्षेत्रीय प्रभाव, और इजरायल विरोधी नीतियों को कमजोर करने की रणनीति से जुड़ा है। हालांकि, सीजफायर के बाद भी लेबनान और सीरिया में नए युद्धक्षेत्र की आशंका बनी हुई है। इस स्थिति का वैश्विक अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से तेल और गैस आपूर्ति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।