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अंतरिम बजट से क्या भारत की नींव को मिलेगी मजबूती?

यह बजट नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के प्रति उनके आत्मविश्वास से उपजा है। केवल असुरक्षित सरकारें चुनावी नतीजों को बेहतर बनाने के लिए लुभावने कदम उठाती हैं : प्रकाश मेहरा

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
February 2, 2024
in राष्ट्रीय, विशेष
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Interim budget session
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प्रकाश मेहरा


नई दिल्ली। अंतरिम बजट का मतलब है जिम्मेदार होना, नए उपायों अं को लेकर शानदार होना नहीं। इस अर्थ में यह बजट जिम्मेदार, भरोसेमंद है और भारतीय विकास प्रक्रिया में विश्व समुदाय के विश्वास को मजबूत करता है। अंतरिम बजट 2024-25 के बारे में मेरे पास बताने के लिए करीब सात बिंदु हैं।

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बजट से विकास को बढ़ावा

सबसे पहले और सबसे अहम बात यह है कि बजट का मूल्यांकन न सिर्फ इस आधार पर किया जाना चाहिए कि आप क्या करते हैं, बल्कि इस आधार पर भी कि आप क्या नहीं करना चाहते हैं। यह देखते हुए कि यह एक चुनावी साल है, यह उम्मीद की गई होगी कि सार्वजनिक व्यय, प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण और सार्वजनिक सब्सिडी के माध्यम से लोकलुभावन उपायों की घोषणा की जाएगी। ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई। इसके बजाय, सरकार ने राजकोषीय सुदृढ़ीकरण का मार्ग अपनाया। यह नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के प्रति उनके आत्मविश्वास से उपजा है। केवल असुरक्षित सरकारें ही चुनावी नतीजों को बेहतर बनाने के लिए लोकलुभावन कदम उठाती हैं।

व्यापक आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता

अल्पकालिक लाभ की तुलना में व्यापक आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता दी गई है। निवेशकों को प्रोत्साहित करने और अतिरिक्त निजी पूंजी व्यय को गति देने के लिए राजकोषीय संतुलन बनाने की जो कोशिश हुई है, उसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना की जाएगी। दूसरा, व्यय का ढर्रा देखें, तो पूंजीगत व्यय को 11 प्रतिशत का एक और प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। हम लगातार उच्च पूंजीगत व्यय की राह पर हैं। राजस्व व्यय पर पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता पिछले कई बजटों की विशेषता रही है। इससे विकास को बढ़ावा मिलेगा।

भारत की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था

तीसरा, यह चौथा वर्ष है, जब भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान के मुताबिक भारत की विकास दर 7 प्रतिशत रहने की संभावना है। आगामी वर्षों में 7 प्रतिशत से भी ज्यादा की विकास गाथा को आगे बढ़ाया जाएगा, जो विकसित भारत बनाने के लिए खास प्रेरणा होगी। भारत बेशक 7 ट्रिलियन की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है और निकट भविष्य में 10 ट्रिलियन तक भी पहुंचेगा। ऐसे लक्ष्य सामने हों, तो विकास की गति को कई प्रकार से बल मिलता है।

विकास गाथा में पहले के वर्षों की तुलना

चौथा, विकास गाथा में पहले के वर्षों की तुलना में ज्यादा राजस्व उछाल दिख रही है। इस वर्ष जीडीपी में कर हिस्सेदारी 18 प्रतिशत से ज्यादा होने की संभावना है। यह केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष व परोक्ष करों में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ बेहतर राज्य जीएसटी का भी परिणाम है। राज्यों को अपने कर प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

राजकोषीय और ऋण प्रदर्शन

तथ्य यह है कि राज्यों के लिए आवंटित अतिरिक्त 1 लाख करोड़ रुपये में से 90 प्रतिशत से अधिक का उपयोग हुआ है, जो विकास को बढ़ाने वाली व्यय प्राथमिकताओं में राज्यों के जिम्मेदारी भरे व्यवहार को भी दर्शाता है। इससे राज्यों के राजकोषीय और ऋण प्रदर्शन में भी सुधार होगा।

विकास की गुणवत्ता में सुधार

पांचवां, यह बजट साल 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता को 35 प्रतिशत तक कम करके जलवायु परिवर्तन के प्रति राष्ट्रीय स्तर पर तय योगदान को पूरा करने पर नए सिरे से जोर देता है। छत पर सौर ऊर्जा सहित अक्षय ऊर्जा के लिए प्रोत्साहन जैसे कई उपायों की घोषणा की गई है, जो प्रशंसनीय है। इससे न केवल अक्षय ऊर्जा पर निर्भरता की आदत पड़ेगी, बल्कि कुप्रबंधन की शिकार राज्य विद्युत वितरण कंपनियों को भी अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सुधार और प्रतिस्पर्द्धा करने की प्रेरणा मिलेगी। विकास की गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्य के साथ लोगों की साझेदारी भारतीय विकास गाथा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

विकसित भारत बनाने की रणनीति

नारी शक्ति, महिलाओं, युवा सशक्तिकरण और पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ फसलों के लिए किसानों को बढ़ावा देने के उपायों पर नए सिरे से जोर दिया जाना भी विकसित भारत बनाने की रणनीति में एक महत्वपूर्ण कारक होगा। प्रौद्योगिकी के उपयोग की शक्ति में प्रधानमंत्री का विश्वास फिर झलका है। अनुसंधान एवं विकास में एक लाख करोड़ रुपये के महत्वपूर्ण कोष का सृजन, निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी और अनुसंधान-विकास में नवाचार न केवल युवा शक्ति का उपयोग करने में रचनात्मकता को सक्षम बनाएगा, बल्कि कई भावी चुनौतियों के लिए स्थानीय समाधान भी प्रदान करेगा। इससे भारत अपनी उत्पादकता में सुधार करते हुए प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर भी अग्रणी भूमिका निभाएगा।

बजट में इन विकल्पों को बड़ी जिम्मेदारी

आज विकास और व्यापक स्थिरता के बीच विषमता को संतुलित करना आसान नहीं है, पर यह अंतरिम बजट निर्णायक रूप से ऐसा करने की कोशिश करता है। इसी तरह, ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और ऊर्जा बदलाव के बीच समझौता आसान नहीं है। विकास तेज करने और उत्सर्जन घटाने के बीच सही संतुलन बनाने के लिए कठिन विकल्पों की जरूरत पड़ती है। बजट में इन विकल्पों को बड़ी जिम्मेदारी से पेश किया किया गया है। प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग, शिक्षा में बदलाव और मानव संसाधन क्षमता में वृद्धि रोजगार सृजन के नजरिये से एक अहम पहलू है। उद्योग के लिए प्रतिभावान और कुशल कार्यबल की उपलब्धता, सभी स्तरों पर स्कूलों में उम्र के अनुरूप सीखने के परिणाम और एक सेहतमंद व चुस्त आबादी अहम नीतिगत प्राथमिकताएं हैं, आने वाले वर्षों में भी ये चुनौतियां कायम रहेंगी।

2047 तक विकसित भारत की रणनीति

अंतरिम बजट प्रतिबद्ध है कि 2047 तक विकसित भारत बनाने की रणनीति का पूरा खाका जुलाई में मुख्य बजट में शामिल किया जाएगा। निस्संदेह, तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का काम चल रहा है, पर चुनौतियों से निपटने के लिए उच्च निवेश, बचत अनुपात, बढ़ी हुई उत्पादकता और क्रियान्वयन के साथ ही 7 प्रतिशत से ज्यादा की विकास दर की जरूरत है। इसमें राज्य सरकारों की भागीदारी की जरूरत है। राज्य सरकारों को हमारी विकास रणनीतियों में सक्रिय भागीदार बनाना विकसित भारत को साकार करने में एक अहम उत्प्रेरक होगा।

उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ

कोई संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व सभी हितधारकों के भारी समर्थन के साथ संघीय साझेदारी को गहरा बनाने में सक्षम होगा, जो समावेशी है, न्यायसंगत है, गरीबों की जरूरतों को पूरा करता है, जो लाभकारी रोजगार प्रदान करता है। हमें उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाते हुए अवसरों और युवाओं की जन्मजात नवाचार क्षमताओं को विकसित करना होगा। यह भारत के लिए वह क्षण है, जब पीछे मुड़कर नहीं देखा जा सकता।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश करते हुए देखिये पूरी रिपोर्ट संसद टीवी के साथ


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