नई दिल्ली। लोकसभा के प्रथम चरण का आज चुनाव हो रहा है। 21 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोटिंग शुरू हो गई है। सीटों के हिसाब से यह सबसे बड़ा फेज है। बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की कोशिश कर रही है।
इस बीच चुनावी विश्लेषक और एक्सिस माई इंडिया के प्रबंध निदेशक प्रदीप गुप्ता ने अनुमान लगाया है कि बीजेपी को 13 राज्यों में बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। गुप्ता के मुताबिक बीजेपी के इन राज्यों में सीटें जीतने की संभावना बेहद कम है। उल्टे यहां वह अपनी कुछ सीटें भी गंवा सकती है।
2019 के लोकसभा चुनावों में, NDA ने 352 सीटें हासिल की थीं। बीजेपी ये दावा कर रही है कि वह इस बार 400 सीटें जीतेगी। इसका अर्थ ये है कि भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों को 400 सीटों तक पहुंचने के लिए कम से कम 48 और सीटें जीतने की जरूरत पड़ेगी।
मनीकंट्रोल से बात करते हुए प्रदीप गुप्ता ने कहा कि महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गोवा समेत 13 राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के बीच 257 लोकसभा क्षेत्र हैं। एनडीए ने यहां पर 238 सीटें जीती थीं।
प्रदीप गुप्ता के मुताबिक NDA का इन राज्यों में स्ट्राइक रेट 93 फीसदी था। लेकिन इस बार ये स्ट्राइक रेट बरकरार रखना असंभव सा लगता है। इतना ही नहीं NDA यहां पर कुछ सीटें गंवा भी सकती है। गुप्ता के मुताबिक अगर बीजेपी को 400 सीट हासिल करना है तो उसे यहां पर अपनी मौजूदा स्थिति बरकरार रखनी होगी।
चुनाव विश्लेषक ने तर्क दिया कि महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक और दिल्ली में स्थिति में बदलाव आया है। महाराष्ट्र में जहां 48 सीटें हैं वहां पर दो प्रमुख दलों शिव सेना और राकांपा में विभाजन हो गया है। पिछले आम चुनाव की तुलना में यहां पर राजनीतिक समीकरण भी बदल गया है।
इसी तरह कर्नाटक में भी कांग्रेस पार्टी ने प्रचंड जीत के साथ सरकार बनाई है और यहां बेहद मजबूत मानी जा रही है। दिल्ली में, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पहले ही गठबंधन कर लिया है।
पिछले चुनाव में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, असम और 7 पूर्वोत्तर राज्यों की 185 सीटों में से 109 सीटें जीतीं। ये कुल सीटों का लगभग 60 फीसदी था। वहीं विपक्षी पार्टियों ने यहां 76 सीटें जीती थीं। प्रदीप गुप्ता के मुताबिक इस बार बीजेपी इन राज्यों में सुधार कर सकती है और कुछ सीटें अधिक जीत सकती है।
प्रदीप गुप्ता ने कहा कि तमिलनाडु, केरल, पंजाब, आंध्र प्रदेश और कश्मीर में विपक्षी दलों का पिछले आम चुनाव में स्ट्राइक रेट 95 प्रतिशत था। बीजेपी ने यहां पर की 101 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 5 सीटें जीती थीं। इस बार भी बीजेपी यहां बहुत अच्छा प्रदर्शन कर पाने की स्थिति में नहीं है।
गुप्ता ने कहा, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन या ईवीएम का इस्तेमाल भारत में मतदाताओं के लिए कभी भी चिंता का विषय नहीं रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले 11 वर्षों में, एक्सिस माई इंडिया ने 69 चुनाव भविष्यवाणियां की हैं, जिनमें दो लोकसभा चुनाव भी शामिल हैं। हम 64 चुनाव भविष्यवाणियों में सफल रहे हैं लेकिन धांधली की कोई चिंता सामने नहीं आई। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रक्रिया पर कथित विवादों से लोगों का कोई लेना-देना नहीं है; इसे केवल राजनीतिक दल ही उछाल रहे हैं।”
गुप्ता ने कहा कि जो पार्टियां विपक्षी भारत गठबंधन का हिस्सा हैं, वे वास्तव में एक साथ नहीं हैं, और उनके सीट-बंटवारे के समीकरण हर राज्य में अलग-अलग हैं, उन्होंने कहा कि गठबंधन ने उम्मीद के मुताबिक आकार नहीं लिया है।
उन्होंने कहा, “गठबंधन उस तरह का नहीं बन पाया जैसा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने योजना बनाई थी, जो अब एनडीए का हिस्सा हैं। आप इसे पश्चिम बंगाल में भी देख सकते हैं जहां तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी। कई अन्य राज्यों में भी यही स्थिति है।” प्रदीप गुप्ता ने कहा कि इंडी ब्लॉक में भारत भर में लगभग 350 सीटों पर सीट-बंटवारे का समझौता होना था, लेकिन यह केवल 100 से अधिक सीटों पर ही एक साथ आ पाई है।