प्रकाश मेहरा
एक्जीक्यूटिव एडिटर
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेशन पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसे पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को गोरखपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह के दौरान ‘विचार-परिवार कुटुंब स्नेह मिलन’ कार्यक्रम में इस मुद्दे पर खुलकर बोला। उन्होंने हलाल सर्टिफिकेशन को “सनातन धर्म पर सबसे बड़ा हमला” बताते हुए दावा किया कि इससे जुटाए गए फंड्स का दुरुपयोग आतंकवाद, लव जिहाद और धार्मिक रूपांतरण के लिए हो रहा है। यह बैन नवंबर 2023 से लागू था, लेकिन सीएम के ताजा बयान ने इसे फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
मुख्यमंत्री योगी का बयान
सीएम योगी ने अपने संबोधन में लोगों से अपील की कि सामान खरीदते समय हलाल सर्टिफिकेशन चेक करें। उन्होंने कहा “आप जब कोई सामान खरीदें तो जरूर देखिए कि उसमें हलाल सर्टिफिकेशन तो नहीं लिखा हुआ है। हमने यूपी में बैन किया है। आज प्रदेश में कोई खरीदने या बेचने का दुस्साहस नहीं करेगा।”
“साबुन का भी हलाल, कपड़े का भी हलाल, दिया-सलाई का भी हलाल… ये तो षड्यंत्र है। माचिस तो झटका है, हलाल करते रहोगे तो जलेगी ही नहीं। हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर एक फूटी कौड़ी भी न दें। यह पैसा आपके खिलाफ साजिश में लगता है—आतंकवाद, लव जिहाद और धर्मांतरण में।”
योगी ने दावा किया कि जब सरकार ने जांच शुरू की, तो पता चला कि देशभर में हलाल सर्टिफिकेशन से करीब 25,000 करोड़ रुपये की कमाई हो रही थी, बिना केंद्र या राज्य सरकार की किसी मान्यता के। उन्होंने बलरामपुर के जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा (धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार) का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे लोग हलाल फंड्स से ही फायदा उठाते हैं।
बैन का इतिहास और दायरा
18 नवंबर 2023 को उत्तर प्रदेश फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FSDA) ने हलाल सर्टिफाइड खाद्य उत्पादों (डेयरी, चीनी, बेकरी, नमकीन, खाद्य तेल आदि) के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया। यह एक्सपोर्ट उत्पादों पर लागू नहीं होता।
क्या है इसका कारण ?
सरकार का कहना है कि गैर-हलाल उत्पादों को हलाल सर्टिफिकेशन देकर बाजार में धकेलने की कोशिश हो रही थी, जो वर्ग-वैमनस्य फैलाने और आर्थिक लाभ उठाने का प्रयास है। लखनऊ में भाजपा युवा मोर्चा के सदस्य शैलेंद्र शर्मा की शिकायत पर FIR दर्ज हुई थी, जिसमें कंपनियों पर धार्मिक भावनाओं का शोषण करने का आरोप लगाया गया।
21 अक्टूबर 2025 को सीएम के बयान ने बैन को मजबूत किया। अब दवाइयां, मेडिकल डिवाइस, कॉस्मेटिक्स और गैर-खाद्य उत्पाद (जैसे साबुन, कपड़े) भी शामिल हैं। FSDA ने चेतावनी दी है कि उल्लंघन पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।
हलाल सर्टिफिकेशन क्या है ?
हलाल (अरबी में ‘जायज’ या ‘कानूनी’) इस्लामी नियमों के अनुरूप उत्पाद या सेवा को प्रमाणित करता है। मुस्लिम उपभोक्ताओं के लिए यह आश्वासन देता है कि “मांसाहारी उत्पादों में जानवरों को जिबह (इस्लामी तरीके से) काटा गया हो—तेज चाकू से गले काटना, दुआ पढ़ना, खून निकालना।
शाकाहारी उत्पादों में कोई हराम (निषिद्ध) तत्व (जैसे शराब, सुअर का मांस) न हो। भारत में ज्यादातर सर्टिफिकेशन निजी संस्थाएं (जैसे हलाल इंडिया) जारी करती हैं, बिना सरकारी मान्यता के। यह वैश्विक बाजार (खासकर मध्य पूर्व) के लिए जरूरी है, लेकिन घरेलू बाजार में विवादास्पद हो गया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद
भाजपा और हिंदू संगठनों ने बैन का स्वागत किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह “अवैध सर्टिफिकेशन” के खिलाफ कदम है। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी (बरेलवी समुदाय) ने कहा, “हलाल सर्टिफिकेशन का पैसा आतंकवाद में इस्तेमाल होता है, लेकिन इसे शरीयत से जोड़ना गलत है।”
समाजवादी पार्टी (सपा) ने इसे “इस्लामी राजनीति” बताया। सपा नेता जूही सिंह ने कहा, “यह मुसलमानों को निशाना बनाने की साजिश है।” कुछ मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला कहा। विपक्ष ने इसे बिहार चुनाव 2025 से जोड़कर “वोटबैंक पॉलिटिक्स” करार दिया।
प्रभाव और आगे की संभावनाएं !
यूपी के बाजारों में हलाल-टैग वाले उत्पादों की जांच सख्त होगी। कंपनियां अब FSSAI या अन्य सरकारी प्रमाणन पर निर्भर होंगी। एक्सपोर्ट प्रभावित न हो, लेकिन घरेलू बाजार में कंपनियों को नए लेबलिंग की जरूरत। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि इससे ‘पैरेलल इकोनॉमी’ टूटेगी।
बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक मुद्दा
बिहार चुनाव से पहले यह मुद्दा भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन विपक्ष इसे कम्युनल पोलराइजेशन का हथियार बनाएगा। केंद्र सरकार पर भी दबाव बढ़ा कि पूरे देश में बैन लगे। योगी सरकार का यह कदम ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का हिस्सा लगता है, जो धार्मिक सौहार्द और सुरक्षा को संतुलित करने का दावा करता है।